देवभूमि उतराखण्ड में आई आपदा के बाद जैसे जैसे दिन गुजरते जा रहे हैं वैसे वैसे इस आपदा के लिए जिम्मेदार कौन है यह भी साफ़ होता जा रहा है ! लेकिन निर्लज्जता की पराकाष्ठा तो देखिये जिनकी लापरवाही इतनीं मौतों के लिए जिम्मेदार है वो अपनी जिम्मेदारी लेनें के बजाय अभी भी राजनैतिक चालें चलने से बाज नहीं आ रहे हैं और जितनी भयानक यह आपदा थी उसको और भयावह बनाने के लिए प्रयासरत नजर आते हैं ! अब जो तथ्य सामनें आ रहे हैं उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि उतराखण्ड सरकार की लापरवाही ही इतनीं मौतों के लिए जिम्मेदार है !
उतराखण्ड के मौसम विभाग के निदेशक आनंद शर्मा नें मीडिया को दिए अपनें बयान में कहा है कि हमनें उतराखण्ड सरकार को १४ जून को ही चेतावनी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि भारी बारिश और भूस्खलन की आशंका है इसलिए चार धाम की यात्रा को अगले ४-५ दिनों के लिए रोक देना चाहिए ! उसके बाद भी उतराखण्ड सरकार नें कोई हरकत नहीं दिखाई ! उसके बाद १५ जून को उतराखण्ड मौसम विभाग नें लिखित चेतावनी उतराखण्ड सरकार को भेजी और उसमें भी वही कहा गया जो पहले कहा गया था ! उसके बाद भी उतराखण्ड सरकार सोती रही ! तब मौसम विभाग नें १६ जून को फिर विशेष इलाकों को लेकर फिर चेतावनी जारी की ! इन चेतावनियों के मिलनें की बात स्वीकारते हुए उतराखण्ड के आपदा राहत मंत्री यशपाल आर्य नें कहा कि हमें इस तरह का अंदेशा नहीं था और उतराखण्ड के मुख्यमंत्री तो इतनी बड़ी लापरवाही पर कुछ कहना ही नहीं चाहते हैं !
अब मौसम विभाग की इतनी साफ़ चेतावनी को केवल इस आधार पर उतराखण्ड सरकार नजरअंदाज कर देती है कि उसको इतनी बड़ी त्रासदी का अंदेशा नहीं था ! उतराखण्ड सरकार की इस अंदेशा लगाने वाली नाकारा सोच के लिए कौन जिम्मेदार है ! क्या खुद उतराखण्ड की सरकार की लापरवाही इस त्रासदी में हुयी मौतों के लिए जिम्मेदार नहीं है ! अगर १५ जून को मौसम विभाग की लिखित चेतावनी और सलाहों को मान कर चारधाम की यात्रा को रोक दिया जाता और यात्रियों को वहाँ से निकाल लिया जाता तो क्या १०००० से ज्यादा लोगों को बचाया नहीं जा सकता था ! सारे तथ्य उतराखण्ड सरकार को केवल कठघरे में ही नहीं खड़े करते बल्कि उसके लापरवाहीपूर्ण अपराध की गवाही देते हैं !