पश्चिम बंगाल में लोगों ने जिस आशा के साथ सत्ता परिवर्तन किया और ममता बनर्जी को सता सौंपी थी लेकिन ममता बनर्जी के शासनकाल को देखें तो निश्चय हि पश्चिम बंगाल के लोगों को निराशा हि हाथ लगी है ! फर्क केवल इतना आया है कि पहले वामदलों के कार्यकर्ता गुंडों कि भूमिका में नजर आते थे और अब तृणमूल कार्यकर्ता गुंडों कि भूमिका में नजर आते हैं ! कभी किसी डॉक्टर को अपना निशाना बनाते हैं तो कभी किसी अध्यापक का कान काट लेतें हैं ! क्या इसी शासन के लिए पश्चिम बंगाल के लोगों ने ममता बनर्जी को सता सौंपी थी !
वैसे तो ममता बनर्जी खुद अपने अड़ियल और तानाशाहीपूर्ण रवैये के लिए जानी जाती है और इसका उसनें इसका उदाहरण भी अपनें शासन में प्रस्तुत किया है ! बात चाहे कार्टून बनाने वाले कार्टूनिस्ट कि हो या फिर उनसे सवाल करनें कि हिम्मत करनें वाली लड़कियों कि बात हो उन्होंने हर जगह अपने दंभपूर्ण व्यवहार का परिचय देते हुए कानून को अपने हिसाब से कारवाई करनें को मजबूर करके तानाशाही का परिचय हि दिया है ! जिनमें बाद में उनकी आलोचना भी हुयी !
पश्चिम बंगाल में वाम शासन से हि वामदलों के उन राजनितिक कार्यकर्ताओं कि जमात मौजूद थी जो हर प्रकार से गुंडों कि भूमिका में हि नजर आती थी और जिसका शिकार खुद ममता बनर्जी भी हुयी थी और कई दिन तक अस्पताल में इलाज तक करवाना पड़ा था ! लेकिन लगता है ममता नें उससे सबक ना लेते हुए अब ममता बनर्जी खुद भी उसी रास्ते पर चल रही है और उन्होंने तृणमूल के राजनितिक कार्यकर्ताओं को भी उसी तरह कि खुलेआम छुट दे रखी है जैसा कभी वाम शासन में था और ऐसा करके वे पश्चिम बंगाल में हिंसक राजनैतिक कार्यकर्ताओं की एक ऐसी फ़ौज खड़ी करने कि हि कोशिश कर रही है जिसको कानून का भी कोई खौफ नहीं रहता !