मेरा यह कहना अटपटा जरुर लग सकता है कि पूर्वोतर राज्यों के लोगों के साथ उपेक्षित व्यवहार होता है लेकिन सच्चाई यही है ! सरकारों और मीडिया द्वारा किये जाने वाले उपेक्षित व्यवहार के कारण शेष भारत को तो यह भी पता नहीं चलता है कि दरअसल पूर्वोतर के राज्यों में हो क्या रहा है क्योंकि इन राज्यों से जुडी कोई बात राष्ट्रीय मीडिया तो दिखाता हि नहीं है और इन राज्यों में होने वाली घटनाएं सता के गलियारों में भी कोई हलचल नहीं मचा पाती है ! यहाँ का स्थानीय मीडिया जरुर दिखाता है लेकिन वो स्थानीय भाषा पर केंद्रित होने के कारण शेष भारत के लोग उसको समझ नहीं पाते और स्थानीय मीडिया कि आवाज कुए के मेंढक की आवाज कि तरह पूर्वोतर राज्यों में हि घुटकर रह जाती है !
राष्ट्रीय मीडिया में पूर्वोतर राज्यों से जुड़े हुए बहुत कम समाचार आते हैं और जो आते हैं उनमें भी केवल चुनावों से जुड़े हुए समाचार हि होते हैं ! मसलन आसाम.मणिपुर,मेघालय,नागालेंड आदि राज्यों में जिस दिन चुनाव होते हैं उस दिन केवल यह बताया जाता है कि फलां राज्य में इतने प्रतिशत मतदान हुआ है और खबर पूरी ! क्या आपके दिमाग में कभी भी यह आता है कि जिन पूर्वोतर राज्यों को अशांत क्षेत्र माना जाता है और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के कारण भी इन राज्यों में विशेष सतर्कता बरती जाती है उनमें क्या कुछ भी घटनाक्रम ऐसा नहीं होता है जिसको मीडिया में दिखाया जाए ! मेरा इस पर यही कहना है कि बहुत सारी ऐसी घटनाएं होती है जिनके बारे में देश को पता चलना चाहिए लेकिन मीडिया के उपेक्षित रवैये के कारण लोगों को पता भी नहीं चल पाता है !
अभी हाल की एक घटना का जिक्र आपके सामनें करना चाहूँगा ! यह बात है १२ फरवरी की जब आसाम में पंचायत चुनाव थे उस दिन यहाँ के राभा हासेंग जनजाति बहुल इलाके में पंचायत चुनावों का विरोध कर रहे राभा हासेंग लोगों पर पुलिस नें गोलियाँ चलाई जिसमें १४ राभा हासेंग जनजाति के लोग मारे गये थे ! और यहाँ पर गौर करने वाली बात यह भी है कि यह गोलीबारी केवल एक मतदान केन्द्र पर नहीं हुयी थी बल्कि अलग अलग जगहों पर हुयी थी जिसमें १४ राभा हासेंग जनजाति के लोग मारे गये थे ! लेकिन यह खबर किसी भी राष्ट्रीय मीडिया पर एक बार भी नहीं दिखाई दी जबकि उसी दिन कोलकाता के छात्रसंघ चुनाव में एक पुलिसवाले कि मौत हुयी थी जिसको पुरे दिन दिखाया गया था ! हालांकि मेरा कहने का अर्थ यह कतई नहीं है कि उसको नहीं दिखाया जाना चाहिए था ! उसको भी दिखाया जाना जरुरी था क्योंकि उसमें भी एक निर्दोष पुलिसकर्मी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था लेकिन आसाम कि इस घटना को नहीं दिखाना भी दुर्भाग्यपूर्ण था !
इससे पहले बोडो बहुल इलाके कि हिंसा के बारे में तो सबको याद हि होगा क्योंकि उससे जुडी ख़बरें तो बाद में मीडिया में आई थी लेकिन वो भी तब आई थी जब उस घटना को लेकर मुंबई में कुछ लोगों नें तांडव मचाया और उसके बाद हि बंगलौर और अन्य राज्यों से पूर्वोतर के लोगों को धमकियां मिलने के कारण वहाँ से पलायन आरम्भ होने के बाद हि मीडिया कि नींद खुली थी और उसमें भी मीडिया नें उस हिंसा के मूल कारण को जानने कि जहमत नहीं उठाई ! ऐसी बहुत सारी घटनाएं बता सकता हूँ जिनमें मीडिया ने पूर्वोतर के राज्यों से जुडी ख़बरों कि उपेक्षा की है !
