विश्व हिंदू परिषद और राम मंदिर जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े हुए संतो द्वारा उद्घोषित ८४ कोसी परिक्रमा को लेकर उतरप्रदेश सरकार और संतों के बीच टकराव की जो स्थति बन रही है वो निश्चय ही दुखद: और निराशाजनक है ! इस तरह से विवाद पैदा करके जहाँ एक और राजनितिक फायदे के लिए कदम उठाये जा रहें हैं वहीँ दूसरी तरफ लगातार उतरप्रदेश के साम्प्रदायिक सद्भाव को भी नुकशान पहुंचाया जा रहा है ! जिसका परिणाम कतई अच्छा मिलनें वाला नहीं है !
उतरप्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार अपनें गठन के बाद से ही उतरप्रदेश में साम्प्रदायिक सद्भाव को बनाए रखनें में नाकाम रही है और उस पर मुस्लिम तुस्टीकरण के आरोप लगातार लगते रहें हैं ! उतरप्रदेश में लगातार हुए दंगों से उसकी नाकामी साफ़ दिखाई पड़ रही है जिनका जिक्र मैनें अपनें पिछले आलेख "अखिलेश सरकार अपनीं विफलताओं को तुस्टीकरण की आड़ में छुपाना चाहती है " में भी किया था ! हालांकि ऐसा नहीं है कि इस यात्रा को लेकर उँगलियाँ वीएचपी की तरफ नहीं उठ रही है उंगलियां उसकी तरफ भी उठ रही है और उसके निर्णय के पीछे भी भाजपा का राजनितिक फायदा देखा जा रहा है ! सपा और भाजपा के वोटबेंक ध्रुवीकरण के तौर पर इस यात्रा का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन इससे सन्देश गलत जा रहा है !
जहाँ तक मेरा मानना है उतरप्रदेश सरकार को इस यात्रा पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी जिसके कारण ये यात्रा ना तो विवादित होती और ना ही इस तरह से सुर्ख़ियों में आती ! लेकिन यहाँ उतरप्रदेश सरकार नें अपने फायदे को आगे रखा और इस यात्रा पर रोक लगानें की घोषणा करने के साथ ही उन छ: जिलों में धारा १४४ लगाकर वीएचपी नेताओं की धरपकड करनें में लग गयी ! देश के अन्य भागों से इन धार्मिक स्थलों के लिए धार्मिक यात्रा पर आये लोगों को भी २४ जनवरी से पहले इन स्थानों से वापिस चले जाने के निर्देश जारी कर दिए गए ! उतरप्रदेश सरकार द्वारा यात्रा को रोकनें के लिए जिस तरह से भारी मात्रा में सुरक्षाबलों की तैनाती की गयी है उतनें सुरक्षाबलों की जरुरत तो यात्रा होती तो भी उसकी सुरक्षा व्यवस्था संभालने में भी नहीं लगती !