समाचार एजेंसी राइटर्स को दिए गए इंटरव्यू को लेकर मीडिया में नरेंद्र मोदी की आलोचना की जा रही है ! और तरह तरह के मंतव्य दिए जा रहे हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या किसी नें उस इंटरव्यू को पढ़ा भी है या महज एक शब्द को ही गलत मानकर उसके अर्थ निकाले जा रहें हैं ! मुझे तो यही लगता है कि जो भी मोदी की आलोचना कर रहें हैं उन्होंने या तो उस इंटरव्यू को पढ़ा नहीं है या फिर वो जानबूझकर उस इंटरव्यू के अर्थ का अनर्थ केवल और केवल इसलिए कर रहें है क्योंकि वो इंटव्यू नरेंद्र मोदी का है !!
वो पूरा इंटरव्यू अंग्रेजी में है और उसको यहाँ जाकर पूरा पढ़ा जा सकता लेकिन इंटरव्यू के जिस हिस्से पर विवाद खड़ा किया गया है उस हिस्से को मै हिंदी में आपके सामनें प्रस्तुत कर रहा हूँ ! जिससे आप खुद पढकर फैसला कर सके कि उसमें क्या गलत है और क्या सही है ! मुझे तो उसमें कुछ गलत नजर नहीं आ रहा है शायद आपकी पारखी नजरें उसमें कुछ गलत खोज सके तो कृपया मुझे भी बताने का कष्ट अवश्य करें !
कांग्रेस द्वारा तो जो कहा जा रहा वो तो समझ में आ रहा है क्योंकि कांग्रेस तो मोदी पर ऐसे ही लगातार हमले करती आ रही है और उसके तमाम नेता आजकल मोदी पर ही निशाना साध रहे हैं ! मोदी के खिलाफ जांच एजेंसियों के दुरूपयोग के आरोप भी उस पर लग ही रहें हैं और देश की सर्वोच्च दो एजेंसियां भी इन्ही आरोपों के बीच आमने सामने है ! लेकिन मीडिया के रवैये को लेकर जरुर प्रश्न खड़ा हो रहा है क्योंकि क्या मीडिया इतना नासमझ है कि वो इंटरव्यू में कही गयी बातों को समझ ही नहीं पा रहा है ! ऐसा तो हो नहीं सकता कि मीडिया इसको समझ नहीं रहा हो !
फिर मीडिया क्यों इकतरफा पक्षपात कर रहा है ! जबकि मीडिया का काम सच दिखाने का है लेकिन लगता है मीडिया ही आज सबसे ज्यादा पक्षपाती हो रहा है ! आजकल मीडिया पर ऐसे ही कारणों से ही तो पक्षपात के आरोप लग रहे हैं जिसको शोशल मीडिया पर मीडिया चेन्नल वालों के पेजों पर जाकर देखा जा सकता है ! और इसी कारण से तो मीडिया आज संदेह के घेरे में खड़ा है !
39 टिप्पणियां :
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (14 -07-2013) के चर्चा मंच -1306 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
बहुत खूब,राजनीति में बवाल होना स्वाभाविक है,व्यान चाहे मोदी जी का हो या दिग्विजय सिंह जी का हो ,,,
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baval to bevajah nahi hai .
सहर्ष आभार !!
दिग्विजय के बयान में तो बवाल जैसा था लेकिन मोदी के बयान में वैसा कुछ था ही नहीं जिस पर बवाल हो !!
सादर आभार !!
मुझे तो कोई वजह नजर नहीं आती इसीलिए ज्ञानीजनों से बयान को दिखाकर पूछ रहा हूँ कि कोई मुझे भी तो वो वजह बता दे ताकि मेरे मूढ़मति दिमाग में भी कुछ घुसे !!
आभार !!
puran ji ,
ye desh insan kee tulna janvar se karne vale ko bardasht nahi kar sakta aur jahan tak gujrat ke dangon kee bat hai vahan aadmi mare gaye the aise me kya modi ji ke pas koi aur udaharan nahi tha aur is tarah to ve bhi apne pratidwandi ke star par [gir ]rahe hain jo ki unke madhumakkhi ke chhate ko maa kahte the fir insan ko kutte ka bachcha kahna aapko kyoon nahi lagta ki galat hai ab mauka auron ke pas hai ki ve kahen ki kutte ka bachcha nahi''gujrat ka bachcha'' .
दिग्विजय लाहौल बिलाकूवत किस दुर्मुख का नाम ले दिया .मोदी फोबिया से कई ग्रस्त हैं .
कोंग्रेस में एका है इसके सारे भोंपू एक साथ बोलतें हैं .
मोदी अब एक रणभेरी है रोक सके तो रोक .
