चंद्रशेखर आजाद जी पर लिखी गयी मेरे पसंदीदा कवि राजबुन्देली जी की एक रचना :-
सूरज कॆ वंदन सॆ पहलॆ,धरती का वंदन करता था !
इसकी पावन मिट्टी सॆ,माथॆ पर चन्दन करता था !!
इसकी गौरव गाथाऒं का,वॊ गुण-गायन करता था !
आज़ादी की रामायण का,नित्य पारायण करता था !!
संपूर्ण क्रांन्ति का भारत मॆं, सच्चा जन-नाद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!
भारत माँ का सच्चा बॆटा,आज़ादी का पूत वही था !
उग्र-क्रान्ति की सॆना का,संकट-मॊचन दूत वही था !!
आज़ादी की खातिर जन्मा, आज़ादी मॆं जिया मरा !
गॊली की बौछारॊं सॆ वह, शॆर-बब्बर ना कभी डरा !!
कपटी कालॆ अंग्रॆजॊं का खत्म, कुटिल उन्माद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!
इस सॊनॆ की चिड़िया कॊ,खुलॆ-आम जॊ लूट रहॆ थॆ !
उस कॆ कॆहरि-गर्जन सॆ ही,सबकॆ छक्कॆ छूट रहॆ थॆ !!
उस मतवालॆ की सांसॊं मॆं, आज़ादी थी, आज़ादी थी !
हर बूँद रुधिर की उस की, आज़ादी की उन्मादी थी !!
यह राष्ट्र-तिरंगा भारत का, तब तक आबाद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!
अधिकारॊं की खातिर मरना,सिखा गया वह बलिदानी !
स्वाभिमान की रक्षा मॆं, सबकॊ दॆनी पड़ती है कुर्वानी !!
मुक्त-हृदय सॆ उसकी गौरव,गाथा का अभिनंदन करलॆं !
भारत माँ कॆ उस बॆटॆ कॊ,आऒ सत-सत वंदन करलॆं !!
भारत की सीमाऒं पर कॊई,निर्णायक संवाद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!
इसकी पावन मिट्टी सॆ,माथॆ पर चन्दन करता था !!
इसकी गौरव गाथाऒं का,वॊ गुण-गायन करता था !
आज़ादी की रामायण का,नित्य पारायण करता था !!
संपूर्ण क्रांन्ति का भारत मॆं, सच्चा जन-नाद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!
भारत माँ का सच्चा बॆटा,आज़ादी का पूत वही था !
उग्र-क्रान्ति की सॆना का,संकट-मॊचन दूत वही था !!
आज़ादी की खातिर जन्मा, आज़ादी मॆं जिया मरा !
गॊली की बौछारॊं सॆ वह, शॆर-बब्बर ना कभी डरा !!
कपटी कालॆ अंग्रॆजॊं का खत्म, कुटिल उन्माद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!
इस सॊनॆ की चिड़िया कॊ,खुलॆ-आम जॊ लूट रहॆ थॆ !
उस कॆ कॆहरि-गर्जन सॆ ही,सबकॆ छक्कॆ छूट रहॆ थॆ !!
उस मतवालॆ की सांसॊं मॆं, आज़ादी थी, आज़ादी थी !
हर बूँद रुधिर की उस की, आज़ादी की उन्मादी थी !!
यह राष्ट्र-तिरंगा भारत का, तब तक आबाद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!
अधिकारॊं की खातिर मरना,सिखा गया वह बलिदानी !
स्वाभिमान की रक्षा मॆं, सबकॊ दॆनी पड़ती है कुर्वानी !!
मुक्त-हृदय सॆ उसकी गौरव,गाथा का अभिनंदन करलॆं !
भारत माँ कॆ उस बॆटॆ कॊ,आऒ सत-सत वंदन करलॆं !!
भारत की सीमाऒं पर कॊई,निर्णायक संवाद नहीं हॊगा !
जब तक इस भूमि पर पैदा, फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा !!
10 टिप्पणियां :
जोशीले आजाद को जोशीली श्रद्धांजलि ||
सादर नमन ||
HAMARA NAMAN BHI IS MAHANTAM SHAHEED KO .
अच्छी प्रस्तुति है...
राज बुंदेला और आपको आभार !
बेहतरीन रचना के लिए आपका ह्रदय से आभार।
कवि को आभार व्यक्त करूं या आजाद को नमन करूँ इसी असमंजस में हूँ| बेहतरीन लेखन ..
सुन्दर प्रस्तुति!
अमर शहीद को नमन!
नमन ...
मैंने तो साझा किया है इसलिए आभार के हकदार तो कविवर हि है !!
आभार !!
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