मंगलवार, 7 मई 2013

घोटाले ही घोटाले दिखाई देते हैं !!

देश में घोटाले दर घोटाले हो रहे हैं और एक के बाद एक नए घोटालों का जन्म हो रहा है ! अब तो ऐसा लगने लगा है कि सताधिश जनता की याददाश्त शक्ति को आजमाने की हौड़ लगा रहे हैं और मानो जनता से पूछ रहे हैं कि हम भी देखते हैं कि आपकी कितनी याद रखने कि शक्ति है और कितने घोटालों को आप याद रख सकते हैं और लगता है कि अब जनता को ही हारना पड़ेगा क्योंकि एक घोटाले कि पूरी सच्चाई जनता के सामने नहीं आती तब तक हमारे माननीय दूसरा घोटाला लेकर हाजिर हो जाते हैं ! अब भला जनता कितने घोटालों को याद रखे ! 

अगर पिछले तेईस सालों की बात करे तो देश नें कांग्रेस ने तीन बार सत्ता संभाली है एक बार १९९१ से १९९६ तक पी.वी.नरसिम्हा राव जी प्रधानमन्त्री थे और २००४ से अभी तक लगातार दो कार्यकालों में डॉ.मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री हैं ! बीच में १९९८ से लेकर २००४ तक भाजपा नें सत्ता संभाली और अटल बिहारी वाजपेई जी प्रधानमन्त्री बने थे और कुछ समय के लिए एच.डी.देवगोड़ा जी और इन्दरकुमार गुजराल जी भी प्रधानमंत्री के पद पर रह चुके हैं ! अब अगर इन प्रधानमंत्रियों के शासनकाल में हुए घोटालों पर नजर डाली जाए तो आपको पता लगेगा कि सबसे ज्यादा घोटाले कांग्रेस के शासनकाल में ही हुए है !

अगर आप पी.वी.नरसिम्हा राव जी के शासनकाल को देखेंगे तो पायेंगे कि उस समय उनकी सरकार ने विगत में हुए सारे घोटालों के रिकोर्ड तोड़ दिए थे और हालात आज जैसे ही थे ! हर दिन कोई ना कोई घोटाला सामने आता ही रहता था और कई घोटाले और धोखाधड़ी के मामले तो ऐसे थे जिनमें खुद नरसिम्हा राव जी के शामिल होने के आरोप लगे थे ! हालांकि उनके शासनकाल में जितने मामले सामने आये उनके सब के नाम तो याद रखना भी मुश्किल है लेकिन फिर भी कुछ ऐसे थे जो काफी चर्चित रहे थे ! जिनमें चीनी घोटाला,यूरिया घोटाला ,लक्खुभाई पाठक धोखाधड़ी मामला,तेल कूपन घोटाला,जेएम्एम् सांसद घुस प्रकरण ,दूरसंचार घोटाला और पेट्रोल पम्प आंवटन घोटाला जैसे ऐसे मामले थे जिनमें किसी ना किसी तरह से सताधारी दल के मंत्रियों अथवा खुद तब के प्रधानमंत्री की सलिम्पता के आरोप लगे थे !