बुधवार, 10 जुलाई 2013

महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम होती सरकारें !!

देश की कोई भी राज्य सरकार हो अथवा केन्द्र की सरकार हो सब की सब महिलाओं को सुरक्षा देनें में नाकाम साबित हो रही है ! ऐसे में महिलाओं की सुरक्षा रामभरोसे वाली स्थति में ही चल रही है ! आखिर इतनें संसाधनों के बावजूद सरकारें नाकाम हो रही है तो इसमें सारा दोष सरकारों की कमजोर इच्छाशक्ति का ही माना जा रहा है ! दुर्भाग्यपूर्ण स्थति तो देखिये बेटी बचाओ आंदोलन का जोर शोर से प्रचार करनें वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के हालात खराब नहीं बल्कि दयनीय स्थति बयान करते हैं !

मध्यप्रदेश के गृह मंत्री खुद विधानसभा में यह बताते हैं कि गुजरे साढे चार माह में राज्य से ८०७९ युवतियां गायब हुयी है ! जिसका सीधा अर्थ यह हुआ कि राज्य से रोजाना ६० के लगभग युवतियां गायब हुयी है ! इसके अलावा इसी समयावधि में ५९६ युवतियों का अपहरण और २४० युवतियों की हत्या हुयी है ! १७० युवतियों और ८३ नाबलिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं और ३२ युवतियों को जिन्दा जलानें की वारदातें हुयी है ! अब साढे चार माह के ये आंकड़े देनें में मंत्री महोदय को भले ही शर्म का अनुभव नहीं हुआ हो लेकिन आम आदमी के लिए ये आंकड़े जरुर शर्मनाक है !

हम सब जानते हैं कि हकीकत सरकारी आंकड़ों से ज्यादा भयावह होती है लेकिन अगर सरकारी आंकड़ों की बात ही करें तो जो आंकड़े मंत्री महोदय दे रहें है वो ही मध्यप्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा की स्थति पर ना केवल प्रश्नचिन्ह लगा रहें बल्कि एक संजीदा सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री का सिर शर्म से झुक जाना चाहिए ! लेकिन अफ़सोस भारतीय राजनेताओं को तो देखकर शर्म को भी अपना सिर शर्म से झुकाना पड़ता है और शर्मिंदगी से तो इनका कोई वास्ता ही नहीं है ! अगर मुख्यमंत्री में थोड़ी शर्म हो तो स्थतियाँ सुधारने की और ध्यान देना चाहिए !!

रविवार, 17 फ़रवरी 2013

गुम होते बच्चों के बढते मामले !!

हमारे देश में बाल श्रमिक ,बाल कुपोषण जैसी समस्याएं तो भारत के सामने जस की तस बनी हुयी हि है ! लेकिन जिस तरह से बच्चों के अपहरण ,बच्चों की हत्या और बच्चों के साथ यौनाचार की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी नें सबके लिए एक नयी खतरे कि घंटी बजा दी है ! हम आगे से चली आ रही समस्याओं से निजात पाने में विफल साबित हो रहें है और ऐसे में नयी समस्याएं हमारे सामने आकार खड़ी हो गयी है जिनका अगर कोई रास्ता नहीं जल्दी नहीं ढूंढा गया तो गुम होते बचपन को बचाया नहीं जा सकता ! 

बाल अपहरण के मामलों में जबरदस्त तरीके से बढ़ोतरी हो रही है ! एक आंकड़े के मुताबिक़ हर साल ६०००० बच्चों के गुम होने की रपट दर्ज कराई जाती है और उनमें से बहुत कम संख्या में बच्चों को पुलिस खोज पाती है ! एक स्वतंत्र संस्था मिसिंग चिल्ड्रन इन इण्डिया नें देश के ३९२ जिलों कि जानकारियाँ इकठ्ठी करके बताया कि २००८ से २०१० के बीच एक लाख बीस हजार बच्चों के लापता होने कि जानकारी मिली है ! और इसी दौरान देश की राजधानी दिल्ली में १३५७० बच्चे लापता हुए हैं ! जो मामले कि भयावहता को दर्शाता है !