गुरुवार, 29 नवंबर 2012

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के बहाने कहीं कालेधन को तो ठिकाने नहीं लगाना चाहती है सरकार !!


सरकार जिस तरह से विदेशी निवेश के मामले पर अड़ी हुयी है और उसको हर हालत में लागू करवाना चाहती है उससे देशवासियों के मन में शक तो जरुर पैदा हुआ है ! आखिर विदेशी निवेश के मुद्दे पर सरकार इतनी उतावली क्यों हो रही है और इस मुद्दे पर उसका अपने सहयोगी दलों से भी मतभेद है फिर भी सरकार इसको येनकेनप्रकारेण लागू करना चाहती है उससे लगता है कि सरकार का असली मकसद कुछ और ही है !!

बात अगर देश की आर्थिक हालत सुधारने की है तो अगर सरकार कालेधन को देश में लाने की और सकारात्मक कदम बढ़ाती तो भी आर्थिक हालात अच्छे हो सकते थे लेकिन सरकार ने उस दिशा में तो अंगद के पैर की तरह से अडिग है और सुप्रीम कौर्ट की लाख कोशिशों के बावजूद भी कुछ भी करना नहीं चाहती है और विदेशी निवेश के मामले में वो सरपट दौडना चाहती है ऐसे में बाबा रामदेव जी की वो बात सच प्रतीत होती है जिसमें उन्होंने कहा था कि एफडीआई कालेधन की चाबी है !!


हमारे देश के वर्तमान रास्ट्रपति और तब के वित् मंत्री प्रणव मुखर्जी ने भी कालेधन पर जो श्वेतपत्र जारी किया था उसमें उन्होंने खुद माना है कि अप्रेल २००० से मार्च २०११ तक देश में जितना विदेशी निवेश हुआ है उसका ४१.९ प्रतिशत मौरिसस से और ९.१७ प्रतिशत सिंगापुर से हुआ है और इन दोनों देशों की अर्थव्यवस्था इतनी बड़ी नहीं है कि इतने बड़े पैमाने पर निवेश कर सके ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार खुद यह बात मानती है कि यह निवेश इन देशों का नहीं है तो फिर इन दोनों देशों को निवेश में दी गयी सहूलियतों को रद्द करके अभी तक हुए निवेश के असल मालिकों का पता क्यों नहीं लगा रही है !!

कालेधन और विदेशी निवेश वाले मामलों का गहराई से विश्लेषण करें तो यह साफ़ दिखाई पड़ रहा है कि सरकार २०१४ से पहले कालेधन को महफूज करवाना चाहती है और इसीलिए वो विदेशी निवेश वाले मुद्दे पर हर तरह का विरोध झेलते हुए भी इसको लागू करवाना चाहती है और श्वेतपत्र में विदेशी निवेश के दिए गये आंकडो से भी यह बात साफ़ हो जाती है कि विदेशी निवेश और कालेधन का संबध तो जरुर है !


2 टिप्‍पणियां :

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सबको अपने २ हिसाब से सोचने का हक़ है,,लेकिन ऐसा नहीं लगता,,,,

resent post : तड़प,,,

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

अगर ऐसा नहीं होता तो क्या कारण है कि खुद सरकार के वितमंत्री की स्वीकारोक्ति के बावजूद अभी तक मोरिशस और सिंगापुर के रास्ते आने वाले विदेशी निवेश को सरकार रोकने के मुड में नहीं है !!