हिन्दुस्तान के बाहर ये सोनिया फोनिया MMS को कोई नहीं जाता अलबत्ता अंग्रेजी वाले MMS सब वाकिफ हैं .मोदी का मतलब तरक्की है .जियारत करके लौट रहे थे वे लड़के सबके सब मैं आबू रोड से मुंबई लौट रहा था वाया एहमदाबाद .ट्रेन में मिले थे उन्हीं के थे ये उदगार .हिन्दुस्तान के सभी दुर्मुख नोट करें .वो जिनके आका दिग्विजय हैं .भोपाली बाज़ीगर हैं .नर भूलूं नारायण न भूलूँ .
हिन्दुस्तान के बाहर ये सोनिया फोनिया MMS को कोई नहीं जाता अलबत्ता अंग्रेजी वाले MMS सब वाकिफ हैं .मोदी का मतलब तरक्की है .जियारत करके लौट रहे थे वे लड़के सबके सब मैं आबू रोड से मुंबई लौट रहा था वाया एहमदाबाद .ट्रेन में मिले थे उन्हीं के थे ये उदगार .हिन्दुस्तान के सभी दुर्मुख नोट करें .वो जिनके आका दिग्विजय हैं .भोपाली बाज़ीगर हैं .नर भूलूं नारायण न भूलूँ .
बढ़िया चर्चा सजाई है प्रासंगिक लिंक (सेतु )लगाए हैं ..बधाई और शुक्रिया हमें बिठाने के लिए इस सुमंच पर .
दिग्विजय लाहौल बिलाकूवत किस दुर्मुख का नाम ले दिया .मोदी फोबिया से कई ग्रस्त हैं .
कोंग्रेस में एका है इसके सारे भोंपू एक साथ बोलतें हैं .
मोदी अब एक रणभेरी है रोक सके तो रोक .
हिन्दुस्तान के बाहर ये सोनिया फोनिया MMS को कोई नहीं जानता . अलबत्ता अंग्रेजी वाले MMS सब वाकिफ हैं .मोदी का मतलब तरक्की है .जियारत करके लौट रहे थे वे लड़के सबके सब मैं आबू रोड से मुंबई लौट रहा था वाया एहमदाबाद .ट्रेन में मिले थे उन्हीं के थे ये उदगार .हिन्दुस्तान के सभी दुर्मुख नोट करें .वो जिनके आका दिग्विजय हैं .भोपाली बाज़ीगर हैं .नर भूलूं नारायण न भूलूँ .
मोदी अब हिन्दुतान की खासकर युवा हिन्दुस्तान की साँसों की धौंकनी हैं .ले आओ कांग्रेसी युवा प्रिंस को .उनके सामने दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा .है कोई कांग्रेसी लाल जो हुंकारे .
दिग्विजय लाहौल बिलाकूवत किस दुर्मुख का नाम ले दिया .मोदी फोबिया से कई ग्रस्त हैं .
शालिनी जी , मोदी नें इंसान की तुलना कुत्ते से नहीं की है यह आपके समझ का फर्क है ! उनके कहे को पढ़े (कोई व्यक्ति ,हम गाडी चला रहे हैं , हम ड्राइवर हैं अथवा कोई और गाडी चला रहा है और आप उसके बगल में बैठे हैं तब भी एक कुत्ते का बच्चा पहिये के निचे आ जाता है ! इसका दुःख होगा या नहीं ? कोई शक नहीं में मुख्यमंत्री हूँ या नहीं हूँ ,में एक इंसान तो हूँ और कहीं पर भी किसी के साथ कुछ बुरा घटित होता है तो दुःख होना स्वाभाविक है ) इसमें मनुष्य की तुलना कहाँ से हो गयी ! तुलना तब होती जब मोदी ये कहते (कोई व्यक्ति ,हम गाडी चला रहे हैं , हम ड्राइवर हैं अथवा कोई और गाडी चला रहा है और आप उसके बगल में बैठे हैं तब भी एक कुत्ते का बच्चा पहिये के निचे आ जाता है ! उसका जितना दुःख होता है उतना मुझे भी हुआ है ) ! तुलना वाला वाक्य यह होता है और तब कहा जा सकता था कि मोदी नें कुत्तों की तुलना मनुष्यों से कर दी ,आप जबरदस्ती तुलना कर रही है तो कौन रोक सकता है !
आभार !!
सही कहा आपनें !!
सादर आभार !!
सही कहा आपनें !!
सादर आभार !!
सही कहा आपनें !!
सादर आभार !!
कुत्ते की असामायिक मृत्यु के प्रति भी दुख की बात कहने का आशय प्रत्येक जीवन का आदर और सम्वेदना प्रकट करने का था. दुर्बोधों ने सप्रयोजन मात्र कुत्ता शब्द पकडा. शब्द मात्र से सुप्त जाति बोध का जाग जाना सम्भव है.उनके लिए मरने का उदाहरण देना उन्हें सहसा हतप्रभ कर जाता है,बात चाहे सम्वेदना से कही जाय. :) त्वरित प्रतिक्रिया ऐसी हो जाती है.
सही कहा आपनें !!
सादर आभार !!
दोनों ही पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं. दुर्भाग्य यह है कि इनको अच्छाई में भी बुराई ही ढूंढने की आदत लग गई है. इसलिये इनका सुबह सुबह नाम लेना या दर्शन करने से सारा दिन चौपट होने का खतरा रहता है.:)
रामराम.
