शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

हिंदी पंचांग वाला विजेट आप भी अपने ब्लॉग पर लगा सकते हैं !!

मैनें अपने ब्लॉग पर हिंदी पंचांग वाला विजेट लगा रखा है लेकिन मुझे यह विजेट और किसी ब्लॉग पर नजर नहीं आया ! वैसे यह विजेट गूगल विजेट पर उपलब्ध है लेकिन वहाँ से यह ब्लोगर पर आसानी से नहीं आ पाता है और शायद यही कारण रहा होगा जिससे किसी के ब्लॉग पर यह विजेट नहीं है ! इसलिए मैंने सोचा कि में उन लोगों कि परेशानी दूर कर दूँ जो इस विजेट को लगाना तो चाहते हैं लेकिन लगा नहीं पाते हैं ! इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है बस विजेट जोड़ें में जाकर एचटीएमएल विजेट में निचे दिए गये कोड को डालकर सेव कर लीजिए ! बस आपका हिंदी पंचांग वाला विजेट आपके ब्लॉग पर दिखने लगेगा ! उसके बाद आप इसको मनपसंद जगह पर व्यवस्थित कर लीजिए ! 






जो लोग अंग्रेजी कलेंडर वाले विजेट को अपने ब्लॉग पर लगा रखा है उनके लिए भी यह अच्छा विजेट है क्योंकि इसमें अंग्रेजी कलेंडर वाली सारी सामग्री प्रदर्शित होती है और साथ में हिंदी पंचांग वाली सामग्री भी प्रदर्शित होती है ! और यह बहुत हल्का विजेट है जो आपके ब्लॉग को खुलने में लगने वाले समय में बिलकुल भी इजाफा नहीं करता है तो क्यों नहीं इस विजेट को अपने ब्लॉग पर लगाया जाए !

गुरुवार, 31 जनवरी 2013

प्रवीण पाण्डेय जी एक अच्छा आलेख !!

ताकि सुरक्षित रहे आधी आबादी
( प्रवीण पाण्डेय जी के ब्लॉग " न दैन्यं न पलायनम् " पर यह लेख पोस्ट हुआ है जो लेखन और विचार दोनों दृष्टियों से उच्च कोटि का लेख है इस लेख को आप उनके ब्लॉग पर जाकर पढ़ सकते हैं !! )

रविवार, 21 अक्तूबर 2012

मन्त्र शक्ति मात्र एक ढकोसला नहीं बल्कि विज्ञान है !!


मंत्र ध्वनि-विज्ञान का सूक्ष्मतम विज्ञान है मंत्र-शरीर के अन्दर से सूक्ष्म ध्वनि को विशिष्ट तरंगों में बदल कर ब्रह्मांड में प्रवाहित करने की क्रिया है जिससे बड़े-बड़े कार्य किये जा सकते हैं ! प्रत्येक अक्षर का विशेष महत्व और विशेष अर्थ होता है ! प्रत्येक अक्षर के उच्चारण में चाहे वो वाचिक,उपांसू या मानसिक हो विशेष प्रकार की ध्वनि निकलती है तथा शरीर में एवं विशेष अंगो नाड़ियों में विशेष प्रकार का कम्पन पैदा करती हैं जिससे शरीर से विशेष प्रकार की ध्वनि तरंगे निकलती है जो वातावरण-आकाशीय तरंगो से संयोग करके विशेष प्रकार की क्रिया करती हैं ! विभिन्न अक्षर (स्वर-व्यंजन) एक प्रकार के बीज मंत्र हैं ! 

विभिन्न अक्षरों के संयोग से विशेष बीज मंत्र तैयार होते है जो एक विशेष प्रकार का प्रभाव डालते हैं, परन्तु जैसे अंकुर उत्पन्न करने में समर्थ सारी शक्ति अपने में रखते हुये भी धान,जौ,गेहूँ अदि संस्कार के अभाव में अंकुर उत्पन्न नहीं कर सकते वैसे ही मंत्र-यज्ञ आदि कर्म भी सम्पूर्ण फलजनित शक्ति से सम्पन्न होने पर भी यदि ठीक-ठीक से अनुष्ठित न किये जाय तो कदापि फलोत्पादक नहीं होते हैं ! घर्षण के नियमों से सभी लोग भलीभातिं परिचित होगें ! घर्षण से ऊर्जा आदि पैदा होती है ! मंत्रों के जप से भी श्वास के शरीर में आवागमन से तथा विशेष अक्षरों के अनुसार विशेष स्थानों की नाड़ियों में कम्पन(घर्षण) पैदा होने से विशेष प्रकार का विद्युत प्रवाह पैदा होता है, जो साधक के ध्यान लगाने से एकत्रित होता है तथा मंत्रों के अर्थ (साधक को अर्थ ध्यान रखते हुए उसी भाव से ध्यान एकाग्र करना आवश्यक होता है) के आधार पर ब्रह्मांड में उपस्थित अपने ही अनुकूल उर्जा से संपर्क करके तदानुसार प्रभाव पैदा होता है ! 

