मोदी सरकार नें जन कल्याणकारी योजनाओं को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी
और इनके सहारे वोट भी बटोरे लेकिन उसकी नीतियों से ये जन कल्याणकारी
योजनायें लोगों को फायदा देनें में नाकाम रही ! सरकार एक तरफ सहायता देने
का दिखावा कर रही है तो दूसरी तरफ सहायता से कई गुना ज्यादा लेने में भी
परहेज नहीं कर रही है ऐसे में सरकार को जन कल्याणकारी सरकार कैसे कहा जा सकता है !
सरकार नें बड़े जोर शोर से उज्ज्वलता योजना उन लोगों के लिए शुरू की जो गैस कनेक्शन लेने की हालत में नहीं थे और कनेक्शन लेनें के लिए सहायता दी ! लेकिन फिर सरकार लगातार गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाती गयी और आज ६०-७० % उज्ज्वला योजना धारक सिलेंडर को रिफिल नहीं करवा रहे हैं ! २०१६ में जब गैस सिलेंडर के दाम ५०० रूपये के आसपास थी तब सरकार की नजर में उन लोगों की क्षमता उतना वहन करने की भी नहीं थी लेकिन २०२१ में उन्ही लोगों से सरकार ८५० रूपये के आसपास लेने लगी ! ५०० रूपये जब थे तो लोगों को १७०-१८० रूपये सब्सिडी भी मिलती थी जो खाते में आती थी लेकिन कोरोना काल में सरकार नें मई २०२० में चुपचाप सब्सिडी बंद कर दी !
सरकार नें गैस सब्सिडी बंद करने में भी बड़ा खेल किया जो सिलेंडर ७०० रूपये के आसपास बिक रहे थे तो उनकी दरें कम करके ६०० रूपये के भीतर ले आई और सब्सिडी बंद कर दी ! कोरोनाकाल में लोग घरों में बैठे थे तब सरकार नें चुपके से सब्सिडी बंद कर दी लोगों को पता सितम्बर में लगा तब सरकार नें तर्क दिया कि सब्सिडी और गैर सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमतों में अंतर नहीं है इसलिए सब्सिडी बंद कर दी ! सरकार का यह तर्क हास्यास्पद था क्योंकि सरकार ही तो इनकी कीमतें तय करती है तो एक समान कीमतें होने कैसे दी ! हालांकि सरकार बहाना ये भी बनाती है कि कीमतें कम्पनियां तय करती है लेकिन सच्चाई तो यह है कि वो कम्पनियां भी सरकारी है और सरकारी मर्जी से ही काम करती है ! चुनावों में वही कम्पनियां कीमतें बढाने से परहेज करती है और चुनाव गुजरने के साथ ही उपभोक्ताओं पर कहर बरपा देती है !