क्या खुद्दारी से जीना भूल गये हम
,आत्मसम्मान भी गँवा बैठे है !
जिनकी खुद कि कोई औकात नहीं ,वो
भी हमें औकात बता बैठे हैं !!
काश इंदिरा ,शास्त्री आज जिन्दा
होते ,दुश्मन को औकात दिखा देते !
फिर कभी हिम्मत दुश्मन ना करता ,उसे छटी का दूध याद दिला देते !!
गांधी के तीन बंदरों का हाल है ,सबकुछ
जानकार भी अंजान हैं !
दुश्मन हर बार धोखा देता है ,फिर
भी कहते है कि वो नादान हैं !!
क्यों मुहंतोड़ जवाब नहीं दे पाते
हैं,आखिर हम किस से डरते हैं !
इन्तजार उसके हमले का क्यों ,हमारी
और से क्यों नहीं करते हैं !!
अपने जवानों को हमने खोया है ,उसने
तो हमको घात किया है !
भारत माँ का सीना छलनी करके ,हमको
गहरा आघात दिया है !!
अब भी हम उसी से आस लगाए हैं ,हमसा
कोई नादान ना होगा !
क्यों हम गहरी ख़ामोशी में हैं,ईंट
का जवाब पत्थर से देना होगा !!
इस बार अगर जवाब हम नहीं दे पाये
,तो हिम्मत बढ़ जायेगी !
हमारी ख़ामोशी को कमजोरी समझ ,फिर
से यह दोहराई जायेगी !!
इस बार ख़ामोशी नहीं रखनी होगी ,उसकी
औकात बतानी होगी !
दोनों में कौन शेर है और कौन बिल्ली
,यह बात उसे बतानी होगी !!
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