हर साल १४ सितम्बर को हिंदी दिवस आता है तो हिंदी प्रेमियों का मन एक ऐसी टीस ,ऐसी पीड़ा से भर जाता है जिसका अंत होनें का रास्ता दूर दूर तक दिखाई नहीं देता है ! हिंदी दिवस भी पितृ पक्ष के आस पास ही आता है और ऐसा लगता है जैसे पितृ पक्ष के दौरान जिस तरह से पूर्वजों को याद करते हैं उसी तरह से सरकारों द्वारा हिंदी दिवस के दिन हिंदी को याद कर लिया जाता है ! फिर पूरी साल हिंदी के नाम पर कुछ नहीं होता है ! आजादी के बाद जब से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया है तब से हिंदी के साथ यही हो रहा है !
इसमें कोई शक नहीं कि हिंदी का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है और हिंदी की अपनीं पहचान बढती भी जा रही है ! लेकिन हिंदी की सरकारी अवहेलना नें हिंदी को राष्ट्रभाषा के दर्जे से अभी तक वंचित कर रखा है जिसके कारण हिंदी आज भी अनिश्चय की स्थति में है ! देश में हिंदी बोलनें और लिखनें वालों की संख्या सबसे ज्यादा है ! फिर भी आज भी हिंदी के लिए संघर्ष की स्थति है तो इसका एक ही कारण है कि कुछ अंग्रेजी मानसिकता वाले लोगों नें एक ऐसा जाल बुन दिया है जिसको कोई आसानी से तोड़ नहीं पाए !
पिछले दिनों संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षाओं में सीसेट को लेकर विवाद हुआ था उसनें एक बात साफ़ कर दी थी कि कुछ लोग येनकेनप्रकारेण अंग्रेजी के वर्चस्व को बनाए रखना चाहते हैं ! नरेन्द्रमोदी जी नें जिस तरह से हिंदी को लेकर एक रवैया अपनाया है उसके बाद कुछ आशा की किरण तो दिखाई देती है लेकिन अभी मंजिल का कोई अता पता नहीं है ! कुछ राजनेता ऐसे भी है जिनकी राजनीति हिंदी विरोध पर ही चलती है और जब जब हिंदी की बात आएगी ये राजनेता सदैव विरोध में खड़े हो जायेंगे !
कितनें भी हिंदी दिवस हम क्यों ना मना लें लेकिन उनका मनाना तभी सार्थक हो पायेगा जब हिंदी को केवल नाम की नहीं काम की राजभाषा का दर्जा मिलेगा ! वर्ना तो हिंदी दिवस एक औपचारिकता भर है जिसको हर साल निभाते रहिये ! वैसे भी जिन राज्यों की राजनितिक पार्टियों का हिंदी को लेकर विरोध है वो आगे भी रहेगा और सदैव वो विरोध ही करते रहेंगे ! क्योंकि उनका हिंदी विरोध पूर्वाग्रह से ग्रसित है और उस स्थति में सुधार आनें की कोई गुंजाइश भी नहीं है क्योंकि उन्होंने तो अपनें राज्यों में विदेशी भाषाओँ पर कोई पाबंदी नहीं है लेकिन राष्ट्र भाषा हिंदी के लिए प्रवेश निषेध का बोर्ड लगाकर रखा है !
16 टिप्पणियां :
हिन्दी दिवस मनाना चाहिए लेकिन ख़ुशी में, ना कि उसका हक़ या संरक्षण करने के लिए. सादर ... अभिनन्दन।।
नई कड़ियाँ :- आज से हम भी वर्डप्रेस पर …..
शिक्षक, शिक्षा और शिक्षक दिवस - 1
वाह...सुन्दर पोस्ट...
समस्त ब्लॉगर मित्रों को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@हिन्दी
और@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
छोटी सी बात को लेकर सब लोग आज क्यों गिड़गिड़ा रहे हैं भला हिंदी कोनसे तख़्त की मोहताज़ हो गयी और कब से.??
माफ़ी चाहता हूँ अगर आहत किया हो
एक न एक दिन वह दिन जरूर आएगा जब हिंदी सबकी जुबाँ पर होगी ..
हिंदी दिवस पर सार्थक प्रस्तुति
दिवस विशेष की हार्दिक शुभकामना
जब छलपूर्वक हिंदी को अपमानित होते हुए देखते हैं तो दुःख तो होता ही है ! संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है और वो दर्जा आज उसे मिल गया होता तो खुशी के साथ मनाने का एक अलग ही अंदाज होता !
आभार !!
आपको भी हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !!
आभार !!
सहर्ष सादर आभार !!
रोहिताश जी , बात गिडगिडाने की है ही नहीं और गिडगिडा कर कोई भीख नहीं मांगी जा रही बल्कि बात हिंदी के हक की है ! १२१ करोड लोगों के देश में ८५ करोड लोगों की भाषा हिंदी है और संविधान में उसे राजभाषा का दर्जा दिया भी गया है लेकिन जब छलपूर्वक कुछ लोगों नें हिंदी को उस दर्जे का मोहताज बना कर रख दिया तो मन में वेदना उभर ही आती है !
आभार !!
आपको भी हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !!
आभार !!
सुंदर लेखन , हिंदी दिवस की शुभकामनाएं , पूर्ण सर धन्यवाद !
I.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभार !!
सुंदर और सामयिक...
किसी भी स्वाधीन राष्ट्र में उसकी राष्ट्रभाषा इतने समय तक उपेक्षित नहीं रही है। भारत जैसे देश में अंग्रेजी न जनभाषा हो सकती है और न राजभाषा। विभिन्न रूपों में यह स्थान हिंदी को ही लेना है।
हिंदी अपनी शान है, हिन्दी ही पहचान...हिंदी दिवस की बधाई!!
आपका कहना अक्षरशः सत्य है !!
सादर आभार !!
बहुत हि सुंदर सर धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 18 . 9 . 2014 दिन गुरुवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
Bahut bda saty ka ullekh kiya hai aapne.. Purntaya sahmat hain.... Iss lekh k liye badhayi,,,
सहर्ष आभार !!
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