गुरुवार, 16 मई 2013

राजनितिक वंशवाद की फलती फूलती वंशबेल !!

भारत की आजादी से पहले राजशाही हुआ करती थी जिसमें राजा को चुनने के लिए कोई चुनाव का प्रावधान नहीं होता था बल्कि वंशवाद के आधार पर ही उनका उतराधिकारी तय होता था ! कुछ कुछ वैसी हालत ही आज की ज्यादातर राजनैतिक पार्टियों की है जिनमें वंशवाद के आधार पर ही पार्टी के उतराधिकारी थोप दिए जाते है ! कैसी विडम्बना है कि लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में शासन करने वाली पार्टियां खुद अपने उतराधिकारी का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से करने का केवल दिखावा भर करती है !

देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस आजादी के बाद से लेकर अभी तक वंशवाद की बेड़ियों से बाहर नहीं निकल पायी है और आगे भी इससे बाहर निकलती दिखाई नहीं दे रही है ! समाजवादी लहर की उपज लालू यादव और मुलायम सिंह यादव की पार्टी राजद और सपा वंशवाद के रास्ते पर चल ही रही है और दोनों पार्टियां नए नए राजनितिक वारिश तैयार करने कि हौड़ में सबसे आगे दिखाई डे रही है ! शिवसेना भी तो परिवारवाद के रास्ते पर ही आगे बढ़ रही है ! जिसमें आजकल बालासाहेब ठाकरे के पुत्र और पोत्र शिवसेना की बागडोर संभाले हुए हैं ! राज ठाकरे कि मनसे भी इससे अलग नहीं है और उसके कर्ता धर्ता राज ठाकरे भी तो वंशवाद कि ही उपज है ! 

हरियाणा में भी कांग्रेस विरोध के नाम पर बनी हजका और इनेलो जैसी पार्टियां भी बुरी तरह से वंशवाद में जकड़ी हुयी है ! उधर रामविलास पासवान कि पार्टी लोजपा भी उसी रास्ते पर जाति हुयी दिख रही है ! आंध्र में वाईएसआर कांग्रेस भी इसी वंशवादी परम्परा कि उपज है तो सोनिया के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस से अलग होकर बनी पार्टी राकांपा में भी महाराष्ट्र में शरद पंवार परिवारवाद को ही आगे बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ पूर्वोतर में पी.के.संगमा (जो अब इसमें नहीं है ) भी परिवारवाद को ही हावी करते जा रहे हैं !



इस तरह से जहां पहले केवल कांग्रेस में ही वंशवाद अथवा परिवारवाद था अब वो धीरे धीरे सब पार्टियों में फैलता जा रहा है अथवा हर पार्टी उसको आगे बढ़ाती जा रही है ! ऐसे में यह सवाल है कि जो पार्टियां अपने भीतर लोकतंत्र विकसित करने कि बजाय वंशवाद को हावी करके क्या एक नए तरीके की राजशाही लागू नहीं करती जा रही है जिसमें पार्टी के बाकी नेताओं कि भूमिका ठीक उसी तरह की रह  गयी है जो किसी समय राजशाही में दरबारियों और चारणों की हुआ करती थी जहां पर हाँ में हाँ मिलाने और गुणगान करने के सिवा कुछ कर नहीं सकते ! जनता भी इन पार्टियों के वंशवाद को वोट देकर बढ़ावा ही दे रही है !

8 टिप्‍पणियां :

अरुन अनन्त ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (17-05-2013) के चर्चा मंच 1247 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

आर्यावर्त डेस्क ने कहा…

nice !!!

http://www.liveaaryaavart.com/

HARSHVARDHAN ने कहा…

एक अच्छा विश्लेषण!! धन्यवाद।

नये लेख : 365 साल का हुआ दिल्ली का लाल किला।

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

असल तस्वीर
बहुत बढिया

Jyoti khare ने कहा…

राजनीती का असली रूप
और वंशवाद का भी असली रूप
बहुत खूब उभारा है आपने-----


पढ़ें "बूंद"

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार !!