मैंने अपने लेख "शहीदों के सपनों का भारत क्या बना है " में इस बात का जिक्र किया था कि आजादी के बाद भारतीयों को आजादी के नाम पर कुछ मिला है तो वो है अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता लेकिन अब तो ऐसा लगने लगा है कि हमारी सरकार उस पर भी पाबन्दी लगाने की कोशिशें कर रही है और जो भी लोग सरकार और कांग्रेस के विरोधी है उनकी अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता पर लगातार हमले किये जा रहे है !
जिस तरह से पहले सोशल मीडिया से साम्प्रदायिक सद्भाव को खतरा बताकर फेसबुक और ट्विट्टर से उन लोगों के पेज हटवाए गए जो लोग सरकार विरोधी थे और अब असीम त्रिवेदी वाला मामला है जिन पर देशद्रोह का मामला लगाकर उनको जेल भेजा गया है ! इन दोनों मामलों में सरकार की मंशा साफ़ दिखाई दे रही है कि वो येन केन प्रकारेण अपने विरोधियों का मुहं बंद करना चाहती है !
में आपको याद करवाना चाहता हूँ कि इसी पार्टी कि सरकार ने जब मकबूल फ़िदा हुसैन ने हिंदू देवी देवताओं और भारत माता की आपतिजनक तस्वीरें बनायी थी और जब हिंदू संगठनों ने विरोध किया तब कलाकार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला दिया था तो आज जब कार्टूनिस्ट ने ऐसा किया तो सरकार को इसमें देशद्रोह नजर आ रहा है जबकि दोनों ही कलाकार है तो सरकार के ये अजब गजब फार्मूले किसी कि समझ में नहीं आ रहे हैं !
और असीम के मामले में कहा जा रहा है कि उन्होंने राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने का अपराध किया है अगर यह सच भी है तो भी ऐसे बाकी सब लोगों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज क्यों नहीं दर्ज किया है जिनमे खेल जगत,फिल्म जगत और राजनीती से जुड़े हुए भी कई लोग है ! तो फिर असीम पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा क्यों दर्ज किया गया है ! इससे साफ़ पता लगता है कि सरकार को राष्ट्रचिन्हों कि उतनी चिंता नहीं है बल्कि सरकार का उद्द्येश्य केवल अपने विरोधियों पर लगाम लगाना है !
में इस बात का समर्थक हूँ कि किसी को भी केवल विवादित होकर प्रसिद्धि पाने के लिए लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी चाहिए और जो भी ऐसा करते उनके विरुद्ध निसंदेह कारवाई होनी चाहिए लेकिन पक्षपातपूर्ण कारवाई का में विरोध करता हूँ जबकि सरकार इन मामलों में पक्षपातपूर्ण तरीके से कारवाई कर रही है किसी के ऊपर तो कोई कारवाई ही नहीं होती है और किसी पर राष्ट्रद्रोह लगा दिया जाता है !!
जिस तरह से पहले सोशल मीडिया से साम्प्रदायिक सद्भाव को खतरा बताकर फेसबुक और ट्विट्टर से उन लोगों के पेज हटवाए गए जो लोग सरकार विरोधी थे और अब असीम त्रिवेदी वाला मामला है जिन पर देशद्रोह का मामला लगाकर उनको जेल भेजा गया है ! इन दोनों मामलों में सरकार की मंशा साफ़ दिखाई दे रही है कि वो येन केन प्रकारेण अपने विरोधियों का मुहं बंद करना चाहती है !
में आपको याद करवाना चाहता हूँ कि इसी पार्टी कि सरकार ने जब मकबूल फ़िदा हुसैन ने हिंदू देवी देवताओं और भारत माता की आपतिजनक तस्वीरें बनायी थी और जब हिंदू संगठनों ने विरोध किया तब कलाकार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला दिया था तो आज जब कार्टूनिस्ट ने ऐसा किया तो सरकार को इसमें देशद्रोह नजर आ रहा है जबकि दोनों ही कलाकार है तो सरकार के ये अजब गजब फार्मूले किसी कि समझ में नहीं आ रहे हैं !
और असीम के मामले में कहा जा रहा है कि उन्होंने राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने का अपराध किया है अगर यह सच भी है तो भी ऐसे बाकी सब लोगों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज क्यों नहीं दर्ज किया है जिनमे खेल जगत,फिल्म जगत और राजनीती से जुड़े हुए भी कई लोग है ! तो फिर असीम पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा क्यों दर्ज किया गया है ! इससे साफ़ पता लगता है कि सरकार को राष्ट्रचिन्हों कि उतनी चिंता नहीं है बल्कि सरकार का उद्द्येश्य केवल अपने विरोधियों पर लगाम लगाना है !
में इस बात का समर्थक हूँ कि किसी को भी केवल विवादित होकर प्रसिद्धि पाने के लिए लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी चाहिए और जो भी ऐसा करते उनके विरुद्ध निसंदेह कारवाई होनी चाहिए लेकिन पक्षपातपूर्ण कारवाई का में विरोध करता हूँ जबकि सरकार इन मामलों में पक्षपातपूर्ण तरीके से कारवाई कर रही है किसी के ऊपर तो कोई कारवाई ही नहीं होती है और किसी पर राष्ट्रद्रोह लगा दिया जाता है !!
1 टिप्पणी :
यही सच है.हमारे महान देश के इन कर्णधारों (नेताओं )का पूरण जी,आलेख के लिए आभार.
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