मंगलवार, 17 जुलाई 2012

कालाधन और बाबा रामदेव का आंदोलन


कालेधन पर आंदोलन चला रहे बाबा रामदेव फिर एक बार अगस्त में आंदोलन करने जा रहे है लेकिन आगे बात करने से पहले यह जान ले कि आखिर कालाधन है क्या तो इसकी व्याख्या भी अलग अलग तरीके से की जा रही है सरकार कि नजर में काला धन वो है जिस धन पर आयकर नहीं चुकाया गया है और बाबा रामदेव कि नजर में कालाधन वो है जो गैरकानूनी तरीके से ही अर्जित किया गया है और उस पर कोई कर नहीं चुकाया गया है बस सारी लड़ाई इसी को लेकर है क्योंकि बाबा कि नजर में यह सारा धन अवैध तरीकों से अर्जित किया गया है और ये देश का धन है इसलिए ये वापिस देश के खजाने में जमा होना चाहिए लेकिन सरकार इसमें से अपना कर लेकर इसको सफेद करना चाहती है और कर भी रही है फ़्रांस से मिले नामों का खुलासा तो सरकार ने नहीं किया है लेकिन उनसे अपने हिस्से का कर सरकार ले रही है और आयकर विभाग इसमें लगा हुआ है बाबा रामदेव का स्पष्ट मानना है कि अगर धन का स्रोत अवैध है तो वो भारत के खजाने में जमा होना चाहिए और सरकार मानती है आप धन किसी तरीके से अर्जित करें बस आप अपना कर दे !!

अब बात यह कि यह है किन लोगों का तो जाहिर है जिन लोगों का धन अवैध तरीके से विदेश गया है वो सारा धन अर्जित भी अवैध तरीके से ही किया गया है जो सरकारी योजनाओ में गडबडी करके ,अवैध खनन ,तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों द्वारा अर्जित किया गया है और जो देश के भीतर है उसमे जरुर कुछ धन करचोरी करके जमा किया गया है और कुछ उसमे भी अवैध तरीके से अर्जित किया हुआ हो सकता है तो इस तरह से जो देश में है उसको पहचान करके उसके स्रोतों का पता लगाकर कुछ रियायत दी जा सकती है लेकिन जो विदेशों में है वो या तो भारत के खजाने से सीधा लुटा हुआ है या फिर खजाने में पहुँचाने से पहले ही लुटा हुआ जिस पर निसंदेह भारत कि जनता का हक है और उसको पुरे को ही जब्त किया जाना चाहिए लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या यही आ रही है कि ये लोग सता के करीबी ही रहे है जिसके कारण सरकारें इनको हर हाल में बचाना चाहती है जिसका उदहारण आप हसन अली वाले मामले में देख भी चुके है जिसमे किस तरह से अदालत को गुमराह करने कि कोशिश की गयी थी और ऐसा ही कालेधन पर बनने वाले जांच दल को लेकर हुआ था और अभी पिछले दिनों रामजेठमलानी ने राज्यसभा में यह कहा था कि एक पूर्व प्रधानमंत्री का स्विस बैंकों में खाता था तो जाहिर है जब इतने बड़े बड़े लोग इसमें है तो सरकार कारवाई नहीं करना चाहेगी और लीपापोती ही करेगी इसके लिए जरुरी है सरकार पर दबाव बनाना और बाबा रामदेव उसी रणनीति के तहत चल रहे है !!
कई लोग बाबा रामदेव पर ही सवाल उठा रहे है जो शायद निर्थक ही लगते है क्योंकि सारी जांच एजेंसियां पीछे लगी हुयी है जो अभी तक कुछ भी हासिल नहीं कर पाई है और बाबा रामदेव अब भी सरकार के सामने डटकर खड़े है तो इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर उन्होंने कुछ गलत किया होता तो उनका आत्मविश्वास अब तक डगमगा गया होता जो अभी तक वैसा ही बना हुआ है और दूसरी बात बाबा पर सवाल उठ रहे है तो सरकार उनकी जांच कर सकती है लेकिन चारों और से आ रही सूचनाएं बता रही है कि कालाधन विदेशों में है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बेठी है जो सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते है अभी सरकार ने श्वेत पत्र में खुद माना है कि सिंगापुर और मौरिशस से सबसे ज्यादा निवेश भारत में हुआ है और इन देशों कि अर्थव्यवस्था इतनी बड़ी नहीं है लेकिन फिर भी सरकार ने इन रास्तों पर रोक नहीं लगाई तो सब बातों पर विचार करने के बाद शक की सुई सरकार की और ही घुमती है !!


जय हिंद !!

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