सोमवार, 22 दिसंबर 2014

क्या भारतीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया हिन्दुविरोधी एजेंडे पर काम कर रहा है !!

भारत का मीडिया ( मेरा यहाँ मीडिया से तात्पर्य केवल इलेक्ट्रोनिक मीडिया से है ) क्या किसी छुपे एजेंडे पर काम कर रहा है ! अगर विगत में और वर्तमान में घटित घटनाओं पर नजर डालें तो आपको आभास हो जाएगा कि भारतीय मीडिया हिंदू विरोधी एजेंडे पर काम कर रहा है ! अभी हाल ही में आगरा में हुए धर्मान्तरण को लेकर मीडिया नें जिस तरह से आक्रामक प्रदर्शन किया और हिंदू संघटनों से जुड़े लोगों के बयानों को आपतिजनक कहकर प्रसारित किया गया जबकि एक भी बयान आपतिजनक नहीं था ! किसी नें भी यह नहीं कहा कि हम जबरन धर्मांतरण करवाएंगे ! उससे कई सवाल उठ खड़े हुए हैं और उन सवालों के घेरे में खुद मीडिया है ! और जाहिर है उन सवालों का जबाब मीडिया की तरफ से नहीं आएगा क्योंकि आज तक ऐसा नहीं हुआ है कि दूसरों से सवाल करने वाले मीडिया नें कभी अपनें ऊपर उठ रहे सवालों का जबाब दिया हो ! 

आगरा और बलसाड में हुयी धर्मान्तरण की घटना क्या भारत में हुयी पहली धर्मान्तरण की घटनाएं थी जिस पर मीडिया इतना हल्ला मचा रहा है !  और वही मीडिया एत्मादपुर और भागलपुर पर ख़ामोशी क्यों धारण कर लेता है ! कहा जा रहा है कि आगरा में लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया गया तो यही आरोप तो एत्मादपुर में भी लग रहें हैं ! तो मीडिया क्या एत्मादपुर और भागलपुर पर इसलिए चुप्पी साध लेता है क्योंकि वहाँ हिंदुओं का धर्मांतरण होता है और आगरा और बलसाड में ईसाईयों और मुस्लिमों का धर्मान्तरण होता है इसीलिए आक्रामक हो जाता है ! इसाई मिशनरियां आजादी के पहले से धर्मान्तरण में लगी हुयी है और आजादी के बाद भी उनका धर्म परिवर्तन का अभियान जारी रहता है और उस पर खर्च करनें के लिए भारी धनराशि विदेश से आती है ! अगर एक अखबार की खबर पर विश्वास किया जाए तो हर साल करीब १०५०० करोड़ रूपये विदेश से आनें की जानकारी तो सरकारी खुफिया एजेंसियों को भी है जिसकी रिपोर्ट वो सरकार को सौंप चुकी है !  उस पर यही मीडिया आँखे मुंद लेता है ! 

पूर्वोतर भारत में आदिवासी जनजातियों का बड़े पैमाने पर ईसाई मिशनरियों नें धर्मांतरण कर दिया और लोभ और लालच के बल पर यह सब किया गया लेकिन कभी मीडिया का इस पर आक्रामक रवैया नजर आना तो दूर की बात है कभी चर्चा तक नहीं की ! वैसे भी महज कुछ अपवादों को छोड़ दे तो धर्मान्तरण का जरिया लोभ,लालच और दबाव ही रहा है ! स्वेच्छा से धर्मान्तरण उसको माना जाता है जिसमें व्यक्ति जिस धर्म में जाता है उसका अध्ययन करता है और उसमें अच्छाई नजर आती है ! जबकि धर्मान्तरण की असली हकीकत यह होती है कि जिनको धर्मान्तरित किया जाता है उनको तो उस धर्म का क,ख,ग भी नहीं मालुम होता है तो उसको स्वेच्छा से किया हुआ धर्मांतरण कैसे माना जा सकता है ! जाहिर है सच सामने आये या ना आये लेकिन ऐसे धर्मान्तरण के पीछे दबाव,लोभ,लालच ही होता है !

गुरुवार, 4 सितंबर 2014

लव जिहाद : सच्चाई है या कपोल कल्पना है !!

आजकल मीडिया में लव जिहाद की चर्चा जोरों पर है लेकिन क्या लव जिहाद मीडिया की उपज है ! अगर हम इस शब्द की उपज पर ध्यान दें तो यह शब्द मीडिया की उपज नहीं है बल्कि शोशल मीडिया में लव जिहाद की चर्चा पहले से होती रही है ! लेकिन अब ये शब्द शोशल मीडिया की सीमाओं से होता हुआ राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियाँ बन चूका है ! रास्ट्रीय निशानेबाज तारा शाहदेव के मामले नें इसको राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियाँ बना दी ! सवाल ये उठता है कि क्या यह महज कपोल कल्पना है या फिर हकीकत में इसमें कुछ सच्चाई है !

जिस तरह से एक के बाद एक मामले सामने आ रहें हैं उसके बाद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ऐसा हो तो रहा है ! भले ही अभी कुछ ही मामले सामने आये हो लेकिन इस बात की और इशारा तो कर ही रहे हैं कि ऐसा कुछ घट तो रहा है जिसका निदान समय रहते हुए किया जाना बहुत जरुरी है ! वैसे भी इतिहास और वर्तमान देखा जाए तो येनकेनप्रकारेण इस्लामीकरण को बढ़ावा देनें की नीति रही है ! और इतिहास गवाह है कि जब बात इस्लामीकरण की आती है तो सही और गलत का फर्क भी मिट जाता है ! तैमूरलंग से लेकर औरंगजेब तक का शासनकाल और आज ईराक ,सीरिया में जो हो रहा है उससे इस बात को समझा जा सकता है !

कुछ लोग इसको प्यार से जोड़कर दख रहें हैं लेकिन इसको प्यार से जोड़ना ही गलत है ! प्यार कभी धोखा देना नहीं सिखाता है और निश्छल प्रेम को ही प्यार कहा जा सकता है ! वैसे इसको लव जिहाद की बजाय लव की आड़ में जिहाद कहना ज्यादा उपयुक्त होगा क्योंकि लव अंग्रेजी का शब्द है जिसका हिंदी अर्थ प्यार होता है ! प्यार में धोखा नहीं दिया जाता लेकिन यहाँ तो धोखा ही धोखा है ! जिहाद के नाम पर तो जो खूनखराबा दुनिया भर में हो रहा है वो दुनिया देख रही है इसीलिए इसको अगर प्यार की आड़ में जिहाद कहा जाए तो ज्यादा उपयुक्त शब्द होगा ! क्योंकि जिहाद के नाम पर दुनियाभर में चल रही गतिविधियां जिहाद की उस शब्दावली का खंडन करती है जो शब्दावली मुस्लिम बुद्धिजीवी सार्वजनिक मंचों पर देते हैं !