आम जनता बजट से बड़ी आशा लगाकर रखी थी कि शायद चुनावी साल नजदीक होने के कारण सरकार की तरफ से बजट के द्वारा कुछ राहत भरी खबर मिल जाए ! पहले रेल बजट और अब आम बजट आ गया लेकिन दोनों नें हि जनता के चेहरों पर मुस्कान लाने कि बजाय हताशा के भाव ज्यादा ला दिए ! आम बजट में सरकारी आंकड़ों की जादूगरी के सिवा कुछ नजर नहीं आया जो महंगाई के बोझ तले दबी जनता को कुछ राहत दे सके !
हालांकि चिदम्बरम जी जैसे वित् मंत्री और मनमोहन सिंह जी जैसे प्रधानमंत्री से जनता के लिए कुछ भी राहत कि आशा करना वैसे तो बेकार हि था फिर भी ना जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि चुनावों में जाने का समय नजदीक आ रहा है इसलिए शायद इस बार वितमंत्री जनता को खुश करने के लिए कुछ जरुर करेंगे लेकिन वितमंत्री जी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया ! जनता के ऊपर किसी तरह का नया बोझ डालने कि स्थति में तो वितमंत्री जी थे हि नहीं क्योंकि जनता पहले हि इतने बोझ से दब चुकी है और अब किसी नए बोझ को सहने कि स्थति में तो बिलकुल नहीं है इसलिए नया बोझ तो वितमंत्री जी जनता पर नहीं डाल पाए जिसका मलाल शायद वितमंत्री जी भी होगा लेकिन हाँ वितमंत्री जी जनता को किसी भी तरह कि राहत भी नहीं दी जिससे उनको जरुर खुशी मिली होगी !