बुधवार, 19 जून 2013

आपदा प्रबंधन के मामले में हमेशा फिस्सड्डी ही साबित क्यों होते हैं !!

उतराखण्ड में प्राकृतिक आपदा नें भारी जान माल की क्षति पहुंचाई है जिसकी भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज तीसरा दिन है लेकिन अभी तक सटीक सूचनाएं देनें में प्रशासन असमर्थ साबित हो रहा है ! जिससे जाहिर है कि पृकृति नें भयंकर कहर बरपाया है और पहाड़ी क्षेत्र होनें के कारण और सड़कों के बह जाने और टूट जाने के कारण लोगों तक सहायता पहुंचाने में भारी परेशानी आ रही है ! प्राकृतिक आपदाओं को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन इनसे निपटने के लिए अगर सही प्रबंधन पहले से किया जाए तो होने वाले नुकशान को कम जरुर किया जा सकता है !

उतराखण्ड हो या हिमाचल प्रदेश ,राजस्थान ,दिल्ली प.बंगाल अथवा देश का अन्य कोई राज्य हो लेकिन जब भी किसी तरह कि प्राकृतिक आफत अथवा अन्य किसी तरह की आपदा से सामना होता है तो उससे निपटनें में हमारे आपदा प्रबंधन विभाग हमेशा ही नाकाम साबित होते रहें है ! और सरकारों में बैठे लोग कुछ समय बयानबाजी करके और मुआवजों का एलान करके खानापूर्ति करके फिर गहरी नींद सो जाते हैं ! प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए जो विभाग बनाए गए हैं वो हमेशा नाकाम साबित होते हैं और हर समय सेना की मदद ही लेनी पड़ती है !

हकीकत में देखे तो आपदा प्रबंधन विभाग सफ़ेद हाथी ही साबित होते हैं जिनको सदैव पाला जाता है और जरुरत के समय ये विभाग त्वरित कारवाई करनें में नाकाम साबित होते हैं ! सेना नें हरदम हर आपदा में प्रशंशनीय कार्य किया है और हर छोटी बड़ी आपदा में जब तक सेना काम नहीं संभालती है तब तक ऐसा लगता ही नहीं है मानो अन्य विभाग कोई कार्य कर रहे हैं ! आखिर किसी आपदा से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए ही तो आपदा प्रबंधन जैसे विभाग बने हुए हैं लेकिन इन विभागों की नाकामियां इन विभागों की प्रासंगिकता पर ही सवालिया निशान लगा देती है !