राजनीति में अंदरूनी तौर पर रणनीतियाँ तो बनती है और उन्ही रणनीतियों के अनुरूप ही राजनितिक पार्टियां निर्णय लेती भी है ! लोकतंत्र में जनता सर्वोपरी होती है और यह सब जनता पर अपनी पार्टी का प्रभाव जमाने के लिए और जनता के वोट हासिल करने के लिए ही पार्टियां करती है ! लेकिन रणनीतियाँ बनाने और उन्हें अमलीजामा पहनाने के लिए भी कुशलता चाहिए वर्ना सफलता के बजाय असफलता हाथ लगती है !
अब देखिये ना दागी सांसदों और विधायकों पर आये सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को बदलने के लिए सरकार नें जो अध्यादेश राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था उस पर कांग्रेस की सारी की सारी रणनीति हवा हो गयी और उससे ना निगलते बना और ना उगलते बना और हर तरफ से मात ही मात हिस्से में आई !जहां एक और राष्ट्रपति नें अध्यादेश को लेकर सवाल खड़े करके जनता में विश्वास जगाया वहीँ कांग्रेस का यह मुगालता भी हवा हो गया कि कांग्रेस समर्थित राष्ट्रपति हैं इसलिए अध्यादेश पर बिना ना नुकर किये हस्ताक्षर कर देंगे ! कांग्रेस के रणनीतिकारों को इस बात का अंदेशा तक नहीं था कि राष्ट्रपति का रुख इस तरह का रहेगा !
जब राष्ट्रपति नें चार मंत्रियों को बुलाकर राष्ट्रपति नें अपनें रुख का इजहार किया तो कांग्रेस रणनीतिकारों नें आनन् फानन में एक नयी रणनीति का खाका तैयार किया ! जिसमें उन्होंने योजना तो बनायी जनता के बीच राहुल गांधी की छवि बनाने की लेकिन मामला उल्टा पड़ गया ! जिस तरह की राजनितिक नाटकबाजी हुयी उसे देखकर कांग्रेस के रणनीतिकारों पर सतर के दशक की हिंदी फिल्मों का प्रभाव साफ़ दिखाई पड़ रहा है ! उन फिल्मों में एक दृश्य होता था जिसमें नायक भाड़े के गुंडों को नायिका को छेडने के लिए कहता है और ऐनवक्त पर आकर गुंडों की पिटाई करता है ताकि नायिका पर उसका प्रभाव पड़ता और उनकी जान पहचान हो जाती थी ! कुछ वैसा ही इस राजनितिक नाटकबाजी में देखनें को मिला !
आज कोई यह कैसे मान सकता है कि राहुल गांधी और सोनिया जी की रजामंदी के बिना यह अध्यादेश मंत्रीसमूह में पास भी हो सकता है और राष्ट्रपति के पास भी भेजा जा सकता है ! राहुल,सोनिया का प्रभाव कांग्रेस और सरकार पर क्या है यह किसी से छिपा हुआ नहीं है ! और इसका उदाहरण तो उस समय भी मिल गया जब जिस मंत्रीसमूह में शामिल मंत्रियों नें इस अध्यादेश को सहमति देकर पास किया था उनको राहुल के बयान के साथ ही पाला बदलनें में थोडा वक्त भी नहीं लगा ! ऐसे में राहुल की इस बयानबाजी को नाटकबाजी से ज्यादा कुछ माना भी नहीं जा सकता !
राहुल के बयान के बाद अध्यादेश वापिस लेनें की प्रधानमंत्री जी की घोषणा तो मात्र औपचारिकता भर रह गयी थी क्योंकि जानकार लोग अच्छी तरह जानते थे कि प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह जी गांधी परिवार के उलट जानें की तो सोचेंगे भी नहीं और केवल प्रधानमंत्री ही क्यों कोई भी कांग्रेसी यह हिम्मत नहीं कर सकता और कर भी ले तो वो कांग्रेस में रह नहीं सकता ! लेकिन इतना जरुर है कि इस नाटकबाजी नें मनमोहन सिंह जी की जो थोड़ी बहुत छवि बची हुयी थी उसे भी तार तार कर दिया !
विडम्बना देखिये उनके प्रधानमन्त्री के कार्यकाल के अंतिम समय में उसी गांधी परिवार नें अपना अलग रुख अपना लिया जिसके फैसलों को लागू करनें में सब कुछ ताक पर रख देनें के कारण ही उन पर रिमोट संचालित प्रधानमंत्री होनें के आरोप तक लगते रहे हैं ! कहीं मनमोहनसिंह जी दूसरे सीताराम केसरी तो नहीं बनने जा रहे हैं ! स्थतियाँ भी ठीक वैसी है सीताराम केसरी के समय में कांग्रेस की कमान सोनिया जी के हाथों में देनी थी और आज राहुल को प्रधानमंत्री की कमान देनें को कांग्रेस आतुर है !
