सरकारी
आंकडो के अनुसार इस समय देश में चार हजार से अधिक वैध और तीस हजार से अधिक अवैध
बड़े कत्लखाने चल रहें हैं और अगर सरकारी आंकडों को एक तरफ रखकर एक अन्य स्वतंत्र
आंकलन की बात की जाये तो अकेले दिल्ली में लगभग ग्यारह हजार और देश में छ: लाख से
अधिक छोटे बड़े कत्लखाने चल रहें हैं जिनमें करोड़ों अन्य जीवों के साथ सालाना एक
करोड़ से भी ज्यादा गोवंश का भी क़त्ल होता है जो निश्चित ही हिंदू भावनाओं के खिलाफ
तो है ही साथ ही “अहिंसा परमो धर्म” के आदर्श वाक्य का भी मखौल उड़ाता
है !!
आज
भारत पुरे विश्व में सबसे बड़ा गाय और भेंस के मांस के निर्यातक देश बन गया है जो
सालाना पन्द्रह लाख टन से अधिक है और सरकारी आंकडों के अनुसार भारत में लगभग बारह
लाख टन सालाना केवल गौमांस का उत्पादन होता है जो “गावो
विश्वस्य मातर:“ और गाय को माँ मानने वाले
भारतियों के लिए इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है !!
सदियों
से जिस देश की समृद्ध अर्थव्यवस्था गौधन और कृषि पर आधारित थी और घी और दूध की
नदियाँ बहती थी आज उसी देश में दुर्भाग्य से निर्दोष प्राणियों के खून की नदियाँ
बहती है और भारत माता के माथे पर गौहत्या का कलंक मढ़ा जा रहा है! आखिर क्यों कुछ रुपयों
के लालच में गौवंश की हत्या की जा रही है अगर रासायनिक खादों की जगह गौवंश की खाद
का उपयोग ही किया जाये तो एक गाय अपने जीवन में उससे ज्यादा आमदनी दे देती है
जितना उसको काटकर मिलता है और उससे मिलने वाले दुग्ध और अन्य उत्पाद अलग है !!
आज
जरुरत है भारत के रसायन वैज्ञानिकों द्वारा वेदों और आयुर्वेद शास्त्रों की मदद
लेकर गौदुग्ध और उसके अन्य उत्पादों पर शोध करने की और उसके आधार पर जीवन रक्षक
औषधियों का निर्माण करके शुद्ध पूंजी अर्जित करने की बजाय इसके की गौहत्या करके
पूंजी अर्जित की जाये और कुछ विकसित राष्ट्रों के रसायन वैज्ञानिकों ने इस दिशा
में पहल भी की है और गोदुग्ध में पाए जाने वाले अनमोल तत्वों रिबोफ्लेविन,केरीटीन,अमीनो
एसिड्स,एंजाइम,लेक्टोज द्वारा निर्मित उत्पादों पर शुद्ध पूंजी अर्जित कर रहें है
आज हमको भी उसी दिशा में आगे बढ़ने की जरुरत है !!
हमारी
सरकार को तत्काल गौहत्या पर तो प्रतिबन्ध लगा ही देना चाहिए और अपनी मांस निर्यात
निति पर भी एक बार पुन: विचार करना चाहिए ताकि जीव हत्या और गौहत्या का यह कलंक
भारत माता पर ना लगे !!
5 टिप्पणियां :
भाई पूरण खण्डेलवाल जी सादर नमस्कार
भाई जी आपने गाय माता व उनके ऊपर हो रहै अत्याचार के ऊपर जो कुछ भी जानकारियाँ दी है वास्तव में सराहनीय हैं किन्तु भाई जी वस्तुतः भारत का दुर्भाग्य है कि कोई भी सही कार्य भारत में असंभव सा लगता है जवकि वह हिन्दु भावनाओं को शामिल करता हो क्योंकि मेने जो लैख लिखा है अपने राष्ट्रधर्म पर शीर्षक है कि भारत को न अजमल कसाव न अफजल गुरु बरबाद कर सकते है भारत को बरबाद कर रहै है काटजू जैसे पढ़े लिखे भारतीय,लिंक हैं rastradharm.blogspot.in/2012/11/blog-post_9784.html को पढ़ने पर पता चलेगा कि वास्तव में हमारे देश का सम्पूर्ण विनाशक नहैरु खुद अपने हाथों हमारे लोगों के लिए एक विष विबुक्षित ग्रंथ जिसका नाम है भारत एक खोज (जिसमें भारत की खोज उस कालनेमि नहेरु ने ही की थी)छोड़ गया है जिसका प्रयोग हमारी शिक्षा पद्धति ने भरपूर किया है औऱ हमारे देश के पढ़े लिखे लोगों को पूर्ण रुप से भारत विरोधी बना दिया है जो किसी भी बात का अर्थ लगाए बिना ही भारत का बिरोध करने लगते हैं तो बन्धु हमारे विचारों को बदले विना तो गोहत्या पर प्रतिबन्ध लगना शायद असंभव सा ही लगता है।इसलिए पहले तो हिन्दु समाज में आपका शंखनाद करके मेरा रा्ष्ट्रधर्म पैदा कर लें तब ही गौहत्या पर प्रतिबन्ध लग सकेगा हाँ आपका लेख सराहनीय ही नही समय के लिए लोगो को वास्तव में अधिक जानकारी देने बाला है।गौपाष्टमी के अवसर पर लोगों में गाय के प्रति जागरुक बनाने के लिए बारबार धन्यबाद
Hindu(Brahmin) care for a pitty a animal. But they newer bother about Dalit and OBC of India. Who r buthchered . They denied basic right of education , food etc. but they mislead the whole world . No other religion care for animal, but they care for its People.Exept Hindusim. Hence GOD did not spread HInduism, but Islam and Christain spread in whole the world.
सही कह रहे हैं आप .सार्थक प्रस्तुति बधाई -[कौशल] आत्महत्या -परिजनों की हत्या [कानूनी ज्ञान ]मीडिया को सुधरना होगा
sharm aani chahiye sarkaar ko jiske raaj mein go-hatya ho rahi hai !
भाई एक लेख मेने अभी गायो की समस्या पर राष्ट्रधर्म पर डाला है कृपया पढे़ तथा टिप्पणी दें।
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