सरकार और कांग्रेस जिस रास्ते पर चल रही है वो अघोषित आपातकाल नहीं तो और क्या है सुब्रहण्यम स्वामी पर ये दूसरा हमला है और इससे पहले अन्ना हजारे पर दो बार ,बाबा रामदेव पर कई बार कांग्रेस कार्यकर्ता हमले कर चुके है आखिर ये क्या दर्शाता है क्या कांग्रेस के पास अपने विरोधियों को जवाब देने के लिए यही तरीका बचा है ! क्या कांग्रेस इसी लोकतंत्र में विश्वास करती है और अगर कांग्रेस इसी लोकतांत्रिक तरीके से जवाब देने का मन बना चुकी है तो वाकई ये हालात राजा रजवाडों के जमाने से भी बुरे है !
दूसरी और घोटालों से घिरी सरकार ये मानकर चल रही है की चाहे जितना जनता और विपक्ष चिल्लाये उसको कोई फर्क नहीं पड़ता और वो घोटाले करती रहेगी उसको पांच साल का इस देश को लूटने का लाईसेंस मिला हुआ है दूसरी और सरकार ने आसाम हिंसा के बाद फैली अफवाहों को बहाना बनाकर उन लोगों के फेसबुक और ट्विट्टर के पेज बंद करवा दिए वो भी बिना ये बताए की इन लोगों ने आईटी एक्ट की किस धारा का उलंघन किया है जबकि होना ये चाहिए था की सरकार उन लोगों के बारे में जानकारी मांगती और कारवाई करती जिन्होंने अफवाहें फैलाई लेकिन सरकार को तो इस बहाने अपने सक्रिय विरोधियों पर लगाम लगानी थी और आनन् फानन में पहले से बनी हुयी लिस्ट में कुछ नए नाम जोड़कर कंपनियों को दे दिया की इन पेजों को बंद करो और साथ में ये हिदायत भी की इन पेजों का कोई रेकोर्ड नहीं रखा जाये इसका सीधा अर्थ यह है की अगला अदालत में इस फैसले को चुनोती दे तो उस पेज का रिकोर्ड नहीं रहने से वो कैसे साबित कर पायेगा की उसके पेज पर ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड सकता था !! अब कोयले घोटाले को ही लीजिए इस देश के वित् मंत्री ने कल कहा कि कोयला आवंटन में देश को किसी भी तरह का नुकशान नहीं हुआ है क्योंकि जिन कंपनियों को आवंटन किया गया है उन्होंने खनन कार्य किया ही नहीं है अब इसको देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वित् मंत्री को ये नहीं दिखाई देता कि जिन कंपनियों ने कोयला के ब्लोक हासिल किये थे उन कंपनियों के शेयरों में अचानक से उछाल आ गया और उन कंपनियों ने उतना कमा लिया जितना वो खनन करती तो भी नहीं कमा सकती थी और ये सारा पैसा इसी देश के निवेशकों कि मेहनत का गया था वैसे भी वित्त मंत्री का बयान ठीक उसी तरह का है जैसे कोई ट्रेन में बम रखने वाला कहे कि बम तो उसने रखा था लेकिन बम फटा तो नहीं था तो सजा किस बात की ! सरकार ने आधिकारिक तौर पर आपातकाल कि घोषणा नहीं की है लेकिन वो जिस कार्यशेली या जिस मानसिकता का परिचय दे रही है वो आपातकाल से मिलती जुलती ही है और इसको अघोषित आपातकाल क्यों नहीं माना जाना चाहिए वैसे भी सरकार ने पिछली साल आधी रात को सोये हुए लोगों पर लाठीचार्ज करवा कर जिस मानसिकता का परिचय दिया था मुझे पता नहीं उसको किस श्रेणी में रखा जा सकता है क्योंकि वैसा तो आपातकाल में भी नहीं होता है !!
दूसरी और घोटालों से घिरी सरकार ये मानकर चल रही है की चाहे जितना जनता और विपक्ष चिल्लाये उसको कोई फर्क नहीं पड़ता और वो घोटाले करती रहेगी उसको पांच साल का इस देश को लूटने का लाईसेंस मिला हुआ है दूसरी और सरकार ने आसाम हिंसा के बाद फैली अफवाहों को बहाना बनाकर उन लोगों के फेसबुक और ट्विट्टर के पेज बंद करवा दिए वो भी बिना ये बताए की इन लोगों ने आईटी एक्ट की किस धारा का उलंघन किया है जबकि होना ये चाहिए था की सरकार उन लोगों के बारे में जानकारी मांगती और कारवाई करती जिन्होंने अफवाहें फैलाई लेकिन सरकार को तो इस बहाने अपने सक्रिय विरोधियों पर लगाम लगानी थी और आनन् फानन में पहले से बनी हुयी लिस्ट में कुछ नए नाम जोड़कर कंपनियों को दे दिया की इन पेजों को बंद करो और साथ में ये हिदायत भी की इन पेजों का कोई रेकोर्ड नहीं रखा जाये इसका सीधा अर्थ यह है की अगला अदालत में इस फैसले को चुनोती दे तो उस पेज का रिकोर्ड नहीं रहने से वो कैसे साबित कर पायेगा की उसके पेज पर ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड सकता था !! अब कोयले घोटाले को ही लीजिए इस देश के वित् मंत्री ने कल कहा कि कोयला आवंटन में देश को किसी भी तरह का नुकशान नहीं हुआ है क्योंकि जिन कंपनियों को आवंटन किया गया है उन्होंने खनन कार्य किया ही नहीं है अब इसको देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वित् मंत्री को ये नहीं दिखाई देता कि जिन कंपनियों ने कोयला के ब्लोक हासिल किये थे उन कंपनियों के शेयरों में अचानक से उछाल आ गया और उन कंपनियों ने उतना कमा लिया जितना वो खनन करती तो भी नहीं कमा सकती थी और ये सारा पैसा इसी देश के निवेशकों कि मेहनत का गया था वैसे भी वित्त मंत्री का बयान ठीक उसी तरह का है जैसे कोई ट्रेन में बम रखने वाला कहे कि बम तो उसने रखा था लेकिन बम फटा तो नहीं था तो सजा किस बात की ! सरकार ने आधिकारिक तौर पर आपातकाल कि घोषणा नहीं की है लेकिन वो जिस कार्यशेली या जिस मानसिकता का परिचय दे रही है वो आपातकाल से मिलती जुलती ही है और इसको अघोषित आपातकाल क्यों नहीं माना जाना चाहिए वैसे भी सरकार ने पिछली साल आधी रात को सोये हुए लोगों पर लाठीचार्ज करवा कर जिस मानसिकता का परिचय दिया था मुझे पता नहीं उसको किस श्रेणी में रखा जा सकता है क्योंकि वैसा तो आपातकाल में भी नहीं होता है !!
2 टिप्पणियां :
Congress party has gone mad. They are traitors.
कांग्रेस पार्टी का जन्म ही अंग्रेजोँ के हितोँ की रक्षा करने के लिए हुआ था । अब ये पार्टी देश का बेड़ा गर्क करके ही रहेगी । इसकी लोकतन्त्र में कतई निष्ठा नहीँ है ।
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