बहुत अच्छा आलेख पूरण जी,मोदी जी को लेकर हर तरफ चर्चा का बाजार गर्म है। कोई यह देखता ही नहीं सच क्या है।
यह बात तो सही कही ताऊ आपनें लेकिन क्या करें सुनने की मज़बूरी है !!
आभार ताऊ !!
राम राम !!
वही तो में समझाना चाहता हूँ !!
आभार मनोज जी !!
सादर आभार !!
सादर आभार !!
सादर आभार !!
अर्थ का अनर्थ करना इसको ही तो कहते हैं और इससे मानसिक दिवालियेपन का भी पता चलता है !!
सादर आभार !!
कुछ टुच्चे राजनीतिज्ञों और बिकाऊ मीडिया को तो सिर्फ बात का बतडंग बनाने का कोई मौक़ा मिलना चाहिए, बस।
पूरण खंडेलवाल जी मैं आपके कथन से सहमत हूँ हमारे देश में वैसे भी हिंदी बातो बातो में मुहावरे चलते हैं ,यदि कोई ये मुहावरा पेश कर रहा है की वो एक कुत्ते की मोत भी बर्दाश्त नहीं कर सकता वो दिल की गहराई से बोल रहा है ये तो हम आम बोलचाल में भी कहते हैं की फलां एक चींटी भी नहीं सकता या मक्खी भी नहीं मार सकता लोग बात के मर्म को ना समझते हुए या ना समझने का ढोंग करते हुए बबाल कर रहे हैं और क्यूँ कर रहे हैं वो भी सब जानते हैं बस इतना कहूँगी -----आज रास्ते में कुत्ते बहुत भौंक रहे हैं जरूर कोई हाथी जा रहा होगा ----अब मेरी बात के अर्थ का कोई अनर्थ करे बेशक कोई परवाह नहीं
सही कहा है आपनें !!
सादर आभार !!
आपकी बात सही है अर्थ के अनर्थ निकाले जा रहे हैं और वो भी जानबूझकर !!
सादर आभार आदरेया !!
अब तक 2002 की घटनाओं पर कुछ न बोलने के लिए मोदी को उकसाया जाता तह कि उस पर कुछ क्यों नहीं बोलते.और इस पर बवाल था.और अब मोदी बोल गए तो उस पर बवाल है.कांग्रेस को तो मोदिफोबिया था ही,अब समाजवादी,वाम पन्थियो व बी एसपी को भी हो गया है.समझ नहीं आता कि मोदी से वे इतना क्यों डरे हुए हैं.मोदी का भी कुछ इजाफा ही हो रहा है.सब को यु पी के रहमान खा के उस बयां पर कोई गुस्सा नहीं आया जब उन्होंने अलाप्संखाय्कों के लिए अलग पुलिस की मांग की.उलटे कांग्रेसी व समाजवादी उनकी हाँ में हाँ मिलते नजर आये.क्या यह देश को बाँटने कि साजिश नहीं.इन्हें उस समय गुस्सा नहीं आता जब अलगाववादी कश्मीर में तिरंगे व राष्ट्रगीत का अपमान करते हैं.ये लोग वोट के लिए दुश्मन को भी गले लगा सकते हैं.अलगाववादियों पर चुप रह उनका मन सन्मान करते हैं,मोदी के राष्टवादी हिन्दू होने पर उन्हें ऐतराज है.कुत्ते के पिल्लै कि जगह मोदी यदि "किसी भी इंसान" शब्द का प्रयोग करते तो भी इन्हें ऐतराज ही होता क्योंकि इनके पास गरियाने के अलावा कोई काम नहीं.लादेन को लादेंजी कहना व अन्य आतंकियों को "श्री " " जी"शब्द प्रयोग कार बोलने में उन्हें भारतीय संस्कृति याद आती है,लेकिन मानवीय संवेदना के लिए मोदी का बोलना उन्हें नहीं सुहाता केवल बवाल मच कर जनता को बरगला सहानुभूति प्राप्त करना इनका एक मात्र उदेश्य रह गया है,कुछ कारन ये भी है कि मोदी कि आंधी में जे डी यू समाजवादियों के पैर उखड़ने का डर है.जरूरत निष्पक्ष हो कर देखने व सोचने की है.
मोदी के नाम से सब घबरा उठे हैं ।
जिसके खयाल से ही रूह कांपती है मेरी,
वही दे रहा है दस्तक मेरे किवाड पे ।
आपका एक एक शब्द सत्यता लिए हुए है !!
सादर आभार आदरणीय !!
कुछ ऐसा ही आभास हो रहा है !!
सादर आभार !!
आभार !!
shalini ji modi ji ne jo kuch bhi kaha ho ,wo galat ho ya,sahi ,par modi ji ko salaam hain wohi hain india ko 1 sahi raah dikha sakte hain
SAHI KAHA AAP NE MAHENDRA G AAP NE
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