शनिवार, 6 अक्तूबर 2012

अनपढ़ कौन और पढ़ा लिखा कौन !!

अगर आपसे सवाल किया जाये कि पढ़ा लिखा किसे माना जाये और अनपढ़ किसे माना जाये तो आप कहेंगे कि क्या बेवकूफी भरा सवाल किया है हर कोई जानता है कि किसको पढ़ा लिखा कहा जाता है और किसको अनपढ़ लेकिन यकीन मानिए मैंने ये सवाल आपको बेवकूफ बनाने के लिए या यूँ ही नहीं पूछा है दरअसल कभी कभी हमारे आसपास ऐसा कुछ होता है जो सोचने को मजबूर कर देता है और सवालों को भी जन्म दे देता है और आज ऐसा ही सवाल मेरे मन में आया इसलिए आपसे  पूछ लिया !

क्या उस आदमी को पढ़ा लिखा कहा जाएगा जिसके पास कहने को तो ढेर सारी डिग्रियां हैं लेकिन इतना भी सलीका नहीं है कि सामने वाले से बात कैसे की जाती  है या फिर उसको आप अनपढ़ कहेंगे जिसके पास ना  तो कोई डिग्री होती है और ना ही उसने कभी कोई किताबी ज्ञान हासिल किया हो लेकिन उसको यह पता होता है कि सामने खड़े इंसान से कैसे बात करी जाती है अब आप बताइये दोनों में कौन पढ़ा लिखा है और कौन अनपढ़ है !!

एक आदमी सूट बूट और टाई में सजा हुआ सफर कर रहा है और भीड़ में कोई आदमी उसके शरीर के स्पर्श हो जाता है तो वो आदमी उस पर झल्ला उठता है और उस पर अंग्रेजी गालियों कि बौछार कर दे दूसरी तरफ एक गांव का साधारण आदमी भी उसी भीड़ में सफर करता है और उसके शरीर से कोई स्पर्श हो जाता है तो वो उस आदमी को ना तो कुछ कहता है और ना ही वो उसको हिकारत कि नजर से देखता है अब आप दोनों में किसको अनपढ़ और किसको पढ़ा लिखा कहेंगे !!

कहने का मतलब यह है कि क्या उन लोगों को पढ़ा लिखा कहा जा सकता है जिनके पास पढ़ाई के नाम पर तो बड़ी बड़ी डिग्रियां होती है लेकिन लोगों के साथ कैसा व्यवहार कैसे किया जाता है इसका ज्ञान उनके पास बिलकुल भी नहीं होता है दूसरी तरफ क्या उनको अनपढ़ कहा जा सकता है जिनको अक्षर ज्ञान तो बिलकुल भी नहीं होता लेकिन लोगों के साथ व्यवहार कैसे किया जाये इसका उनको भरपूर ज्ञान होता है !!

ये केवल एक दो उदाहरण नहीं है बल्कि ऐसी और कई छोटी छोटी घटनाएं हमारे आसपास होती रहती है जिन पर हम लोग ध्यान नहीं देते है लेकिन जब कभी ऐसी घटनाओं पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाये तो वाकई कई ऐसे सवाल जन्म ले लेते हैं जो हमारे समाज में चल रही आम मान्यताओं पर फिर से विचार करने को मजबूर कर देते हैं !!

5 टिप्‍पणियां :

virendra sharma ने कहा…
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virendra sharma ने कहा…

पढ़े (पढ़े लिखे ,डिग्री धारी ),से गुना (गुणी व्यक्ति )ज्यादा अच्छा होता है .हमारे पिता जी कहा करते थे .सलीका आदमी का असली अलंकरण होता न कि पैरहन ,बाहरी लिबास और मुखौटा .हमारा प्राचीन साहित्य जिन संतों ने लिखा है वह कौन से स्कूल कोलिज जाते थे ?

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

विचारणीय सोचने को मजबूर करती पोस्ट,,,,,
RECECNT POST: हम देख न सके,,,

ZEAL ने कहा…

I agree with your views.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

गुणीजन ही असली गुणों कि पहचान कर सकता है !!