रविवार, 14 अक्तूबर 2012

मीडिया पर बढ़ता अविश्वास !!


मीडिया और नेताओं का रिश्ता वैसे तो आजादी के बाद से ही शुरू हो गया था  और सदा रहेगा भी लेकिन फिर भी मीडिया से जुड़े लोगों ने एक लक्ष्मणरेखा बना कर रखी थी लेकिन समय के साथ वो लक्ष्मणरेखा भी टूट गई और आज यह हालात हो गये कि आम जनता से सरोकार की बात करने वाला मीडिया भी आम जनता की नजरों में संदिग्ध हो गया है और इसका जिम्मेदार मीडिया खुद ही है !!

आज के समय में मीडिया अगर कोई निष्पक्ष खबर और रिपोर्ट भी दिखाता है तो भी आम जनता उसको संदेह कि नजर से देखती है और अपने स्तर पर उसको परखने कि कोशिश करती है यह वाकई उस मीडिया के लिए शर्म की बात है जो अपने आपको लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहता है ! जो मीडिया कभी जनता कि आवाज हुआ करता था और जनता से जुड़े मुद्दे उठाता था आज उसी मीडिया पर पेड न्यूज ,नेताओं से साठगांठ और घोटालों के तार मीडिया से जुड़े होने जैसे  आरोप भी लग रहे है जिसके कारण  जनता उसको संदेह कि नजर से देखने लगी है !!



और ऐसा भी नहीं है कि मीडिया के प्रति जनता का यह संदेह झूंठा है क्योंकि समय समय पर ऐसे वाकये सामने आते रहते हैं जो नेताओं और मीडिया से जुड़े लोगों की सांठगांठ को उजागर करते हैं और मीडिया पर सवालिया निशान छोड़ जाते हैं दूसरी बात यह है कि मीडिया से जुड़े लोग यह मान कर चलते हैं कि जो भी हम दिखाएँगे जनता उस पर भरोसा कर लेगी लेकिन यहीं पर मीडिया सबसे बड़ी भूल करता हैं क्योंकि आज के समय में सोशल मीडिया के माध्यम से भी हर मुद्दे से जुडी सूचनाएं तीव्र गति से प्रसारित हो रही है जो मीडिया के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हो रही है दूसरी बात जनता भी धीरे धीरे परिपक्व होती जा रही है जिसके कारण वो मीडिया पर आँख मूंद कर भरोसा नहीं कर पा रही है !!

मीडिया को खुद को आत्मचिंतन करना होगा और जनता में अपना विश्वास बनाए रखने के लिए कदम उठाने होंगे और उसे अपने आपको जनता से जुड़े होने का अहसास कराना होगा !!

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