मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013

जानलेवा लापरवाहियों को कब तक लीपापोती में छिपाते रहेंगे !!

आखिर कब तक जानलेवा लापरवाहियों को सहन करते रहेंगे और इन प्रशासनिक  लापरवाहियों के कारण लोग अपनीं जानें गंवाते रहेंगे ! हमारे देश में साल-दरसाल धार्मिक स्थानों पर हादसे होते रहते हैं लेकिन ऐसा लगता प्रशासनिक तंत्र उनसे सबक लेना ही नहीं चाहता है ! ऐसा नहीं है कि इन स्थानों पर आनें वाले श्रदालुओं के बारे में प्रशासन को पहले से पता नहीं रहता हो लेकिन फिर भी प्रशासन इन हादसों को रोक पानें में नाकाम रहता है ! विडम्बना देखिये राज्य बदलते रहते हैं लेकिन हादसों के घटने का तरीका एक सा ही रहता है फिर भी प्रशासन सबक नहीं लेता है ! 

आजादी के बाद से अब तक हजारों लोगों की जानें धार्मिक स्थानों पर भगदड़ मचने की वजह से चली गयी और प्रशासन इस तरह के हादसों को रोकने के लिए कोई स्थायी व्यवस्था बना पानें में नाकाम रहा है ! और कई मामलों में तो भगदड़ के लिए पुलिस के द्वारा किया जाने वाला लाठीचार्ज ही जिम्मेदार रहा है ! अभी हाल ही में हुए नवमी पर दतिया के रतनगढ़ माता मंदिर और कुम्भ मेले के समय इलाहबाद रेलवे प्लेटफोर्म पर हुए हादसे तो पुलिस लाठीचार्ज के कारण ही हुए ! भले ही पुलिस अपनीं नाकामी अफवाहों पर डालकर बचने की कोशिश करे ! धार्मिक स्थानों पर आनें वाली श्रदालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन पहले से कोई व्यवस्था बना पाने में नाकाम रहता है और जब भीड़ हद से ज्यादा हो जाती है तो लाठीचार्ज का सहारा लिया जाता है जो ऐसे हादसों को जन्म देता है !

इन हादसों से सबक लेनें की बजाय प्रशासन और सरकारों द्वारा लीपापोती शुरू हो जाती है ! मुख्यमंत्री सारा दोष प्रशासनिक अमले पर डालकर बरी होना चाहता है और प्रशासनिक अधिकारी दोष श्रदालुओं पर डालकर बरी होना चाहते हैं ! राज्य में प्रशासनिक लापरवाही से होने वाली हर घटना की नैतिक जिम्मेदारी तो मुख्यमंत्री की बनती ही है ! भला यह कैसे चल सकता है कि प्रशासन द्वारा कोई भी अच्छा काम हो तो उसका श्रेय लेनें के लिए तो मुख्यमंत्री आगे आ जाते हैं लेकिन बुरे कामों के लिए प्रशासन पर दोष डालकर खुद किनारे होनें की कोशिश करते हैं और यह केवल एक राज्य अथवा एक मुख्यमंत्री की कहानी नहीं है बल्कि हर राज्य और हर मुख्यमंत्री की यही कहानी है और शिवराज सिंह चौहान भी इससे अलग नहीं है !