रविवार, 2 दिसंबर 2012

गुटखे पर लगाई गई पाबंदी से कोई फायदा नजर नहीं आता !!

गुटखे का सेवन  आज हमारी युवा पीढ़ी को खोखला करता जा रहा है और धीरे धीरे इसका सेवन बढ़ता ही जा रहा है ! ऐसे में जब कुछ राज्य सरकारों ने इस पर रोक लगाईं तो एक आशा की किरण नजर आई और ऐसा लगने लगा कि अब तो गुटखे की बिक्री पर कुछ लगाम लग पाएगी ! लेकिन इस पाबंदी का हश्र भी उसी तरह का हुआ जैसा बाकी सरकारी कानूनों और पाबंदियों का होता है और वो सारी आशाएं निराशा में बदल गई और आज भी गुटखे की बिक्री अनवरत जारी है !!

एक तो खाध विभाग में अफसरों की कमी और उदासीनता इस रोक को लागू नहीं होने में बड़ी भूमिका निभा रही है और जिस पैमाने पर छापेमारी करके गुटखे पर लगी रोक को कारगर तरीके से लागू किया जाना चाहिए था वो नहीं हो रही ! केवल शुरूआती दिनों में कुछ छापेमारी करके गुटखे के पाउचों को नष्ट किया गया था उसके बाद खाध विभाग लगता है गहरी नींद में सो गया और आज हालात यह है कि जिस तरह पाबन्दी से पहले गुटखे की बिक्री होती थी उसी तरह से आज हो रही है !!

राज्य सरकारों ने गुटखे के बनाने पर भी रोक लगाईं थी और जाहिर है कि अगर गुटखा बनता ही नहीं तो बिकता कैसे लेकिन सरकार ने केवल गुटखे पर ही रोक लगाईं थी पान मसाले और तम्बाकू पर नहीं ! जिसका फायदा उठा रही है गुटखा बनाने वाली कंपनियां और उन्होंने जिस नाम से पहले गुटखा निकालती थी अब पान मसाले और तम्बाकू के अलग अलग पाउच निकालने शुरू कर दिए और दोनों को मिलाकर कीमत भी उतनी ही रखी है जितनी पहले गुटखे के पाउच की होती थी और जब कोई ग्राहक गुटखे की मांग करता है तो दुकानदार उसको ये पान मसाला और तम्बाकू के अलग अलग पाउच दे देता है जिसको मिलाकर खाया जाता है !!