बुधवार, 3 अप्रैल 2013

देरी से मिले न्याय से न्याय के मायनें ही बदल जाते हैं !!


किसी भी अपराध के लिए अपराधी को दण्ड मिलना और पीड़ित को न्याय मिलना किसी भी राज्य अथवा देश कि शासन व्यवस्था और वहाँ के समाज के लिए जरुरी होता है ! लेकिन हमारे देश में किसी भी अपराध के लिए अपराधी को दण्ड मिलनें में इतनी देर होती है जिसके कारण उस अपराध को जनमानस भूल जाता है ! और यही कारण है कि अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे ! और इसीलिए तो कहा जाता है कि देर से मिला न्याय नहीं मिलनें के बराबर है !

हमारे देश में अदालती कार्यवाहियों में सालों गुजर जाते हैं ! जिसके कारण कई बार तो हालात ऐसे हो जातें हैं कि अपराधियों को उनके अपराधों का दण्ड भी नहीं मिलता है क्योंकि कई शातिर और दबंग अपराधी इसी लंबी समयावधि के कारण गवाहों पर दबाव डालनें में कामयाब हो जाते है और गवाहों को मुकरने पर मजबूर कर देते हैं ! जिसके कारण ऐसे अपराधी अपने किये की सजा पाये बगैर छुट जाते हैं ! और उस अपराधी के बच निकलने का परिणाम यह होता है कि दूसरे लोगों के मन से भी कानून का खौफ कम होता जाता है !

कई बार तो कानून के लिए और भी हास्यास्पद स्थति हो जाती है जब किसी भी मामले का जब तक फैसला सुनाने का वक्त आता है ! उस वक्त या तो अपराधी उस अपराध कि सजा भुगतने का इन्तजार करते करते इस दुनियां को ही अलविदा कह कर चला जाता है या फिर पीड़ित ही फैसले का इन्तजार करते करते और अदालतों के चक्कर लगाते लगाते अपनी अंतिम यात्रा को निकल पड़ता है ! ऐसी दशा में न्याय पाने अथवा सजा पाने का कोई अर्थ रह नहीं जाता है !