सोमवार, 15 जुलाई 2013

राजनैतिक निशाने साधनें का खेल देश पर भारी नहीं पड़ जाए !!

इशरत जहाँ मामले को लेकर जिस तरह से देश की दो सर्वोच्च एजेंशियाँ आमने सामने है और अब जो ख़बरें सामने आ रही है वो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक स्थति की और इशारा कर रही है !  अब ख़बरें ऐसी आ रही है कि अपनें चार अधिकारियों को बेवजह फंसाने को लेकर कुपित आईबी अधिकारियों नें अपना काम सिमित कर दिया है ! अगर सच यही है तो यही कहा जा सकता है कि सरकार नें आंतरिक सुरक्षा को रामभरोसे छोड़ दिया है ! 

आईबी के निदेशक आसिफ इब्राहिम नें प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के यहाँ लिखित आपति जताते हुए हस्तक्षेप की मांग की थी ! लेकिन उनकी किसी नें नहीं सुनी और इतना ही नहीं आईबी के पूर्व अधिकारियों नें भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सीबीआई को ऐसा करने से रोकने की मांग की थी ! लेकिन कहीं से कोई नतीजा नहीं आया और आज हालत ये है कि आईबी के अधिकारी गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को सुचना देनें से ही कतराने लगे है ! और यह गतिरोध ज्यादा दिन तक चला तो यह देश के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ! 

जहाँ तक सीबीआई की जांच की बात की जाए उसमें अनेक विरोधाभास दिखाई देते हैं ! जहाँ सीबीआई इसको फर्जी मुठभेड़ बता रही है लेकिन सीबीआई ये नहीं बता रही कि उसमें मारे गए लोगों का संबंध आतंकवादियों से था अथवा नहीं ! जबकि अभी पिछले दिनों ही ये खबर आई थी कि इशरत जहाँ हथियार खरीदने के लिए अपनें साथियों के साथ उतरप्रदेश के एक गाँव गयी थी ! सीबीआई इस कथित फर्जी मुठभेड़ के पीछे के मकसद पर भी खामोश है ! वो यह बता नहीं पा रही कि किस मकसद से यह मुठभेड़ की गयी थी और बिना मकसद के भला क्यों कोई किसी को ऐसे ही अलग अलग जगहों से उठा उठा कर मार देगा जैसा कि सीबीआई कह रही है !