हदयाघात की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आयुर्वेद में कुछ ऐसे नुस्खे हैं जो हदय को बल और शान्ति प्रदान करते हैं और दुबारा हार्ट अटेक कि संभावना को समाप्त करते हैं ! ऐसे हि कुछ नुस्खे आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ जिनका अगर प्रयोग किया जाए तो फायदा हो सकता है !
१.पीपल के ताजे पन्द्रह पत्ते लें ! कोमल गुलाबी कोंपलें ना लें बल्कि पत्ते हरे,कोमल और भली प्रकार से विकसित हो ! फिर प्रत्येक पत्ते का ऊपर और निचे का कुछ भाग केंची से काटकर अलग कर लें ! पत्ते का बीच का हिस्सा स्वच्छ पानी से साफ़ कर लें ! ऐसे १५ पीपल के पत्ते एक गिलास पानी में डालकर धीमी आंच पर पकने को रख दें ! जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर किसी साफ़ कपडे से निचोड़ कर छान लें ! बस दवा तैयार है ! हार्ट अटैक के पश्चात कुछ सामान्य हो जाने के पश्चात इस पीपल के पत्तों के काढे कि तीन खुराक ( लगभग एक-एक औंस की ) बनाकर पन्द्रह दिन तक प्रतिदिन प्रातः से प्रत्येक तीन घंटे के पश्चात लेने से हदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और पुनः दिल का दौरा पड़ने कि संभावना नहीं रहती है !
(परहेज : प्रयोगकाल में तली भुनी चीजें ,चावल ,मांस मछली, अंडे,शराब,धूम्रपान का प्रयोग ना करें ! ) ( पथ्य : हदय रोग में सेवनीय पदार्थ -अनार,पपीता,आंवला,बथुवा,दाना मैथी,मौसमी,सेव का मुरब्बा,रात में भिगोये काले चने ,किशमिश,दही,छाछ,आदि)