लाखों शहीदों के बलिदान और यातनाएं सहने के बाद जो आजादी हमको १५ अगस्त १९४७ को मिली थी और उसी आजादी के बदौलत २६ जनवरी १९५० को इस देश के संविधान को अंगीकार किया गया जिसके यादस्वरूप ही हम इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते है !

अगर सही अर्थों में गणतंत्र को साकार करना है तो सबसे पहले तंत्र को गण का भरोसा जितना होगा और अपने ऊपर डगमगाते हुए भरोसे को स्थिर करना होगा और भरोसा बाजार में मिलने वाली वास्तु तो है नहीं की खरीद लिया उसको तो अपने कर्मों के द्वारा ही जीता जा सकता है ! जिस भरोसे को दिल में लिए शहीदों ने आजादी की जंग में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे वो भरोसा आज भी सत्तायें जनता के मन में जगाने में नाकाम रही है और उसी का परिणाम नक्सलवाद के रूप में हमारे सामने आ रहा है !