मंगलवार, 2 जुलाई 2013

देवभूमि की त्रासदी के जिम्मेदार कब तक अपनी जिम्मेदारी से भागेंगे !!

देवभूमि उतराखण्ड में आई आपदा के बाद जैसे जैसे दिन गुजरते जा रहे हैं वैसे वैसे इस आपदा के लिए जिम्मेदार कौन है यह भी साफ़ होता जा रहा है ! लेकिन निर्लज्जता की पराकाष्ठा तो देखिये जिनकी लापरवाही इतनीं मौतों के लिए जिम्मेदार है वो अपनी जिम्मेदारी लेनें के बजाय अभी भी राजनैतिक चालें चलने से बाज नहीं आ रहे हैं और जितनी भयानक यह आपदा थी उसको और भयावह बनाने के लिए प्रयासरत नजर आते हैं ! अब जो तथ्य सामनें आ रहे हैं उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि उतराखण्ड सरकार की लापरवाही ही इतनीं मौतों के लिए जिम्मेदार है !

उतराखण्ड के मौसम विभाग के निदेशक आनंद शर्मा नें मीडिया को दिए अपनें बयान में कहा है कि हमनें उतराखण्ड सरकार को १४ जून को ही चेतावनी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि भारी बारिश और भूस्खलन की आशंका है इसलिए चार धाम की यात्रा को अगले ४-५ दिनों के लिए रोक देना चाहिए ! उसके बाद भी उतराखण्ड सरकार नें कोई हरकत नहीं दिखाई ! उसके बाद १५ जून को उतराखण्ड मौसम विभाग नें लिखित चेतावनी उतराखण्ड सरकार को भेजी और उसमें भी वही कहा गया जो पहले कहा गया था ! उसके बाद भी उतराखण्ड सरकार सोती रही ! तब मौसम विभाग नें १६ जून को फिर विशेष इलाकों को लेकर फिर चेतावनी जारी की ! इन चेतावनियों के मिलनें की बात स्वीकारते हुए उतराखण्ड के आपदा राहत मंत्री यशपाल आर्य नें कहा कि हमें इस तरह का अंदेशा नहीं था और उतराखण्ड के मुख्यमंत्री तो इतनी बड़ी लापरवाही पर कुछ कहना ही नहीं चाहते हैं !

अब मौसम विभाग की इतनी साफ़ चेतावनी को केवल इस आधार पर उतराखण्ड सरकार नजरअंदाज कर देती है कि उसको इतनी बड़ी त्रासदी का अंदेशा नहीं था ! उतराखण्ड सरकार की इस अंदेशा लगाने वाली नाकारा सोच के लिए कौन जिम्मेदार है ! क्या खुद उतराखण्ड की सरकार की लापरवाही इस त्रासदी में हुयी मौतों के लिए जिम्मेदार नहीं है ! अगर १५ जून को मौसम विभाग की लिखित चेतावनी और सलाहों को मान कर चारधाम की यात्रा को रोक दिया जाता और यात्रियों को वहाँ से निकाल लिया जाता तो क्या १०००० से ज्यादा लोगों को बचाया नहीं जा सकता था ! सारे तथ्य उतराखण्ड सरकार को केवल कठघरे में ही नहीं खड़े करते बल्कि उसके लापरवाहीपूर्ण अपराध की गवाही देते हैं !

बुधवार, 26 जून 2013

क्या राजनीति करने के लिए इतना निचे गिरना भी जरुरी है !!

उतराखण्ड आपदा के बाद राहत कार्यों पर जिस तरह से राजनितिक सोच हावी है वो यह दर्शाती है कि हमारे राजनितिक दल कितनें निचे गिर सकती है ! हर कोई राहत और बचाव कार्यों के जरिये अपनी राजनैतिक चालें चलने पर आमादा है ! जहां इस मामले में बाकी पार्टियों के हालात बाद है तो कांग्रेस के हालात तो बदतर से ज्यादा बुरे हो गएँ है ! किस तरह से राजनीति हो रही है इसका उल्लेख मैनें कल अपनी पोस्ट "संवेंदनशून्य राजनीति को झेलने को मजबूर लोग  " में किया था ! लेकिन आज जो देखनें को मिला वो तो और भी भयावह है ! 

जहां प्रधानमंत्री और उतराखण्ड सरकार राहत के लिए लोगों से पैसे देने की अपील कर रहें है ! वहीँ उतराखण्ड सरकार विज्ञापनों पर पैसा खर्च कर रही है ! एक और विज्ञापनों से राहत और बचाव कार्यों में अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश की जा रही है ! वहीँ इन विज्ञापनों के जरिये नाकामी पर तल्ख़ हो रहे मीडिया को लालच देकर उससे नरम रुख अख्तियार करनें की आशा की जा रही है ! जहां लोग राहत के नाम पर अपनी जेब का पैसा राहत कोष में जमा करवा रहे हैं वहीँ उतराखण्ड की सरकार सरकारी धन के जरिये अपनी छवि चमकाने और अपनी अपनी नाकामी को छुपाने की कोशिश की जा रही है ! अगर किसी को मेरी बात पर शंका हो तो इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं !

