मीडिया में आ रहे समाचारों पर भरोसा किया जाए तो महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में सूखे के कारण हालात लगातार बिगड रहे हैं ! वहाँ के लगभग १४ जिलों में पानी कि किल्लत बनी हुयी है और स्थति लगातार बद से बदतर हो रही है ! सरकारी मशीनरी की उदासीनता नें लोगों को पलायन पर मजबूर कर दिया है ! लेकिन जो लोग पलायन नहीं कर सकते उनके सामने जिन्दा रहना एक चुनौती बनता जा रहा है ! देर से शुरू हुयी सरकारी सहायता ऊंट के मुहं में जीरे के समान साबित हो रही है ! ऐसे में जल्दी हि कुछ नहीं किया गया तो हालात और भी खराब हो सकते हैं ! और यह हालत तो अभी मार्च के महीने में है मई जून के महीने में क्या हालात होंगे इसको सोचकर हि डर लगता है !!
महाराष्ट्र में सूखे के भयावह हालात को देखते हुए केन्द्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए और जल्द से जल्द उन पडौसी राज्यों से बात करनी चाहिए और उनसे भी इस मामले में सहयोग लेकर सूखाग्रस्त इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए पीने के पानी और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने जितना पानी उपलब्ध करवाया जाना चाहिए ! हालांकि महाराष्ट्र सरकार अब अब अपनी कोशिशों में जुटी जरुर है लेकिन एक तो उसनें देरी से कदम उठाये है और दूसरा अभी भी उसके प्रयास लोगों के लिए प्रयाप्त साबित नहीं हो रहें है ! ऊपर से बाँधो का घटता जलस्तर और सूखते जा रहे जलाशयों के कारण भी उसके सामने कठिनाइयां आ रही है !
जब लोगों के सामने खुद कि जरूरतों को पूरा करने के लिए हि पानी कि समस्या आ रही है तो पालतू और गैर पालतू पशुओं की हालात क्या होगी और उनको पीने का पानी कहाँ से मिल रहा होगा ! इस तरफ भी सरकार को ध्यान देना होगा क्योंकि महाराष्ट्र सरकार सीमीत मात्रा में हि सही लेकिन लोगों तक टेंकरों के जरिये पानी पहुंचाने कि कोशिश कर रही है लेकिन पशुओं के लिए अभी भी किसी तरह की पहल नहीं की गयी है और थोड़ी बहुत की गयी है वो भी चारे को लेकर की गयी है लेकिन पानी भी तो पशुओं कि पहली आवश्यकता है और उनको जिन्दा रहने के लिए पानी चाहिए हि चाहिए !