बुधवार, 1 अगस्त 2012

आयुर्वेद !!


आयुर्वेद दुनिया की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में से एक है कहते है की आयुर्वेद का ज्ञान भगवान ब्रह्मा द्वारा प्रदान किया गया है जो ब्रह्म जी से प्रजापति को ,प्रजापति से अश्वनीकुमारों ने ,अश्वनीकुमारों से इंद्र ने और इंद्र से भारद्वाज ऋषि ने आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त किया !! पुरातत्ववेताओं ने संसार की सबसे प्राचीन पुस्तक ऋग्वेद को माना है विभिन्न विद्वानों ने इसका निर्माण ईशा से ३००० से ५०००० वर्ष पूर्व माना है ! ऋग्वेद में भी आयुर्वेद के सिद्धांत मिल जाते है जो आयुर्वेद की प्राचीनता को साबित करते है और यह माना जा सकता है कि आयुर्वेद सृष्टि के आरम्भ से या उसके आस पास के समय से विधमान है !!
आयुर्वेद का मूल अर्थ है "जीवन का ज्ञान" जो जीवन जीने का एक ऐसा विज्ञान है जो बीमारियों से बचाने का उपाय बताता है जिसको पालन करने से रोग आपके नजदीक ही नहीं आ सकता है अगर दुर्भाग्यवश रोग हो भी जाए तो रोगों को दूर करने के उपाय भी बताता है तथा विश्व की सारी चिकित्सा प्रणालियों ने आयुर्वेद के विचारों में से कुछ ना कुछ लिया है जो आयुर्वेद की महता को दर्शाता है !!
आयुर्वेद में रोग होने के पश्चात रोग परिक्षण की विधियां,रोगोपचार और खान पान के बारे में विस्तृत रूप से दिया गया है जो निश्चित रूप से इसके समृधिशाली चिकित्सा विज्ञान होने को प्रमाणित करता है लेकिन दुर्भाग्य से विदेशी आक्रमणों के कारण महत्वपूर्ण जानकारियों के खो जाने के कारण तथा आजादी के पश्चात सरकारों का उदासीन रवैये के कारण इसकी नयी खोजों के ना होने के कारण यह चिकित्सा विज्ञान भारत में और विश्व में वो स्थान नहीं पा सका जिसका वो हकदार है !!

रविवार, 15 जुलाई 2012

गूगल इमे हिंदी लिखने का आसान तरीका


जो लोग विन्डोज़ का इस्तेमाल करते है उनके लिए गूगल इमे हिंदी लिखने का सबसे आसान तरीका है जिसको केवल एक बार आपको यहाँ से लोड करना है उसके बाद वहाँ पर एक ऐसी विंडो खुलेगी इसमें से बस आपको यह करना है कि आप अपनी भाषा हिंदी चुन ले उसके बाद अगर आप विंडोज एक्सपी का इस्तेमाल करते है तो ३२ बिट पर क्लिक करें और अगर आप विडोज सेवन का इस्तेमाल करते है तो आप ६४ बिट पर क्लिक करके इंस्टालर डाउनलोड करले फिर पहले आप अपने कंप्यूटर के सेट्टिंग-कंट्रोल पैनल-रीजनल-लेंग्वेज-लेंग्वेज पर क्लिक करके देख ले कि आपकी रीजनल भाषा का ओप्शन स्वीकार किया हुआ है कि नहीं अगर नहीं है तो वहाँ पर जो दोनों ओप्शन को क्लिक करना है लेकिन यहाँ पर अप्लाई करने के साथ ही आपसे विन्डोज़ की सीडी मांगेगा आपका कंप्यूटर इसलिए विन्डोज़ की सीडी लगा दे और उसको लोकेशन दिखा दे बस वहाँ से कुछ ही देर में आपकी रीजनल लेंग्वेज के लिए आपका कंप्यूटर तैयार हो गया !!