शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

सबको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभेच्छा !!

लाखों शहीदों के बलिदान और यातनाएं सहने के बाद जो आजादी हमको १५ अगस्त १९४७ को मिली थी और उसी आजादी के बदौलत २६ जनवरी १९५० को इस देश के संविधान को अंगीकार किया गया जिसके यादस्वरूप ही हम इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते है !

गणतंत्र दिवस को आज के मायने में देखे तो सबकुछ आज भी सही नहीं है ! सता से जुड़े दलों ने जनता को निराश ही किया है ! गण (जनता ) और तंत्र (सता ) एक दूसरे से दूर होते जा रहें है ! गण अपना भरोसा तंत्र पर से खोता जा रहा है ! कृषि प्रधान  देश का किसान बेहाल है ! नक्सलवाद की समस्या देश के सामने मुहं बाए खड़ी है ! राजनीति के मायने निज स्वार्थों के आधार पर बदले जा रहें है ! भ्रष्टाचार की समस्या सुरसा के मुहं की तरह बढती ही जा रही है इसलिए गणतंत्र दिवस मनाकर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेना कहाँ तक सही होगा !

अगर सही अर्थों में गणतंत्र  को साकार करना है तो सबसे पहले तंत्र को गण का भरोसा जितना होगा और अपने ऊपर डगमगाते हुए भरोसे को स्थिर करना होगा और भरोसा बाजार में मिलने वाली वास्तु तो है नहीं की खरीद लिया उसको तो अपने कर्मों के द्वारा ही जीता जा सकता है ! जिस भरोसे को दिल में लिए शहीदों ने आजादी की जंग में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे वो भरोसा आज भी सत्तायें जनता के मन में जगाने में नाकाम रही है और उसी का परिणाम नक्सलवाद के रूप में हमारे सामने आ रहा है !