आज से एक साल पहले ही मैनें अपने ब्लॉग "शंखनाद" पर पहला आलेख लिखा था और उस हिसाब से आज "शंखनाद" नें दूसरे वर्ष में प्रवेश कर लिया है ! आज जब "शंखनाद" नें अपना एक साल पूरा कर लिया है तो जिनका मुझे प्यार और सहयोग मिला उनका में हार्दिक आभारी हूँ ! पहले में यहाँ आया था तब ब्लॉग जगत से अनभिज्ञ था लेकिन पिछले एक साल में मैंने ब्लॉग जगत को कुछ जाना और समझा है ! आज में आपके सामनें पिछले एक साल के अपनें अनुभव बांटना चाहता हूँ !
में जब शुरुआत में यहाँ आया तो ब्लोगिंग का मुझे कोई अनुभव नहीं था और ना ही में ब्लॉग के बारे में जानता था ! में सबसे पहले फेसबुक पर साझा की गयी किसी ब्लॉग ( उस ब्लॉग का नाम मुझे याद नहीं रहा ) की पोस्ट को पढ़ने के लिए उस ब्लॉग पर आया था ! तब ब्लॉग का डायरी के रूप में इस्तेमाल करने का विचार मेरे मन में आया ! और मैनें सोचा की फेसबुक पर तो पुरानी पोस्ट खोजनें में बहुत समय लगाना पड़ता है और यहाँ पर वैसा नहीं करना पड़ेगा ! बस यही सोचकर मैंने अपना ब्लॉग बना लिया ताकि जिस बात को सहेजकर रखना चाहे उसको रख सके ! उस समय नियमित ब्लोगिंग का मेरा कोई इरादा नहीं था और केवल डायरी के रूप में ही इस्तेमाल का इरादा था !
तब मैंने सहेजने के लिए कुछ आलेख पोस्ट किये और उन आलेखों पर मुझे अच्छी हौसलाअफजाई मिली ! जिसके कारण मुझे प्रोत्साहन मिला और फिर में अपनें ब्लॉग पर नियमित आलेख डालता गया ! शुरुआत में आदरणीय डा.रूपचंद शास्त्री जी , धीरेन्द्रसिंह भदौरिया जी ,दिनेशचंद्र गुप्ता "रविकर"जी ,कालीपद प्रसाद जी,विनय जी ,विनीत नागपाल जी ,मनोज जायसवाल जी और अन्य कई लोग मेरे ब्लॉग के समर्थक बने और इनसे मुझे अच्छा सहयोग मिला ! जिसके कारण मुझे प्रोत्साहन मिला और में नियमित ब्लोगिंग करनें में आनंद आने लगा और उसके बाद मेरी पोस्टें चर्चामंच और लिंक लिखाड़ और अन्य सामूहिक ब्लोगों पर दिखाई देनें लगी !