आजकल हर कोई आधुनिक या मोर्डन बनना चाहता है या यूँ कहें आधुनिक या मोर्डन दिखना चाहता है लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आधुनिक बनने या फिर दिखने का पैमाना क्या हो और अभी जिन बातों को हम आधुनिक होने का प्रतिक मान रहें है क्या वो सही है या फिर बिना सोचे समझे अंधी नक़ल कर रहें हैं !
क्या उलजुलूल या कम कपड़ें पहनने को आधुनिकता का पैमाना माना जा सकता है जिसका रुझान आज के युवाओं में देखा जा रहा है ! या फिर अंग्रेजी बोलना क्या आधुनिकता का पैमाना माना जा सकता है ! असल में सवाल यह नहीं है कि आधुनिक होने के पैमाने क्या हो बल्कि सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर हमारा युवा आधुनिक बनना चाहता है या फिर आधुनिक दिखने कि भेड़चाल में शामिल होना चाहता है ! दरअसल यह आधुनिक दिखने कि हौड़ का जन्मदाता सिनेमा और विज्ञापन जगत है जो बाजार को फायदा पहुंचाने के लिए कपड़ों और अन्य दैनिक उपयोग कि वस्तुओं को आधुनिकता से जोड़कर दिखाता है और युवा वर्ग इस सोच के चंगुल में फंसता जा रहा है !!
आधुनिक होने का पैमाना आपकी सोच होती है जो आपके कार्यकलापों और व्यवहार से झलकती है और उसके लिए ना तो दिखावा करने कि जरुरत है और नां ही आप दिखावा करके अपने आपको आधुनिक साबित कर सकते है क्योंकि हर जगह आपका व्यवहार और कार्यशैली आपके दिखावे पर भारी पड़ जाएगा इसलिए ये जो आधुनिक दिखने कि जो भेडचाल है यह अपने मुहं मियां मिठठू बनने के सिवा और कुछ नहीं है ! उलटे इस दिखावे कि आधुनिकता से कुछ समस्याएं और उत्पन हो रही हैं !!
अगर आप बस में जा रहें हैं और आपके पिताजी कि उम्र का कोई आदमीं का हाथ आपके लग गया उस समय आप उसे अंग्रेजीं में अच्छी अच्छी गालियाँ दे रहें है तो आप भले ही दिखने में आधुनिक हो अंग्रेजी में अच्छे धाराप्रवाह में गालियाँ भी दे सकते हैं तो क्या आप आधुनिक समझे जायेंगे , जी नहीं आधुनिक होने का जो पैमाना है वो आपकी सोच और आपका व्यवहार ही है और कोई भी तरीका आपको आधुनिक नहीं बना सकता है ! इसीलिए आज युवाओं को जरुरत है कि इस बाजार कि इस चाल को समझें और आधुनिक दिखने के मौहजाल में फंसने कि बजाय अपनी सोच को आधुनिक बनाएँ !
10 टिप्पणियां :
Our youth is progressing in wrong direction. They need proper education and guidance.
सब दूषित माहौल का असर है!
चर्चा का बढ़िया विषय-
आभार भाई जी ||
विज्ञापन मीडिया भी, औद्योगिक घरबार |
फिल्म कथानक खेल के, आयोजक सहकार |
आयोजक सहकार, अजब सा जोश भरे हैं |
अपने वश में नहीं, नशें में ही विचरे हैं |
युवा-वर्ग बेताब, उसे सब कुछ है पाना |
बहा रहा सैलाब, उखाड़े पैर जमाना ||
सही कहा आपने...
शुक्रिया आपकी टिपण्णी का nishchya hi aadhunik honaa dikhaau honaa nahin hai .
Exhibitionism is not modernity.
निश्चय ही आधुनिक होना दिखाऊ होना नहीं है .
यह तो बाहरी लिबास है सबको आज़ादी है वह सिक्स पेक्स एब दिखाए या अपने एसेट्स ,वक्ष प्रदेश दिखाए या नाभि दर्शन कराए .असल बात है आपकी उठ बैठ आपकी जानकारी आपकी वाणी का
ओज .आपका आत्म विश्वास ,मात्र पैरहन नहीं बढ़ा सकता इस आत्म विश्वास को .बढ़िया पोस्ट .
बढ़िया पोस्ट .बेशक कौन कितनी स्किन दिखाना चाहता है यह मुद्दा ही नहीं है .यह तो सहज बदलाव है .आधुनिक होना विज्ञान सम्मत ,तर्क संगत ,बोध संगत होना है .
आधुनिक दिखने बजाय अपनी सोच को आधुनिक बनाएँ !
recent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,
बढ़िया सन्देश दे रहा है युवाओं को आपका यह आलेख !
सतप्रतिशत सहमत हूँ आपकी बातों से....
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