मंगलवार, 4 जून 2013

४ जून : लोकतंत्र पर सवालिया निशान लगाता रहेगा !!

चार जून का दिन एक ऐसी कसक लेकर आता है जो हमारे देश की लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था पर हमेशा एक सवालिया निशान बनकर खड़ा रहेगा ! यही वो दिन था जब देश की राजधानी दिल्ली का रामलीला मैदान आधी रात को सत्तानशीं लोगों की तानाशाही का गवाह बना था ! जब बाबा रामदेव जी के कालेधन को लेकर हो रहे शांतिपूर्ण आंदोलन में भाग लेने आये पैंतीस से चालीस हजार लोगों पर रात को सोते समय सताधारियों के इशारों पर पुलिस की बर्बरता बरस पड़ी ! सोते हुए लोगों को समझ में आता तब तक पुलिस का दमनचक्र चालू हो चूका था ! आंसू गैस के गोले और पुलिस की लाठियां लोगों को निशाना बना रही थी !

कालेधन वाले मामले को लेकर तो सरकार कितनी संजीदा है इसका पता तो सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे मामले में सरकार के टालमटोल वाले रवैये को देखकर ही लग गया ! जब सर्वोच्च न्यायालय तक नें तल्ख़ रवैया अपनाते हुए सरकार से पूछा कि जब सरकार कुछ नहीं कर रही है इस मामले में तो क्यों ना न्यायालय इसकी जांच के लिए अपनी तरफ से जांच समिति का गठन कर दे ! और तभी सरकार नें अपनी तरफ से एक जांच समिति का गठन किया और न्यायालय की जांच समिति का गठन नहीं होने दिया ! उसके बाद तो सरकारी जांच समिति का हाल नौ दिन चले अढाई कोस वाली हालत है ! और विदेशों में कालेधन रखने वालों के जो नाम फ्रांस और जर्मनी से मिले थे ! सरकार उनके धन को कर वसूल करके सफ़ेद धन में गुपचुप तरीके से परिवर्तित कर रही है ! 

इसलिए सरकार जब कालेधन से जुड़े लोगों को बचाने पर आमादा थी तभी तो बाबा रामदेव जी को सरकार के विरुद्ध आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ा था ! लेकिन किसी नें भी यह नहीं सोचा था कि कोई लोकतांत्रिक सरकार इस तरह के तानाशाहीपूर्ण रवैये पर उतर आएगी ! कुछ लोगों के बाबा रामदेव जी के बारे में अपने तर्क हो सकते हैं और वो उनको सही या गलत ठहरा सकते हैं ! लेकिन उस रात को जो लोग पुलिस कि बर्बरता के शिकार हुए हैं उनमें से हर एक मेरे भारतीय भाई बहन थे ! जिन पर हुए अत्याचार को में कतई सही नहीं मान सकता हूँ ! और में इसकी सदैव भर्त्सना करता रहूँगा ! ऐसे कहने वाले तो ओसामा बिन लादेन को भी आदरणीय कहते हैं और वही लोग बाबा रामदेव को ठग और धूर्त कहते हैं इसलिए ऐसे लोगों की बातों पर क्या कहा जाए !


मैंने इस देश में हिंसक आंदोलन भी देखे हैं और उनमें पुलिस को मूकदर्शक बने रहते भी देखा है ! और राजस्थान में गुर्जर आंदोलन वाला वो दौर भी देखा है जिसमें गुर्जरों नें देश की राजधानी दिल्ली ,मुंबई और राजस्थान का रेलवे संपर्क पूरी तरह ठप्प कर दिया था ! आधे से ज्यादा राजस्थान का जनजीवन अस्तव्यस्त कर दिया था ! लेकिन तब सत्ताधीशों का इतना साहस नहीं हुआ कि पुलिस की मदद से उस आंदोलन को कुचला जाता ! और उन्ही सत्ताधारियों नें ४ जून २०११ को शांतिपूर्ण अहिंसात्मक आंदोलन में भाग ले रहे सोते हुए लोगों पर कारवाई करवा कर मानों कोई बहुत बड़ा किला फतह कर लिया हो !

देश में समझदार लोगों के लिए जिस तरह से २५ जून १९७५ का दिन लोकतंत्र पर सवालिया निशान बनकर खड़ा है वैसे ही यह चार जून २०११ का दिन भी हमेशा के लिए लोगों को झकझोरता रहेगा और हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक सवालिया निशान बनकर खड़ा रहेगा !   

14 टिप्‍पणियां :

रविकर ने कहा…

कटु सत्य-
शुभकामनायें आदरणीय-

शिवम् मिश्रा ने कहा…

शर्म फिर भी इन को नहीं आती ... :(

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…


इस सरकार से देश हित की उम्मीद करना हथेली आर बाल उगने की उम्मीद करना है
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Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

आज ०४/०६/२०१३ को आपकी यह पोस्ट ब्लॉग बुलेटिन - काला दिवस पर लिंक की गयी हैं | आपके सुझावों का स्वागत है | धन्यवाद!

Unknown ने कहा…

सही कहा आपने पूरण जी इस सरकार में शर्म है ही नहीं।

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार आदरणीय !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष आभार !!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

यहां हमारा मतभेद है पूरण जी..

मैं आज तक तय नहीं कर पाया कि रामदेव आखिर हैं क्या ? योगगुरू हैं, संत हैं, व्यापारी हैं, सन्यासी हैं, आयुर्वेदाचार्य हैं, उद्यमी हैं, क्या हैं। अगर इमानदारी से कहा जाए तो उनके योग में दोष है, दावे के साथ सन्यासी उन्हें कोई नहीं कह सकता, आयुर्वेद की एवीसीडी नहीं जानते। हां व्यापारी के गुण हैं।

बहरहाल मैं तो यही मानता हूं। आपके विचार अलग हैं, जरूर आपने कुछ अनुभव किया होगा।

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

महेंद्र जी , बाबा रामदेव को लेकर आपके और हमारे मतभेद हो सकते हैं जिसका जिक्र मैंने अपने आलेख में भी किया है लेकिन मैंने यहाँ अपना आलेख रामलीला मैदान में पुलिसिया कारवाई को लेकर था ! वैसे मेरी नजर में बाबा रामदेव नें कुछ गलत किया नहीं है ! सरकार अपनी सारी सरकारी एजेंसियों को बाबा रामदेव के पीछे लगा चुकी थी लेकिन कुछ भी हासिल नहीं कर पायी है ! अगर में मान भी लूँ कि बाबा व्यापारी है तो भी उन्होंने आयुर्वेद और योग को लेकर लोगों को जागृत किया है ! भ्रष्टाचार और कालेधन की लड़ाई वो बराबर लड़ ही रहे हैं ! अगर बाबा रामदेव ज़रा से भी कहीं से गलत होते तो यह सरकार उनको कब की सलाखों के पीछे पहुंचा देती ! खैर अपनी अपनी सोच है !
आभार !!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बेशर्म हैं.

रामराम.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (05-06-2013) के "योगदान" चर्चा मंचःअंक-1266 पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

ताऊ राम राम ,आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सहर्ष सादर आभार आदरणीय !!