शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

सपनों के सच होने पर क्या यकीन किया जा सकता है !!

साधू को स्वपन में खजाना दिखने और उसके बाद खुदाई चालु करने के कारण उन्नाव जिले का डोडिया खेड़ा गाँव अचानक मीडिया में चर्चित हो गया !  लेकिन क्या स्वपन में दिखाई देने वाली बातें सच भी हो सकती है इसको लेकर एक नयी बहस जरुर छिड गयी ! हालांकि स्वपनों को लेकर हमेशा से विरोधाभासी रुख ही रहा है और कुछ लोग जहां स्वपनों की सत्यता को सिरे से नकारते रहे हैं वही ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो स्वप्नों की सत्यता पर शतप्रतिशत सहमत नहीं है लेकिन एकदम से नकारते भी नहीं है ! 

स्वपन शरीर की शिथिल अवस्था में जागृत और अवचेतन मन के बीच होने वाले संकेतों के आदान प्रदान के दौरान उत्पन होनें वाली घटनाएं होती है ! जिनको कई लोग भविष्य का संकेतक भी मानते हैं लेकिन स्वपन सदैव सत्य हो ऐसा भी नहीं कहा जा सकता और सदैव असत्य हो ऐसा भी नहीं कहा जा सकता ! हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी स्वप्नों की सत्यता को लेकर अनेकानेक तथ्य सामने आते हैं ! रामायण में भी एक प्रसंग आता है जो उस समय का है जब भारत जी राजा दशरथ के देवप्रयाण के बाद रामजी को लिवाने जाते हैं ! उनके वहाँ पहुँचने से पहले सीताजी सपने का जिक्र करती है जिसमें माँ सीता व्याकुल होकर भगवान श्रीराम जी से कहती है कि मैनें आज स्वपन में देखा है कि भरतजी राज समाज सहित आये हैं और जो दृश्य मैनें देखा है उससे मेरा मन व्याकुलता से भर गया है ! 

रामायण में ऐसे कई तथ्य स्वपनों को लेकर आये हैं जो स्वप्नों की सत्यता की पुष्टि करते हैं ! मत्स्यपुराण भी स्वपनों को भविष्य का संकेत मानता है ! वर्तमान में भी स्वपनों को लेकर कई घटनाएं हमारे आस पास ऐसी घटित होती है जो स्वपनों की सत्यता की धारणा को बल प्रदान करती है ! हालांकि उनाव में खजाने को लेकर जिस स्वपन का जिक्र किया जा रहा है उसकी सत्यता की पुष्टि होना अभी बाकी है लेकिन देर सवेर सच सामने आ ही जाएगा ! जहां तक मेरा मानना है स्वपन में खजाने को लेकर संकेत तो मिल सकता है लेकिन इतना सटीक संकेत स्वपन में मिल सकता है इस पर सहसा विश्वास नहीं होता ! जबकि स्वपन देखने वाले साधू का कहना कि वहाँ एक हजार टन सोना है शक भी पैदा करता है ! 

स्वपन की सत्यता को में अपनी आँखों से लगभग २१-२२ साल पहले देख चूका हूँ जिसका जिक्र भी कभी अलग से पोस्ट डालकर करूँगा ! उसके बाद में ना तो हर स्वपन को सत्य मानता हूँ और ना ही असत्य मानता हूँ बल्कि उसकी सत्यता और असत्यता को समय पर छोडकर इन्तजार करना ही बेहतर मानता हूँ ! लेकिन इतना जरुर कहूँगा कि अगर यह स्वपन सत्य होता है तो यह स्वपनों की सत्यता पर सरकारी मुहर लगने जैसा होगा ! इस विषय पर आपकी बहुमूल्य राय का इन्तजार मुझे जरुर रहेगा ! 


9 टिप्‍पणियां :

Unknown ने कहा…

सशक्त समसामयिक आलेख |

मेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति।...
शरदपूर्णिमा आ गयी, लेकर यह सन्देश।
तन-मन, आँगन-गेह का, करो स्वच्छ परिवेश।।
...सुप्रभात..। आपका दिन मंगलमय हो।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

कभी कभी सपने सच भी हो जाते है ! सशक्त आलेख ,,,,

RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

आभार !!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सादर आभार !!

Unknown ने कहा…

सपनों की दुनिया अजीब है पूरण जी, कुछ सच भी हो जाते हैं।

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सही कहा आपनें !!
आभार !!

Pallavi saxena ने कहा…

सच ही है सपने सच हो भी सकते है और नहीं भी मगर किसी के सपने पर यूं सरकारी मोहर लगना कुछ बात समझ नहीं आयी। बाकी तो आपने स्वयं ही लिखा है देर सवेर सच सामने आहि जाएगा।

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सही कहा आपनें !!
आभार !!