पेड़ पौधे और पूरा वनस्पति जगत जब प्रफ्फुलित सा रहता है ! पतझड़ निकल जाता है और पेड़ों पर नए पते निकल आते हैं ! खेतों में फसल पकने का समय होता है और कृषि प्रधान देश में इससे ज्यादा उत्सव का माहौल क्या हो सकता है ! एक तरफ किसान फसल पकने और कटने पर प्रफुल्लित रहते हैं और दूसरी और पृकृति अपने पूर्ण सोंदर्य से सराबोर रहती है ! और भारतीय संस्कृति तो पृकृति के साथ अटूट रिश्ते से जुडी हुयी है ! ऐसे ही उमंगो और प्रफ्फुलता से भरे हुए समय में हमारा नववर्ष आता है ! और उसी दिन से माँ दुर्गा के नवरात्र शुरू होते हैं जिससे नववर्ष का शुभारंभ भी आध्यात्मिकता के साथ शुरू होता है ! नववर्ष की इस भक्तिभावनी शुरुआत के साथ ही आप सबको मेरी तरफ से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई तथा बुजुर्गवरों को सादर प्रणाम !!
कुछ लोग इस दिन को निराशा का कारण बना लेते हैं और अंग्रेजी नववर्ष के साथ जोड़कर देखतें हैं और वो यह मानते हैं की अंग्रेजी नववर्ष मनाने को लेकर जो उत्साह दिखाई देता है वो भारतीय नववर्ष को मनाने में नहीं दिखाई देता है ! लेकिन उनको ये समझना चाहिए की जिनकी जैसी संस्कृति होती है उसी के अनुसार उनके उत्सव होते हैं ! शराब पीकर नववर्ष मनाना अंग्रेजों की संस्कृति के अनुरूप है और अंग्रेजी मानसिकता से ग्रसित लोग उसको उस तरीके से शराब और हुडदंग करके मनाते हैं ! और भारतीय संस्कृति आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है इसलिए हम इसको माँ दुर्गा की भक्तिभाव से पूजा करके शान्ति से मनाते हैं ! अब ये तो संस्कृतियों के प्रभाव का नतीजा है लेकिन हम उनके लिए अपनें को नववर्ष के शुभ अवसर पर अपने मन में निराशा को क्यों हावी होने देते हैं !