आजादी के बाद से हमने विकास की गलत अवधारणा का चुनाव किया या इसे यूँ कहे तो ज्यादा अच्छा होगा कि हमने अपनी तरफ से विकास की कोई निति बनाई ही नहीं बल्कि पश्चिमी देशों के विकास कि नीतियों का ही अंधानुकरण किया यही कारण है कि हम अपने विकास के लिए अपनी और से कोई स्पष्ट निति नहीं बना पाए हैं और उन्ही नीतियों पर आगे बढ़ रहे हैं जिनको पश्चिमी देशों ने अपनाया !!
हमारे निति निर्धारकों को कभी भी यह बात समझ में नहीं आई कि पश्चिमी देश विकास की जिन नीतियों को अपना रहें हैं वो उनकी मज़बूरी है क्योंकि उनके पास प्राकृतिक संसाधनों का अभाव है लेकिन हमारे पास प्राकृतिक संसाधन भरपूर थे लेकिन हमारे निति निर्धारकों के मन में एक बात पक्की बैठ गयी कि पश्चिमी देश जो भी कर रहें हैं वही सही है इसीलिए वो उसके नकारात्मक पहलु कि तरफ देखतें भी नहीं हैं !!
विधुत उर्जा के क्षेत्र में हमारे देश में सौर उर्जा ,पवन उर्जा जैव उर्जा जैसे प्राकृतिक संसाधन हमारे पास थे लेकिन हमने कभी भी संजीदगी से इस और ध्यान ही नहीं दिया और हमने परमाणु सयंत्रों का विकल्प अपनाया जिसके नकारात्मक पहलु अब लोगों के सामने आ रहें हैं और कई देशों ने अपनी और से इन पर रोक लगाने का फैसला किया है लेकिन अब भी हम उसी दिशा में आगे बढते जा रहे हैं !!
इसी तरह हमने बिना सोचे समझे सिंचाई और बिजली के लिए बड़े बाँधो का विकल्प अपनाया जिसका परिणाम यह हुआ कि आज हमारी नदियों का अस्तित्व ही संकट में पड़ता जा रहा है जिन नदियों का नामकरण हमारे पूर्वजों ने देवियों और माताओं के रूप में इसीलिए किया था ताकि सभी कि श्रद्धा इन पर बनी रहे और इन नदियों पर कभी संकट ना आये लेकिन दुर्भाग्य से आज अंधी विकास की दौड़ ही इन नदियों के लिए संकट बनती जा रही है जबकि भारत में पुराने समय से ही छोटे छोटे सिंचाई के साधनों का चलन था लेकिन हमारी उदासीनता ने आज इनका अस्तित्व ही मिटा दिया और हम बड़े बांधों के रूप में ही अपना भविष्य देखने लगें हैं जिनके ढेरों दुष्परिणाम हमारे सामने आ रहे हैं !
अब भी समय है कि हम अपना विकास पश्चिमी तरीके के बजाय अपने हिसाब से अपनी जरूरतों और अपने संसाधनों के हिसाब से करें तो बेहतर विकास बिना किसी दूसरे पर निर्भर रहे कर सकते हैं और इसके दुष्परिणामों से भी बचे रह सकते हैं !!
हमारे निति निर्धारकों को कभी भी यह बात समझ में नहीं आई कि पश्चिमी देश विकास की जिन नीतियों को अपना रहें हैं वो उनकी मज़बूरी है क्योंकि उनके पास प्राकृतिक संसाधनों का अभाव है लेकिन हमारे पास प्राकृतिक संसाधन भरपूर थे लेकिन हमारे निति निर्धारकों के मन में एक बात पक्की बैठ गयी कि पश्चिमी देश जो भी कर रहें हैं वही सही है इसीलिए वो उसके नकारात्मक पहलु कि तरफ देखतें भी नहीं हैं !!
विधुत उर्जा के क्षेत्र में हमारे देश में सौर उर्जा ,पवन उर्जा जैव उर्जा जैसे प्राकृतिक संसाधन हमारे पास थे लेकिन हमने कभी भी संजीदगी से इस और ध्यान ही नहीं दिया और हमने परमाणु सयंत्रों का विकल्प अपनाया जिसके नकारात्मक पहलु अब लोगों के सामने आ रहें हैं और कई देशों ने अपनी और से इन पर रोक लगाने का फैसला किया है लेकिन अब भी हम उसी दिशा में आगे बढते जा रहे हैं !!
इसी तरह हमने बिना सोचे समझे सिंचाई और बिजली के लिए बड़े बाँधो का विकल्प अपनाया जिसका परिणाम यह हुआ कि आज हमारी नदियों का अस्तित्व ही संकट में पड़ता जा रहा है जिन नदियों का नामकरण हमारे पूर्वजों ने देवियों और माताओं के रूप में इसीलिए किया था ताकि सभी कि श्रद्धा इन पर बनी रहे और इन नदियों पर कभी संकट ना आये लेकिन दुर्भाग्य से आज अंधी विकास की दौड़ ही इन नदियों के लिए संकट बनती जा रही है जबकि भारत में पुराने समय से ही छोटे छोटे सिंचाई के साधनों का चलन था लेकिन हमारी उदासीनता ने आज इनका अस्तित्व ही मिटा दिया और हम बड़े बांधों के रूप में ही अपना भविष्य देखने लगें हैं जिनके ढेरों दुष्परिणाम हमारे सामने आ रहे हैं !
अब भी समय है कि हम अपना विकास पश्चिमी तरीके के बजाय अपने हिसाब से अपनी जरूरतों और अपने संसाधनों के हिसाब से करें तो बेहतर विकास बिना किसी दूसरे पर निर्भर रहे कर सकते हैं और इसके दुष्परिणामों से भी बचे रह सकते हैं !!
1 टिप्पणी :
हमें अपने देश का विकाश अपने संसाधनों के हिसाब से करना चाहिए,,,,
नवरात्रि की शुभकामनाएं,,,,
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