इस मामले में सरकारों का रवैया भी कुछ ऐसा हि रहा है ! यह क्षेत्र बहुत सारी जातियों और जनजातियों से भरा पूरा है और समय समय पर इनमें किसी ना किसी मुद्दे को लेकर असंतोष का भाव पनपता रहता है लेकिन कभी भी सरकारों नें उन मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया ! और स्थायी समाधान के बदले तात्कालिक उपाय किये जिनके कारण उन समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो पाया और उसी का परिणाम समय समय पर हिंसा के रूप में देखने को मिलता है ! अवैध बांग्लादेशियों का मुद्दा उठाया तो सरकार नें आईएमडीटी एक्ट लाकर उनकी आवाज दबाने कि कोशिश की जिसका परिणाम यह हुआ कि यह क्षेत्र अवैध बांग्लादेशियों कि शरणस्थली बन गया !
इसी तरह राज्यों का सीमा विवाद ,ईसाई मिशिनरियों द्वारा करवाया जाने वाला धर्मान्तरण ,मिजो-नागा विवाद जैसे ढेर सारे विवाद हैं जिनको सरकार नें कभी गंभीरता से नहीं लिया गया है ! यहाँ कि भोगोलिक सरंचना और आवागमन के रास्ते ऐसे हैं जो राज्यों अथवा जातियों के विवाद में एक राज्य अथवा एक जाति द्वारा दूसरे राज्य के लोगों अथवा दूसरी जाति को दण्डित करनें का मौका मिल जाता है ! आपको याद होगा पिछले साल हि मणिपुर को छ: महीने तक आर्थिक अवरोध का सामना करना पड़ा था और वहाँ पर जरुरत के सामानों कि भारी किल्लत आ गयी थी लेकिन तब भी केन्द्र सरकार नींद से नहीं जागी थी और किसी तरह के समाधान कि कोशिश नहीं की गयी थी !
पूर्वोतर राज्यों में सिक्किम हि एक ऐसा राज्य है जहां पर शान्ति है बाकी सभी राज्यों में उग्रवादी ग्रुपों की भरमार है और सरकारों के उपेक्षापूर्ण रवैये से पनपे असंतोष के कारण हि उन उग्रवादी ग्रुपों को केडर मिल रहें हैं ! अगर सरकारें इसको गंभीरता से नहीं लेती है तो स्थतियाँ सुधरने कि बजाय बिगड़ती हि चली जायेगी !
20 टिप्पणियां :
.एक एक बात सही कही है आपने .सार्थक जानकारी भरी पोस्ट आभार .अरे भई मेरा पीछा छोडो आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
यह बात तो एकदम सही है सरकार का पूर्वोतर राज्यों के हित उपेक्षा क्र रही है यही हल मिडिया का भी है,सार्थक आलेख.
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
वहां की राज्य सरकार शायद नहीं चाहती कि उनके राज्य की कमियां लोग जाने
new postक्षणिकाएँ
हमारे मीडिया को चटपटा चाहिए और शायद पूर्वोतर के खबरे उन्हें वह मसाला नहीं दे पाती। अभी देखा नहे अपने इंडिया टीवी वालों का कमाल पाकिस्तान के एक दिवंगत एमपी को ही इन्डियन मुजाहदीन का आतंकवादी दिखा दिया अब पकिस्तान कह रहा है क्षमा मांगो !
आभार !!
आभार !!
सही कहा आपने !!
आभार !!
यही हाल है चारों और !!
आभार !!
एकदम सही कहा आपने ..
nice article
मीडिया वही दिखाती है जो बिकता है,,,,,,,मसाले दार खबरें ,,
Recent Post: कुछ तरस खाइये
बिल्कुल सच कहा है और इसी कारण से वे देश के साथ जुड़ नहीं पाते.
अच्छी जानकारी प्रस्तुत की है आपने,आभार।
सहमत हूँ आपकी बात से भाषा चाहे जो भी हो है तो हमारे देश का ही हिस्सा तो सारे देश की खबरें दिखाई जानी चाहिए जब देश विदेश की खबरें दिखाई जा सकती है तो तो यह तो देश का ही मामला है सार्थक चिंतन।
आभार !!
आभार !!
उसी सच्चाई को सामने रखने का एक छोटा सा प्रयास किया है ,आभार !!
आभार !!
आभार !!
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