शनिवार, 14 जुलाई 2012

क्या विदेशी निवेश जरुरी है !!




आज जब एक बार जब अर्थव्यवथा अपने खराब दौर से गुजर रही है तो बार बार एक ही तर्क दिया जा रहा है कि विदेशी निवेश नहीं हो रहा तो क्या वाकई अर्थव्यस्था के लिए विदेशी निवेश इतना जरुरी है और क्या विदेशी निवेश से अर्थव्यस्था सुधर जायेगी !! जी ऐसा होता तो विदेशी निवेश के लिए १९९१ में जब खराब दौर आया था तब यही तर्क देकर उदारीकरण का रास्ता अपनाया गया था और विदेशी निवेश हुआ भी था तो फिर आज यह दौर क्यों तो इसका जवाब है कि यह तर्क ही गलत है क्योंकि विदेशी निवेश से आपकी अर्थव्यवस्था में कुछ समय के लिए तो सुधार आ जाएगा लेकिन दीर्घकाल के लिए नुकशान ही लेकर आएगा इसको समझने के लिए आपको यह समझना होगा कि विदेशी निवेश एक साहूकार के कर्ज कि तरह होता है जो एक बार के लिए कुछ धन आपको देता है और वापिस ब्याज के रूप में मुनाफे को वापिस अपने देश में ले जाता है तो अगर साहूकार से कर्ज लेने वाले को कोई फायदा नहीं होता है तो विदेशी निवेश से इस देश कि अर्थव्यवस्था को फायदा कैसे होगा !!
दरअसल ये सारा खेल उस अमेरिकी परस्त लौबी का है जिनके निजी हित अमेरिका के साथ जुड़े हुए है और वही लौबी इस तरह का माहौल बनाती है और विदेशी निवेश के रास्ते खुलवाती है और ऐसे लोग मीडिया से लेकर बड़ी बड़ी संस्थाओ के बड़े बड़े ओहदों पर होते है कुछ लोग सता में भागीदार भी हो सकते है और जो भारत में रहकर अमेरिका के हित साधते है !! ऐसे लोग हर देश की सरकारें उन देशों में रखते है जहां से उस देश के सीधे हित जुड़े होते है आपने कई बार सुना होगा कि अमेरिकी सरकार पर भारतीय लौबी ने दबाव बनाया तो यह सुनकर हर भारतीय खुश होता है लेकिन कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि भारत में भी इसी तरह कि लौबी हो सकती है जो अमेरिका के हितों के लिए काम करती है दरअसल भारत में अमेरिकी लौबी ज्यादा ताकतवर है !! और यही कारण है कि विदेशी निवेश पर ज्यादा जोर दिया जाता है और इस बहाने अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के हित साधे जाते है और भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगाती रहती है !!

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