18 टिप्पणियां :
लौकिक जीवन में यह मान्यवर ऐसे है जैसे ब्राह्मण जीमने के लिए बैठ चुकें हैं पत्तल परोसी जा चुकी हैं और कोई शैतान नासमझ लड़का आकर सारी पत्तलें फैंक दे।
अध्यादेश पर सारी कैबनेट का लिखा हुआ पत्र था जिसे मंद मति ने आकर फाड़ के फैंकने की बात की थी और अब आई ऍम सारी कुछ इस अंदाज़ में कह रहा है जैसे कोई बालक मास्साब (मास्टर जी )से कहे -मासटर जी कल मैंने सबके सामने क्लास में शु शु कर दिया था मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मम्मी ने कहा है यह बुरी बात होती है जाओ जाके मास्टर जी से माफ़ी मांगो और फिर नीचे मुंह करके कहे -आई ऍम सोरी मास्टर जी।
ऐसे मंदमति को आप भारत की बागडोर सौंपने की भी कैसे सोच सकते हैं।
लौकिक जीवन में यह मान्यवर ऐसे है जैसे ब्राह्मण जीमने के लिए बैठ चुकें हैं पत्तल परोसी जा चुकी हैं और कोई शैतान नासमझ लड़का आकर सारी पत्तलें फैंक दे।
अध्यादेश पर सारी कैबनेट का लिखा हुआ पत्र था जिसे मंद मति ने आकर फाड़ के फैंकने की बात की थी और अब आई ऍम सारी कुछ इस अंदाज़ में कह रहा है जैसे कोई बालक मास्साब (मास्टर जी )से कहे -मासटर जी कल मैंने सबके सामने क्लास में शु शु कर दिया था मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मम्मी ने कहा है यह बुरी बात होती है जाओ जाके मास्टर जी से माफ़ी मांगो और फिर नीचे मुंह करके कहे -आई ऍम सोरी मास्टर जी।
ऐसे मंदमति को आप भारत की बागडोर सौंपने की भी कैसे सोच सकते हैं।
जनता को मुर्ख समझ रखा है !!
सादर आभार !!
सादर आभार !!
सू सू करके क्लास में, ले मम्मी की राय |
"किचन कैबिनट" तोड़ के, देता बाप रूलाय |
देता बाप रूलाय, हमारे बबलू भोले |
नौटंकी के पात्र, तनिक सा ज्यादा बोले |
रही मात्र इक चाह, किस तरह मुद्दा *मूसू |
खेद-खाद बकवास, करें ये यूँ ही सू सू ||
*चुराकर ले भागना
नौटंकी ही सही लेकिन देश हित में उचित निर्णय !
नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
वोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
सरकार के ख़तम होते कार्यवर्ष में अभी कई ऐसे और मुद्धे आयेंगे व उछालेंगे जिनमें मनमोहनसिंह को बुरा व असफल पी ऍम दिखाकर उनके सुकार्यों के लिए राहुल सोनिया को श्रेय दिया जायेगा ताकि जनता बरगला कर फिर कांग्रेस को वोट दे.कांग्रेस का पुराना इतिहास रहा है , अच्छे कार्य करने का श्रेय गाँधी परिवार को व असफलताओं का ठीकरा दुसरे को,केसरी,नरसिम्हा रावकी तरह सिंह भी धो,पोंछ व निचोड़ कर कबाड़ में दल दिए जायेंगे व राहुल बाबा को हीरो बना दिया जायेगा.स्वाभिमान रहित,असफल, लोगों के हुजूम की यही हालत होती है.
बिलकुल सही .
नई पोस्ट : नई अंतर्दृष्टि : मंजूषा कला
सार्थक आलेख पूरण जी, अभी तो चुनाव की शुरुआत है आगे आगे देखिये क्या क्या गुल खिलते हैं।
सादर आभार !!
देशहित में निर्णय तो राष्ट्रपति जी का था जिन्होनें नौटंकी की उनका कोई योगदान इस निर्णय में नहीं था !
सादर आभार !!
सहर्ष आभार !!
सही कहा आपनें !!
सादर आभार !!
सादर आभार !!
आभार मनोज जी !!
बहुत खूब ,
आभार !!
एक टिप्पणी भेजें