हमारे देश में बाल श्रमिक ,बाल कुपोषण जैसी समस्याएं तो भारत के सामने जस की तस बनी हुयी हि है ! लेकिन जिस तरह से बच्चों के अपहरण ,बच्चों की हत्या और बच्चों के साथ यौनाचार की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी नें सबके लिए एक नयी खतरे कि घंटी बजा दी है ! हम आगे से चली आ रही समस्याओं से निजात पाने में विफल साबित हो रहें है और ऐसे में नयी समस्याएं हमारे सामने आकार खड़ी हो गयी है जिनका अगर कोई रास्ता नहीं जल्दी नहीं ढूंढा गया तो गुम होते बचपन को बचाया नहीं जा सकता !
बाल अपहरण के मामलों में जबरदस्त तरीके से बढ़ोतरी हो रही है ! एक आंकड़े के मुताबिक़ हर साल ६०००० बच्चों के गुम होने की रपट दर्ज कराई जाती है और उनमें से बहुत कम संख्या में बच्चों को पुलिस खोज पाती है ! एक स्वतंत्र संस्था मिसिंग चिल्ड्रन इन इण्डिया नें देश के ३९२ जिलों कि जानकारियाँ इकठ्ठी करके बताया कि २००८ से २०१० के बीच एक लाख बीस हजार बच्चों के लापता होने कि जानकारी मिली है ! और इसी दौरान देश की राजधानी दिल्ली में १३५७० बच्चे लापता हुए हैं ! जो मामले कि भयावहता को दर्शाता है !
इसी तरह से देश के कई हिस्सों में गरीबी कि वजह से माता पिता द्वारा लड़कियों को बेचने कि घटनाएं भी सामने आती है ! एक आंकड़े पर यकीन करें तो देश भर में तक़रीबन २० फीसदी माता पिता गरीबी कि वजह से लड़कियों को बेच देते हैं जिनमें सबसे ज्यादा नाबालिग लडकियां हि होती है ! इन बच्चियों को बाद में वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है और कभी कभी तो यह भी सामने आता है कि इन बच्चियों को खरीदने वाले भी विदेशी लोग होते हैं जो यहाँ के दलालों के साथ मिलकर बच्चियों का सौदा करते हैं फिर उनको अपने देश में ले जाते हैं जहां पर उन पर तरह तरह के अत्याचार करते रहते हैं !
यह माना जाता है कि अपहरण करके इन बच्चों से भीख मंगवाने ,वेश्यावृत्ति करवाने से लेकर मानव तस्करी भी इन बच्चों की होती है ! हमारी व्यवस्थाएं अभी तक इस तरह के मामलों से निपटने में नाकाम साबित हुयी है जो निश्चय हि चिंता का विषय है क्योंकि अगर हमारी व्यवस्थाएं इसी तरह से नाकाम होती रही तो क्या हम भारत के बचपन के सुखद भविष्य कि कामना कर सकते हैं !
10 टिप्पणियां :
दुखद पहलू-
ज्यादातर गलत जगहों पर पहुंचा दिए जाते हैं-
मार्मिक-
बाल कल्याण विभाग को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए
latest postअनुभूति : प्रेम,विरह,ईर्षा
atest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
हमारे देश में बाल-शोषण एक बहुत ही गम्भीर समस्या है,बाल कल्याण विभाग भी कोई कारगर कदम नही उठा रहा है.
vidambna to ye hai ki is disha me jagrookta bhi nahi badh rahi .is sambandh me bhi shayad court se alag logon ko aage badh kade kadam uthane honge . कैग [विनोद राय ] व् मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन ]की समझ व् संवैधानिक स्थिति का कोई मुकाबला नहीं . कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है इस देश के लिए...... बच्चों के विषय में ऐसी संवेदनहीनता अफसोसजनक है
आभार !!
आभार !!
आपका कहना सही है !
अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार !!
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