गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

निजामुद्दीन मरकज के मामले में सरकार का रवैया समझ से परे है !

निजामुद्दीन मरकज द्वारा  इतना बड़ा अपराध करने के बावजूद सरकार उसके ऊपर कारवाई करने से बचना क्यों चाहती है यह समझ में नहीं आ रहा है ! सरकार मौलाना साद और ५-६ अन्य लोगों के ऊपर कारवाई करके इस मामले में लीपापोती ही करना चाहती है ! अगर सरकार की मंशा वाकई कारवाई की होती तो मरकज पर अभी तक बेन लग जाना चाहिए था लेकिन  ऐसा नहीं हुआ जिससे सरकार की मंशा पर शक होना लाजमी है ! 

मरकज मामले में सरकार की भूमिका पहले दिन से ही संदेह के घेरे में आ गयी थी जब खबर ये आई कि अमित शाह के कहने पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल मरकज के मौलाना साद को समझाने के लिए मरकज गए थे ! ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या सरकार को सब पहले से ही पता था और निचले स्तर के अधिकारियों के समझाने से मौलाना नहीं माने थे और सरकार नें अंतिम प्रयास के तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को भेजा था ! अगर ऐसा था तो भी सरकार पर ही सवाल उठेंगे कि जो व्यक्ति या संस्था ऐसी संकटकालीन परिस्थति में भी किसी की नहीं सुन रही थी तो उसकी मिन्नतें करने की जगह कारवाई क्यों नहीं की गयी !


मरकज के जमातियों की वजह से देश का बहुत नुकशान हुआ और कोरोना देश के कई राज्यों में फ़ैल गया लेकिन इतना होने के बाद भी पिछले १०-११ दिनों में एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि सरकार मरकज के कारनामों से बेहद खफा है ! पिछले १०-११ दिनों के घटनाक्रम का विश्लेषण किया जाए तो ऐसा लगता है कि सरकार मरकज मामले में कारवाई करने के बजाय समय के ठन्डे छींटे डालकर इसको भुला देना चाहती है ! और सरकार के इसी रवैये नें कहीं ना कहीं जमातियों के हौसले को बढाने का कार्य किया जिसके कारण कई जगहों से बेहूदगी की ख़बरें भी आई !

खबर तो यह भी आई थी कि जिस जगह पर मरकज बना हुआ है वो अवैध है लेकिन फिर उस खबर का क्या हुआ पता नहीं ! मरकज के खिलाफ कारवाई नहीं हुयी तो फिर केंद्र सरकार पर ही सवाल उठेंगे क्योंकि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है इसलिए इसका जिम्मा वो किसी और पर भी नहीं डाल सकती ! दिल्ली नगर निगम पर भी भाजपा ही सत्ताशीन है और केंद्र में सरकार भी भाजपा की है इसलिए मरकज के विरुद्ध सख्त कारवाई नहीं करने का उसके पास कोई बहाना नहीं है !