ऊपर जो विज्ञापन का चित्र मैंने दिया है उसमें सोनिया जी और मनमोहन सिंह जी का फोटो दिया है ! इस विज्ञापन को भी दो बार बदला गया है जिसके कारण दो बार सरकारी धन की बर्बादी हुयी है ! पहले एक विज्ञापन दिया जिसमें कुछ शब्दों की गडबडी और सोनियां गांधी का मुस्कराता हुआ चेहरा था ! जिससे सन्देश यह जा रहा था कि आपदाग्रस्त लोगों की बर्बादी पर सोनिया जी मुस्करा रही है ! उसके बाद उस विज्ञापन को बदला गया ! जिसका चित्र भी मैनें निचे दिया है जिसमें दोनों विज्ञापन दिखाई दे रहे हैं और उनकी त्रुटियाँ भी दिखाई दे रही है !

मंगलवार, 25 जून 2013

संवेदनशून्य राजनीति को झेलने को मजबूर है लोग !!

उतराखण्ड की आपदा नें पहले ही देश के लोगों को दुःख के सागर में धकेल दिया था और उसके बाद लचर आपदा प्रबंधन नें लोगों के दिलों में दुःख के साथ गुस्सा भर दिया ! और ऊपर से  राजनितिक नेताओं  द्वारा की जा रही राजनीति नें दुःख और गुस्से में डूबे देशवाशियों की भावनाओं को जबरदस्त आघात पहुंचाया है ! निर्ल्ल्जता की हद तो देखिये जिनके चहरे इस आपदा की कालिख से पुते हुए हैं वो अपना चेहरा छुपाने कि बजाय प्रचार पाना चाहते हैं ! लाशों के अम्बार पर बैठकर राजनीतिक रोटियां सेंकने कि कोशिश कर रहे हैं !

इस आपदा के लिए उतराखण्ड की सरकार और उसका प्रशासन जिम्मेदार है जिसनें मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद ध्यान नहीं दिया और ना ही यात्रा को स्थगित किया और ना ही स्थानीय लोगों के लिए कोई दिशा निर्देश जारी किये ! और पर्यावरणविदों की तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए विनाशकारी विकाश का प्रारूप अपनाया गया ! उतराखण्ड की वर्तमान सरकार का आपदा के बाद भी जो संजीदगी दिखानी चाहिए थी वो उसनें नहीं दिखाई और आपदा के हर गुजरते दिन वो अपनें राजनितिक मंसूबे पालती हुयी दिखाई दी !

आपदा के नौ दिनों में उतराखण्ड सरकार के कई ऐसे फैसले देखने को मिले जो यह दर्शाते हैं कि उतराखण्ड सरकार के लिए लोगों के प्राणों से ज्यादा अपनी पार्टी का सियासी नफ़ा नुकशान ज्यादा प्यारा हो गया ! जबकि हजारों लोगों के प्राण संकट में हो तो राजनितिक द्वेषता नहीं देखी जाती लेकिन उतराखण्ड सरकार इससे बाहर निकल ही नहीं पायी ! जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी नें २४ हेलिकॉप्टर देने की पेशकश की तो उतराखण्ड सरकार नें उस पेशकश को इस डर से ठुकरा दिया कि कहीं मोदी बढ़त नहीं ले ले ! अब सवाल यह उठता है कि उतराखण्ड सरकार के पास हेलिकोप्टर मौजूद थे तो लगाए क्यों नहीं गए और अगर नहीं थे तो मोदी के प्रस्ताव को क्यों ठुकरा दिया गया ! उतराखण्ड के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को आपदाग्रस्त इलाकों का जमीनी दौरा करनें की इजाजत नहीं देते है और वहीँ राहुल गांधी को ना केवल जमीनी दौरे की गुपचुप इजाजत देते हैं बल्कि आईटीबीपी के शिविर में रात भी गुजारने की व्यवस्था करते हैं ! भाई ये भेदभाव क्यों !  

आपदा के छटवें दिन जब दिल्ली में भगत सिंह कोश्यारी अपने स्तर पर इकट्ठी की गयी राहत सामग्री अपने सचिव के जरिये उतराखण्ड भवन के अधिकारियों को देनें गए तो वहाँ के अधिकारियों नें कहा कि उतराखण्ड सरकार का फरमान आया है की मदद करनी है तो नकद अथवा चेक के माध्यम से ही की जाए ! उनको राहत सामग्री लेनें से मना किया है ! जबकि इसका भी मूल कारण राजनैतिक सोच ही थी क्योंकि भगत सिंह कोश्यारी भाजपा के थे और जब आठवें दिन सोनिया गांधी और उनके लाडले कांग्रेस के युवराज नें राहत सामग्री को पुरे दिखावी तामझाम के साथ रवाना किया तो क्यों नहीं उतराखण्ड के मुख्यमंत्री नें कहा की हमें राहत सामग्री की आवश्यकता नहीं है !