सोमवार, 7 जनवरी 2013

हमारे आदर्श मूल्यों में गिरावट क्यों आ रही है !!

भारतीय समाज आज दिग्भ्रमित क्यों है जबकि आदिकाल से ही वो अपने उच्च आध्यात्मिक,सामाजिक और नैतिक  मूल्यों को लेकर शीर्ष पर रहा है और कभी विश्वगुरु के रूप में जाना जाता था और विडम्बना देखिये आज वही समाज अपने अंदर आ रही गिरावट को लेकर दिग्भ्रमित है उसे समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है ! 

भारतीय समाज अपने जिन उच्च आदर्श मूल्यों के लिए जाना जाता था उनका इस तरह से हास क्यों हो रहा है इस पर समाज को विचार करना होगा ! परिवार ही मिलकर समाज बनाते हैं इसलिए सबसे पहले हमें अपने परिवारों की तरफ ध्यान देना होगा ! किसी जमाने में पुरे गांव को ही परिवार समझा जाता था और जिस तरह से आज हम एकल परिवारों में रिश्ते निभाते हैं उसी तरह ग्रामस्तर पर रिश्ते निभाये जाते थे !  फिर आया सयुंक्त परिवारों का ज़माना जिसके बारे में तो सब कोई जानता है लेकिन अब सयुंक्त परिवार भी अँगुलियों पर गिनने लायक बचे हैं ! सयुंक्त परिवारों का सबसे बड़ा फायदा था कि बच्चों के ऊपर ज्यादा लोगों कि नजर रहती थी और जहां कुछ गलत नजर आता वहाँ बच्चों को डाँटकर समझाया जाता था और बच्चे आगे से ऐसी गलती नहीं करते थे ! और वही बच्चे जब बड़े होते तब तक उनमे वहीँ संस्कार घर कर जाते थे जिसके कारण ऐसी घटनाएं नहीं घटती थी जैसी आज घट रही हैं !