बुधवार, 15 मई 2013

राजनैतिक चालबाजियों का दौर है कुछ भी हो सकता है !!

पिछले दिनों चली राजनैतिक गतिविधियों नें कई सवाल खड़े कर दिए हैं ! जिस तरह से कांग्रेस कोर ग्रुप की मीटिंग में सोनिया गांधी का यह कहना कि किसी भी मंत्री का इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं उठता और विपक्ष को मुखर जबाब दिया जाए ! संसद सत्र रेलमंत्री पवन बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग के शौर शराबे की भेंट चढ गया ! और सोनिया गांधी नें तब भी दोनों मंत्रियों के इस्तीफे के लिए कोई पहल नहीं करती है जबकि कर्नाटक में चुनाव का दौर भी चल रहा था ! फिर अचानक मीडिया में दस जनपथ के  दरबारी ये बात उछालते हैं कि मंत्रियों को लेकर सोनिया नाराज है और प्रधानमंत्री पर मंत्रियों के इस्तीफे के लिए दबाव बनाया जा रहा है !

उसके बाद नाटकीय तरीके से दोनों मंत्रियों के इस्तीफे दिलवाए गए और ऐसा दिखाया गया कि प्रधानमंत्री इन दोनों भ्रष्ट मंत्रियों को बचाना चाहते थे लेकिन सोनिया नें दबाव बनाकर इन दोनों मंत्रियों का इस्तीफा दिलवाया ! जिसके कारण कई सवाल उठना लाजमी है ! पहली बात तो यह है कि नौ साल के यूपीए शासन में देखा नहीं गया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोनिया गांधी के इतर भी कुछ सोच सकते हैं और कोई कदम उठा सकते हैं और इसके कारण ही तो उन पर विपक्ष की और से लगातार रिमोट प्रधानमंत्री होनें के आरोप लगते रहे हैं इसलिए ऐसा सोचा नहीं जा सकता कि सोनिया गांधी मंत्रियों के इस्तीफे की इच्छुक हो और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उनकी बात ठुकरा दें ! और ये बात उसके एकदम उलट है जिसमें अभी तक हर कांग्रेसी कहता आया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह निजी तौर पर ईमानदार हैं !  

दूसरी बात अगर सोनिया गांधी इन दोनों मंत्रियों के इस्तीफे की इच्छुक होती तो इन दोनों मंत्रियों से सीधे इस्तीफा देनें के लिए भी कह सकती थी क्योंकि इस बार तो दोनों मंत्री उनकी पार्टी के ही थे और राजनीति की थोड़ी समझ रखने वाला भी यह जानता है कि कांग्रेस्सियों के लिए दस जनपथ का आदेश भले ही अनमने मन से हो लेकिन शिरोधार्य होता है ! फिर ऐसा क्या कारण था कि सोनिया की नाराजगी की बात मीडिया में फैलाई जाती है और उसके बाद सोनिया गांधी और दस जनपथ के दरबारियों का प्रधानमंत्री से मुलाकातों का दौर चलता है और दोनों मंत्रियों का इस्तीफा दिलवाया जाता है ! 


वैसे भी अभी तक नौ सालों के यूपीए शासन में ऐसा कहीं देखने को मिला नहीं कि सोनिया गांधी भ्रष्टाचार को लेकर विरोधी तेवर रखती हो क्योंकि यह कोई पहला मामला तो था नहीं जो जनता को सोनिया गांधी का रवैया मालुम नहीं हो ! यूपीए शासन में तो इस बार रिकोर्ड भ्रष्टाचार के मामले सामने आये हैं जिनमें कभी ऐसा देखने को मिला नहीं कि सोनिया नें अपनी और से पहल करके मंत्रियों को इस्तीफा देने को कहा हो और निष्पक्ष जांच के लिए कहा हो ! फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि सोनिया गांधी को यह दिखावा करना पड़ा कि वो भ्रष्टाचार की विरोधी है जबकि ऐसा हकीकत में होता तो यूपीए कि सरकार इतनी बदनाम भी नहीं हुयी होती ! 

दरअसल इसमें परदे के पीछे से दस जनपथ के शातिर रणनीतिकारों द्वारा कोई राजनितिक चालों द्वारा बिसात बिछाई गयी है जिसका सही पता तो आने वाले समय में लग ही जाएगा ! लेकिन तरह तरह के कयास तो लगाए ही जा रहे हैं जिनमें सबसे बड़ा कयास तो यही लगाया जा रहा है कि शायद कांग्रेस को लग रहा है कि अब चुनावों से ज्यादा दिन बचा नहीं जा सकता है और आगामी चुनावों में राहुल के लिए मैदान तैयार किया जा रहा है ! खैर जो भी हो कुछ दिनों में सामने आ जाएगा इसलिए सुरेश बुन्देल जी की इन पंक्तियों को पढते हुए आप भी कयास लगाते रहिये !

मामू की फाइल सलटी, अश्विनी को वनवास!
क्योंकि सत्ता की चाबी, दस जनपथ के पास!!
दस जनपथ के पास, 'मन' के पर भी कतरे!
सिंहासन पर मंडराते, षडय़न्त्री खतरे!!
राहुल को नेतृत्व, सौंपने की तैयारी!
साजिश रचते मैडम के, शातिर दरबारी!!

निबट रही धीरे- धीरे, सिंह इज़ किंग की टीम!
कुनबे से ही संचालित, निश्चय गुप्त मुहिम!!
निश्चय गुप्त मुहिम, ताकि खुद हट जाएं!
इज्ज़त से संन्यास लेकर, छुट्टी पाएं!!
अश्विनी और मामू को, अपनों ने पकड़ाया!
शहज़ादे को ताज़ मिले, षडय़न्त्र रचाया!!

5 टिप्‍पणियां :

Shikha Kaushik ने कहा…

POLITICS IS THE PLACE WHERE EVERYTHING IS RIGHT TO MAINTAIN GOVT. NO PARTY CAN CROSS THIS BORDER .GOOD ARTICLE . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.

Shalini kaushik ने कहा…

.सार्थक जानकारी हेतु आभार ..आभार . कायरता की ओर बढ़ रहा आदमी ..

Rajendra kumar ने कहा…

सही कहा आपने आगामी चुनावों के लिए राहुल के किये मैदान तैयार किया जा रहा है.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!