शनिवार, 14 जुलाई 2012

परम्परायें


एक गाँव में एक पंडित जी रहते थे पंडित जी नियमित रूप से पूजा पाठ में निमग्न रहते थे. एक दिन पंडित जी ने कोई धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया. पूजा प्रारम्भ हुई. गाँव के बहुसंख्यक लोग भी पूजा में भाग लेने के लिए उपस्थित थे. पंडित जी नें एक बकरी का बच्चा पाल रखा था जानवरों के बच्चे भी नटखट होते हैं. बकरी का बच्चा भी भाग दौड़, उछल कूद करता और बार बार पूजास्थल में घुस कर पूजा में व्यवधान डालता था. पंडित जी बकरी के बच्चे की हरकतों से परेशान हो गए. फिर उन्हें एक उपाय सूझा पंडित जी नें बकरी के बच्चे को पूजा संपन्न होने तक एक लकड़ी की टोकरी से ढक दिया. इस प्रकार उन्होंने अपनी पूजा संपन्न की. गाँव वाले यह सब देख रहे थे. चूंकि पंडित जी बड़े विद्वान् माने जाते थे और गाँव में उनका बड़ा सम्मान था, इस कारण लोगों नें सोचा कि बकरी के बच्चे को टोकरी से ढंकने के पीछे ज़रूर कोई न कोई रहस्य है. शायद यह भी पूजा का ही एक अहम् हिस्सा है. किसी नें भी पंडित जी से वास्तविकता, इसका कारण जानने की ज़हमत नहीं उठाई. फिर क्या था गाँव के सभी लोग जब पूजा करते तो पंडित जी का अनुसरण करते हुए, एक बकरी के बच्चे को लकड़ी की टोकरी से ढक कर पूजा संपन्न करते . जिसके पास बकरी का बच्चा नहीं होता वह खरीद कर लाता. इस प्रकार गाँव में एक नई परंपरा बन गई. कई बार ऐसी परम्पराएं बन जाती हैं, जिनका हम बिना सोचे विचारे अनुसरण करने लगते हैं!!

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