रविवार, 7 अक्तूबर 2012

महात्मा गांधी जी के आदर्श क्या अब बेमानी हो गए !!


जो  पार्टी  और उसके  लोग अपने  को गांधी का असली  उतराधिकारी मानते  हैं  और गांधीजी  के नाम पर अपनी राजनिति कि रोटियां सकते हैं और जिन्होंने गांधीजी के नाम पर आजादी के बाद सबसे ज्यादा सत्ता का सुख भोगा है उन्हीं ने गांधीजी के साथ सबसे बड़ा अन्याय किया और गांधीजी के असली हत्यारे यही है क्योंकि गोडसे जी तो केवल गांधीजी के नश्वर शरीर को ही मार पाए थे लेकिन गांधीजी के आदर्शों के  मौत के जिम्मेदार ये ही लोग हैं जिन्होंने गांधीजी के नाम का सबसे ज्यादा फायदा उठाया है !!


गांधीजी शराब के सख्त खिलाफ थे और वे भारत में शराब बंदी चाहते थे लेकिन आज आजाद भारत में ये हालात है कि गुजरात को छोडकर पुरे भारत में कहीं भी शराब बंदी लागू नहीं है और दिखावे के लिए  केवल ३० जनवरी और २ अक्टूम्बर को शराब कि दुकानों को बंद करवा देते है और बाकी साल के दिनों में धडल्ले से शराब मिलती है वाह रे गांधीजी के नाम पर सत्ता का सुख भोगने वालों फिर ये केवल दो दिन के लिए नौटंकी करने कि क्या जरुरत है अगर वाकई गांधीजी का सपना पूरा करना है तो पुरे भारत में एक बार ही बंद कर दीजिए कानून बनाकर !!

गांधीजी स्वदेशी के प्रबल समर्थक थे और इसके लिए विदेशी वस्तुओं कि होली जलाने जैसा आव्हान भी किया और चरखे पर सूत भी काता लेकिन आज उन्ही गांधीजी के ये तथाकथित वंशंजों के लिए गांधीजी के वे आदर्श बेमानी हो रहे हैं और विदेशी कंपनियों को भारत में लाने के लिए पलक पांवड़े बिछा रहे हैं क्या यही है गांधीजी के आदर्शों का सम्मान ! यहाँ सवाल ये भी उठता है कि क्या स्वदेशी के प्रबल समर्थक गांधीजी सही थे या फिर आज के गांधीजी के उतराधिकारी क्योंकि दोनों तो सही हो नहीं सकते और एक को गलत होना ही पड़ेगा !!
गांधीजी अहिंसावादी थे और अहिंसा का पुरजोर समर्थन करते थे लेकिन आज उन्ही के नाम पर सत्ता सुख भोगने वाले लोग भारत को सबसे बड़ा गौमांस  निर्यातक बनाने का सपना पाले हुए हैं क्या यही था गांधीजी का सपना और क्या ये लोग गांधीजी के सपने को ही पूरा करने में लगे हैं !!

जो लोग अपने आपको गांधीजी के असली वारिस कहते हैं और गांधीजी के नाम पर सत्ता सुख भोगा है वही असल में गांधीजी के असली हत्यारे हैं क्योंकि किसी भी महापुरुष के आदर्श मर जाते हैं तभी उसकी असली मौत होती है वर्ना तो उसका नश्वर शरीर मिट जाता है इसलिए आज के ये तथाकथित गांधीजी के वंशज नाथूराम गोडसे से ज्यादा गांधीजी के गुनाहगार है और गोडसे को तो अपने किये कि सजा मिल गयी लेकिन इनको कब मिलती है इसका फैसला भारत कि जनता को करना होगा !!

1 टिप्पणी :

virendra sharma ने कहा…

ram ram bhai
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सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे

ये गांधी के नाम को हथियाने वाले उपनाम धारी गाँधी ही असली दोषी हैं .

ram ram bhai
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सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे