रविवार, 10 अगस्त 2014

मोटापे से छुटकारा पाने का घरेलु उपाय !!

आज के समय में कई लोग मोटापे से परेशान हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं ! वैसे तो मोटापे से मुक्ति पाने के लिए कई उपाय आयुर्वेद में बताए गए हैं जिनमें से कुछ का उल्लेख मैनें अपनी एक पोस्ट "मोटापा घटाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय" में कर चूका हूँ ! लेकिन ऐसा भी देखा गया है कि हर उपाय अथवा हर नुस्खा अलग अलग व्यक्तियों पर समान रूप से कारगर नहीं होता है ! कुछ को उससे पूर्णतयाः लाभ होता है तो कुछ को आंशिक लाभ होता है और कुछ व्यक्तियों को उससे कोई भी लाभ नहीं होता है ! आयुर्वेद के सभी उपचार निरापद होते हैं इसीलिए इनसे फायदा हो या ना हो लेकिन नुकशान तो कतई नहीं होता है ! आज में आपके सामने मोटापे से छुटकारा दिलाने वाला एक नया उपाय बता रहा हूँ जो फायदेमंद भी है और निरापद भी और इसमें शामिल सामग्री हर घर में सुलभता से मिलने वाली है !

सामग्री :-
१. मैथी - २५० ग्राम ( 250 Gram)
२. अजवायन -१०० ग्राम ( 100 Gram )
३. कालाजीरी - ५० ग्राम ( 50 Gram )

बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

हदय शक्तिवर्धक (Heart Tonic ) किशमिश और दूध !!

जिनकी दिल की धडकन और नब्ज ज्यादा तेज चलती हो उनके लिए आज एक छोटा सा आयुर्वेदिक नुस्खा बता रहा हूँ जिसको प्रयोग करनें से दिल की धडकन और नब्ज दोनों ही सामान्य हो जाती है ! 

प्रात: २५० ग्राम दूध में १० ग्राम किशमिश और एक चम्मच मिश्री डालकर उबालें ! उबालने के बाद किशमिश को खाकर दूध को पी लें ! इसको नित्य प्रात: १५ दिन तक लेना है ! दिल की धड़कन और तेज नब्ज को सामान्य करनें में प्रभावशाली यह हदय शक्तिवर्धक है !!
( ध्यान दें : कृपया मधुमेह के रोगी इस नुस्खे को ना आजमायें !!)

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

नाभि अथवा नाभिचक्र का टलना और उसका परिक्षण करना !!

मानव शरीर में स्थित बहतर हजार नाड़ियों का उदगम केन्द्र " नाभिचक्र" का योग और आयुर्वेद में बड़ा महत्व है ! नाभिमण्डल हमारे स्वास्थ्य का संतुलन करता है ! हमारे शरीर में नाभिचक्र का अपनें स्थान पर रहना अंत्यत आवश्यक है लेकिन कई बार भार उठाते समय अथवा चलते समय झटका लगने से हमारे शरीर का नाभिचक्र अपनें स्थान से हिल जाता है जिसे हम नाभि टलना कहते हैं ! नाभि टलने से पेट में गडगडाहट ,पेटदर्द ,दस्त लगने जैसी शुरूआती समस्याएं आ सकती है लेकिन लंबे समय तक नाभि का टले रहना कई अन्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है ! चिकित्सा की सफलता के लिए भी नाभिचक्र का अपनें स्थान पर होना बहुत जरुरी है लेकिन आधुनिक चिकित्सक नाभि परिक्षण नहीं करते हैं !  इसीलिए नाभि का परिक्षण कर लेना चाहिए और नाभि परिक्षण की कुछ विधियां हमारे यहाँ परम्परागत रूप से चली आ रही है जो में आपके सामने रख रहा हूँ ! 

आप खुद नाभि परिक्षण सही तरीके से नहीं कर सकते इसलिए नाभि परिक्षण करनें के लिए आपको अन्य व्यक्ति की सहायता लेनी होगी और नाभि परिक्षण खाली पेट ही करें !

( १ ) पहली विधि : जिसका नाभि परिक्षण किया जाना है उसको पीठ के बल सुलाकर हाथों को बगल में रखते हुये तथा दोनों टाँगे सीधी रखते हुये पैर के अगूंठे मिलाने को कहे ! यदि नाभि टली होगी तो पैर के अंगूठे छोटे बड़े मालुम होंगे और अगर नाभि सही जगह पर होने की स्थति में दोनों पैरों के अंगूठे समान होंगे !

( २ ) दूसरी विधि : नाभि से दायें और बाएं स्तनों की घुंडी का अंतर समान होता है ! इसलिए जिसका परिक्षण करना है उसको पीठ के बल सीधा सुला दें और एक धागा लेकर एक सिरा नाभि के बीचोंबीच रखे और दूसरे सिरे को  दोनों स्तनों की घुंडी तक ले जाएँ ! अगर धागे का दूसरा सिरा स्तनों की घुंडी पर एक समान रहता है तो नाभि अपनीं सही जगह पर है और अगर उसमें फर्क रहता है तो नाभि अपनें स्थान से खिसकी हुयी है ! इस परिक्षण के लिए खाली पेट होना जरुरी नहीं है लेकिन यह विधि केवल पुरुषों के लिए ही उपयुक्त है !

मंगलवार, 20 अगस्त 2013

आँखों के लिए ज्योतिवर्धक आयुर्वेदिक नुस्खे !!

भारतीय समाज में आयुर्वेद हजारों वर्षों से चली आ रही चिकित्सा पद्धति है जिसमें रोगों को दूर रखने और रोगों के उपचार बारे में बताया गया है ! जिसमें साधारण और ऐसी जड़ी बूटियों द्वारा इलाज किया जाता है जो हमारे आस पास ही मौजूद होती है ! वैसे आयुर्वेद क्या दुनियाँ की कोई भी पद्धति इलाज की गारंटी नहीं लेती है और एक ही दवा का असर एक ही रोग के अलग अलग व्यक्तियों पर अलग अलग देखने को मिलता है और आयुर्वेदिक उपचार भी इससे अलग नहीं है लेकिन आयुर्वेदिक उपचार से फायदा हो या नहीं हो लेकिन उससे नुकशान तो कतई नहीं होता है और ये सबसे सस्ता भी है ! मैनें पहले भी कई तरह के उपयोगी आयुर्वेदिक नुस्खे बताए है और आज उसी कड़ी में आखों की ज्योति बढाने वाले कुछ नुस्खे आपके लिए लेकर आया हूँ जो सरल और सहज है !

१. बड़ी हरड १० ग्राम , बहेड़ा २० ग्राम ,आंवला ३० ग्राम ,मुलहठी ३ ग्राम , बंसलोचन ३ ग्राम और पीपर ३ ग्राम इनका अलग अलग बनाया चूर्ण लेकर उसमें लगभग १५० ग्राम मिश्री मिला लें ! इस मिश्रण में १० ग्राम देशी घी मिला लें ! तत्पश्चात इसमें इतना शहद मिलाएं कि चाटने लायक अवलेह (चटनी )बन जाए ! इस अवलेह को किसी कांच के मर्तबान में रख लें ! इसमें से छ: ग्राम की मात्रा में नित्य सोते समय चाटने से नेत्रों की ज्योति बढती है और नेत्रो के अन्य रोग भी नष्ट होते हैं !

२. बादाम गिरी २५० ग्राम, खसखस १०० ग्राम , सफ़ेद मिर्च ( काली मिर्च की तरह की होती है लेकिन सफ़ेद होती है ) ५० ग्राम का अलग अलग चूर्ण बनाकर देशी घी में भून लें ! इसके बाद इसमें १०० ग्राम मिश्री पीसकर मिलाकर किसी मर्तबान में रख दें ! इसको सुबह खाली पेट गर्म दूध के साथ दो चम्मच लेनें से आँखों की ज्योति को बढाने में बहुत फायदा होता है !

रविवार, 19 मई 2013

शुगर ( Diabetes ) को दूर भगाए इस घरेलु आयुर्वेदिक उपचार से !!

डाइबिटीज अथवा शुगर ( मधुमेह )एक ऐसी बीमारी है जो किसी को एक बार हो जाए तो लगातार एलोपेथिक दवाइयां लेनी पड़ती है और उसके बाद भी उससे छुटकारा दिला पाने में ये दवाइयां नाकाम रहती है ! आज में आपके सामने शुगर के लिए ऐसा आयुर्वेदिक नुस्खा लेकर आया हूँ जो आपको शुगर से निजात दिला सकता है और इसको घर पर तैयार किया जा सकता है ! जो बिलकुल सस्ता भी है ! घरेलु आयुर्वेदिक उपचार होने के कारण किसी तरह के नुकशान की कोई सम्भावना भी नहीं है ! आशा करता हूँ कि इस आयुर्वेदिक नुस्खे का प्रयोग करने वाले अपना अनुभव रूपी प्रतिक्रिया अवश्य देंगे ताकि अन्य लोग भी इसको आजमाने के लिए प्रेरित होंगे ! एक बात और यह केवल दो सप्ताह का हि उपचार है उसके बाद इसकी आवश्यकता नहीं है !

आवश्यक वस्तुएं :-
१. गेहूं का आटा                  -             १०० ग्राम 
२.वृक्ष से निकली गोंद        -             १०० ग्राम 
३.जौ                                 -             १०० ग्राम 
४.कलौंजी                         -              १०० ग्राम 

निर्माण विधि :-
उपरोक्त सभी सामग्री को पांच कप पानी में डालकर आग पर दस मिनट उबालें ! उसके पश्चात उसको नीचे उतारकर अपने आप ठंडा होने के लिए रख दें ! तत्पश्चात इस पानी को छानकर किसी बोतल या जग में सुरक्षित रख लें ! 

शुक्रवार, 3 मई 2013

घरेलु दर्दनाशक आयुर्वेदिक तेल !!

कई बार हमारे घुटनों,कमर ,पीठ एवं पंसलियों आदि में दर्द हो जाता है ! ऐसे ही दर्द को दूर करने के लिए बाजार में कई तरह के आयुर्वेदिक तेल मिलते हैं जिनसे मालिश करने से दर्द दूर हो जाता है ! आज ऐसा ही तेल बनाने कि विधि आपको बताता हूँ जो सस्ता ,सरल और अचूक है और घर पर आराम से बनाया जा सकता है ! 

सबसे पहले ४० ग्राम पुदीना सत्व ,४० ग्राम अजवायन सत्व और ४० ग्राम ही कपूर ले ! साफ़ बोतल में पुदीना सत्व डाल दें और उसके बाद अजवायन सत्व और कपूर को पीसकर उस बोतल में डाल दें जिसमें आगे पुदीना सत्व है ! उसके बाद ढक्कन लगाकर हिला दें और रख दें ! थोड़ी देर बाद तीनों चीजें मिलकर द्रव्य रूप में हो जायेगी और इसे ही अमृतधारा कहते हैं !

अब २०० ग्राम लहसुन लें और उसके छिलके उतार कर लहसुन कि कलियों के छोटे छोटे टुकड़े कर लें ! अब एक किलो सरसों का तेल कड़ाही में डालकर आंच पर गर्म होने के लिए रख दें ! जब तेल पूरी तरह से गर्म हो जाए तो तेल को निचे उतार कर ठंडा होने के लिए रख दें ! जब तेल पूरा ठंडा हो जाए तो उसमें लहसुन के टुकड़े डालकर उसको फिर आंच पर चढाकर तेज और मंदी आंच में गर्म करें ! तेल को इतना पकाए कि लहसुन कि कलियाँ जलकर काली हो जाए ! तेल के बर्तन को आंच पर से उतारकर निचे रखे और उसमें गर्म तेल में ही ८० ग्राम रतनजोत ( रतनजोत एक वृक्ष कि छाल होती है ) डाल दें इससे तेल का रंग लाल हो जाएगा !

तेल के ठंडा होने पर कपडे से छानकर किसी साफ़ बोतल में भर लें ! अब इस पकाए हुए तेल अमृतधारा और ४०० ग्राम तारपीन का तेल मिलाकर अच्छी तरह से हिला दें ! बस मालिश के लिए दर्दनाशक लाल तेल तैयार हो गया जिसका उपयोग आप जब चाहे कर सकते हैं !

रविवार, 7 अप्रैल 2013

पेट दर्द से आराम के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे !!


गलत खान पान अथवा अपच के कारण होने वाले पेट दर्द के लिए आयुर्वेद में कुछ नुस्खे बताए गये हैं ! जिनका अगर प्रयोग किया जाए तो पेट दर्द कि परेशानी से बचा जा सकता है ! हालांकि इस तरह के पेट दर्द के लिए आज भी हमारे घरों में आयुर्वेदिक नुस्खे काम में लाये जाते हैं और उनसे आराम भी मिलता है ! ऐसे ही कुछ नुस्खे आपको बता रहा हूँ :- 
१.       अदरक और लहसुन को बराबर कि मात्रा में पीसकर एक चम्मच कि मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द में लाभ मिलता है !
२.      एक ग्राम काला नमक और दो ग्राम अजवायन गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द में लाभ मिलता है !
३.      अमरबेल के बीजों को पानी से पीसकर बनाए गये लेप को पेट पर लगाकर कपडे से बाँधने से गैस कि तकलीफ,डकारें आना,अपानवायु न निकलना,पेट दर्द और मरोड़ जैसे कष्ट दूर हो जाते हैं !
४.     सौंठ,हींग और कालीमिर्च का चूर्ण बराबर कि मात्रा में मिलाकर एक चम्मच कि मात्रा में गर्म पानी के साथ लेने से पेट दर्द में तुरंत आराम मिलता है !
५.     जटामांसी,सौंठ,आंवला और काला नमक बराबर कि मात्रा में पीस लें और एक एक चम्मच कि मात्रा में तीन बार लेने से भी पेट दर्द से राहत मिलती है !
६.      जायफल का एक चौथाई चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से भी पेट दर्द में आराम पहुँचता है !
७.     पत्थरचट्टा के दो तीन पत्तों पर हल्का नमक लगाकर या पत्तों के एक चम्मच रस में सौंठ का चूर्ण मिलाकर खिलाने से पेट दर्द से राहत मिलती है !
८.      सफ़ेद मुसली और दालचीनी को समभाग में मिलाकर पीस लें ! एक चम्मच कि मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से २-३ खुराक में ही पूरा आराम मिल जाता है !

सोमवार, 1 अप्रैल 2013

वमन (उलटी) से राहत के लिए आयुर्वेदिक उपाय !!


कई बार वमन (उलटी) कि समस्या गलत खान पान ,अपच अथवा किसी कारण से हो जाती है जिसके कारण परेशान होना पड़ता है ! जिसके लिए आयुर्वेद में कुछ उपाय दिए गये हैं जिनमें से कुछ उपाय आपको बता रहा हूँ !!




१.       अदरक और प्याज के रस एक एक चम्मच कि मात्रा में मिलाकर पिलाने से वमन (उलटी) में लाभ मिलता है !
२.      अनार के बीज पीसकर उसमें थोड़ी सी कालीमिर्च और नमक मिलाकर खाने से पित के कारण होने वाली वमन और घबराहट में आराम मिलता है !
३.      अमलतास के ५-६ बीज पानी में पीसकर पिलाने से कोई हानिकारक खाई हुयी चीज उलटी होकर बाहर निकल जाती है !
४.     पुदीना और इलायची बराबर मात्रा में मिलकर सेवन कराने से भी वमन और उबकाई में लाभ मिलता है !
५.     एक चम्मच चन्दन का चूर्ण और इतनी ही मात्रा में आंवले का रस और शहद को मिलाकर पिलाने से वमन का कष्ट दूर होता है !

सोमवार, 18 मार्च 2013

मोटापा घटाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय !!

मोटापे को लेकर कई लोग परेशान रहतें हैं और इससे छुटकारा पाना चाहतें हैं ! कुछ उपाय ढूंढकर उनको प्रयोग में लातें हैं लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि हर उपाय हर आदमी के लिए फायदेमंद नहीं हो पाता है जिसके कारण उनको निराश होने कि आवश्यकता नहीं है और उनको दुसरा उपाय अपनाना चाहिए ! आज में आपके सामनें मोटापे को दूर भगाने के लिए कुछ सामान्य आयुर्वेदिक नुस्खे लेकर आया हूँ ! जिनका प्रयोग करके फायदा उठाया जा सकता है ! 



                                           १.मूली के रस में थोडा नमक और निम्बू का रस मिलाकर नियमित रूप से पीने से मोटापा कम हो जाता है और शरीर सुडौल हो जाता है !

                                           २.गेहूं ,चावल,बाजरा और साबुत मूंग को समान मात्रा में लेकर सेककर इसका दलिया बना लें ! इस दलिये में अजवायन २० ग्राम तथा सफ़ेद तिल ५० ग्राम भी मिला दें ! ५० ग्राम दलिये को ४०० मि.ली.पानी में पकाएं ! स्वादानुसार सब्जियां और हल्का नमक मिला लें ! नियमित रूप से एक महीनें तक इस दलिये के सेवन से मोटापा और मधुमेह में आश्चर्यजनक लाभ होता है !

                                           ३.अश्वगंधा के एक पत्ते को हाथ से मसलकर गोली बनाकर प्रतिदिन सुबह,दोपहर,शाम को भोजन से एक घंटा पहले या खाली पेट जल के साथ निगल लें ! एक सप्ताह के नियमित सेवन के साथ फल,सब्जियों,दूध,छाछ और जूस पर रहते हुए कई किलो वजन कम किया जा सकता है !

                                          ४.आहार में गेहूं के आटे और मैदा से बने सभी व्यंजनों का सेवन  एक माह तक बिलकुल बंद रखें ! इसमें रोटी भी शामिल है ! अपना पेट पहले के ४-६ दिन तक केवल दाल,सब्जियां और मौसमी फल खाकर ही भरें ! दालों में आप सिर्फ छिलके वाली मूंग कि दाल ,अरहर या मसूर कि दाल ही ले सकतें हैं चनें या उडद कि दाल नहीं ! सब्जियों में जो इच्छा करें वही ले सकते हैं ! गाजर,मूली,ककड़ी,पालक,पतागोभी,पके टमाटर और हरी मिर्च लेकर सलाद बना लें ! सलाद पर मनचाही मात्रा में कालीमिर्च,सैंधा नमक,जीरा बुरककर और निम्बू निचोड़ कर खाएं ! बस गेहूं कि बनी रोटी छोडकर दाल,सब्जी,सलाद और एक गिलास छाछ का भोजन करते हुए घूंट घूंट करके पीते हुए पेट भरना चाहिए ! इसमें मात्रा ज्यादा भी हो जाए तो चिंता कि कोई बात नहीं ! इस प्रकार ६-७ दिन तक खाते रहें ! इसके बाद गेहूं कि बनी रोटी कि जगह चना और जौ के बने आटे कि रोटी खाना शुरू करें ! ५ किलो देशी चना और एक किलो जौ को मिलकर साफ़ करके पिसवा लें ! ६-७ दिन तक इस आटे से बनी रोटी आधी मात्रा में और आधी मात्रा में दाल,सब्जी,सलाद और छाछ लेना शुरू करें ! एक महीने बाद गेहूं कि रोटी खाना शुरू कर सकते हैं लेकिन शुरुआत एक रोटी से करते हुए धीरे धीरे बढाते जाएँ ! भादों के महीने में छाछ का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए इस महीनें में छाछ का प्रयोग नां करें !!

सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

उच्च रक्तचाप ( HIGH BLOOD PRESSER ) के लिए आयुर्वेदिक उपचार !!

उच्च रक्तचाप की बीमारी हमारे समाज में खान पान और तनाव युक्त जीवन के कारण लगातार बढ़ रही है ! आयुर्वेद में इस बीमारी पर काबू पाने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं जिनको में आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ जिनका अगर प्रयोग किया जाए तो फायदा हो सकता है ! 

१. रात को तांबे के बर्तन में पाँव किलो पानी रखें और उसमें असली* रुद्राक्ष के आठ दाने डालकर रख दें ! रोजाना सवेरे उषापान के रूप में वह पानी पी जाएँ ! इसके नित्य प्रयोग से तीन माह में हि रक्तचाप कम हो जाएगा ! आप उन्ही दानों को तीन माह तक प्रयोग कर सकते हैं हाँ रुद्राक्ष को दो तीन सप्ताह बाद ब्रुश से साफ़ करके धुप में सुखा लें !

२. दौ सौ पचास ग्राम ताज़ी हरी लौकी छिलके सहित पांच सौ ग्राम पानी में प्रेशर कुकर में डालकर आग पर रख दें और एक सीटी बजने पर आग पर से उतार लें ! मसलकर छान कर ( बिना इसमें कुछ मिलाएं ) इसे सूप कि तरह गर्म गर्म पी लें ! आवश्यकतानुसार प्रात: खाली पेट लगातार तीन चार दिन तक रौजाना एक खुराक लें !

रविवार, 10 फ़रवरी 2013

आयुर्वेदिक औषधियों के लिए ( WEIGHT CALCULATION )मापन प्रणाली !!

प्राय: देखा जाता है कि आयुर्वेद में औषधि या नुस्खे बताते समय औषधि के जो माप बताए जाते हैं वो जल्दी से कोई समझ नहीं पाता है क्योंकि आयुर्वेद में औषधियों के माप हैं वो पुराने समय से चले आ रहें हैं और आज माप अंग्रेजी मापन प्रणाली पर आधारित है इसलिए जरुरी है कि किसी भी औषधि का प्रयोग करने से पहले उसका परिमाण भली प्रकार ज्ञात हो ! इसी को ध्यान में रखते हुए में आज आपके सामने पुराने मापन प्रणाली और नयी मापन प्रणाली में परिवर्तित करके बता रहा हूँ !




पुरानी मापन प्रणाली के अनुसार नाम               नयी मापन प्रणाली के हिसाब से 
१. एक ग्रेन                                                             एक गेंहूं के दाने के बराबर या ६० मिलीग्राम 
२. एक रती                                                             दो ग्रेन अथवा १२० मिलीग्राम 
३. एक माशा                                                           आठ रती अथवा एक ग्राम 
४. एक तोला                                                           १६ रती अथवा १६ ग्राम 
५.१/४ तोला या चवन्नी भर                                       ३ माशा अथवा तीन ग्राम 
६. एक छंटाक                                                           ५ तोला अथवा ६० ग्राम 
७. एक पौंड                                                              आधा सेर अथवा लगभग ४५० ग्राम 
८. एक सेर                                                                लगभग ९६० ग्राम 
९. एक टेबल स्पून                                                     तीन चाय के चम्मच के बराबर 
१०.एक कप                                                                १६ टेबल स्पून के बराबर 
११.एक चम्मच                        जहां भी चम्मच शब्द का प्रयोग हो वहाँ चाय वाले चम्मच हि समझे 


ऐसे तो और भी माप है जो आयुर्वेदिक औषधियों के लिए प्रयुक्त होतें हैं लेकिन सामान्यतया जो वर्तमान समय में बताए जातें हैं उनको हि मैंने बताया है ! 

शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

हदयाघात ( HEART ATTACK ) की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आयुर्वेदिक उपाय !!

हदयाघात की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आयुर्वेद में कुछ ऐसे नुस्खे हैं जो हदय को बल और शान्ति प्रदान करते हैं और दुबारा हार्ट अटेक कि संभावना को समाप्त करते हैं ! ऐसे हि कुछ नुस्खे आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ जिनका अगर प्रयोग किया जाए तो फायदा हो सकता है !

१.पीपल के ताजे पन्द्रह पत्ते लें ! कोमल गुलाबी कोंपलें ना लें बल्कि पत्ते हरे,कोमल और भली प्रकार से विकसित हो ! फिर प्रत्येक पत्ते का ऊपर और निचे का कुछ भाग केंची से काटकर अलग कर लें ! पत्ते का बीच का हिस्सा स्वच्छ पानी से साफ़ कर लें ! ऐसे १५ पीपल के पत्ते एक गिलास पानी में डालकर धीमी आंच पर पकने को रख दें ! जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर किसी साफ़ कपडे से निचोड़ कर छान लें ! बस दवा तैयार है ! हार्ट अटैक के पश्चात कुछ सामान्य हो जाने के पश्चात इस पीपल के पत्तों के काढे कि तीन खुराक ( लगभग एक-एक औंस की ) बनाकर पन्द्रह दिन तक प्रतिदिन प्रातः से प्रत्येक तीन घंटे के पश्चात लेने से हदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और पुनः दिल का दौरा पड़ने कि संभावना नहीं रहती है ! 
(परहेज : प्रयोगकाल में तली भुनी चीजें ,चावल ,मांस मछली, अंडे,शराब,धूम्रपान का प्रयोग ना करें ! ) ( पथ्य : हदय रोग में सेवनीय पदार्थ -अनार,पपीता,आंवला,बथुवा,दाना मैथी,मौसमी,सेव का मुरब्बा,रात में भिगोये काले चने ,किशमिश,दही,छाछ,आदि)

गुरुवार, 24 जनवरी 2013

याददाश्त ,स्मरणशक्ति बढाने में मददगार आयुर्वेदिक नुस्खे !!

आयुर्वेद में याददाश्त बढाने के कुछ नुस्खे अथवा इलाज बताये गये हैं उन्ही में से आज आपके सामने कुछ नुस्खे लेकर आया हूँ जिनको उपयोग में लिया जाये तो भूलने कि बीमारी से छुटकारा मिल सकता है !

१. असगंध और ब्राह्मी का चूर्ण एक एक चम्मच मिलाकर नित्य दो चम्मच शहद के साथ सेवन करने से याददाश्त बढती है !!

२. कालीमिर्च और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें ! एक चम्मच कि मात्रा में एक कप दूध के साथ दिन में तीन बार नियमित रूप से सेवन करने से दिमागी कमजोरी दूर होकर स्मरणशक्ति बढती है !!

३. गुडहल के पत्तों और फूलों को सुखाकर बराबर बराबर कि मात्रा में मिलाएं फिर पीसकर एक शीशी में भर लें ! एक चम्मच कि मात्रा में सुबह शाम एक कप मीठे दूध के साथ नियमित रूप से सेवन करने से स्मरणशक्ति बढती है !!

४. ब्राह्मी की पत्तियों का २ ग्राम चूर्ण ३-४ कालीमिर्च के साथ पीसकर सुबह शाम नियमित रूप से एक कप दूध के साथ सेवन करने भी याददाश्त बढती है !!

५. मालकांगनी के बीज,बच,देवदारु और अतीस चारों को समभाग मिलाकर पीस लें ! एक चम्मच कि मात्रा में सुबह शाम नियमित रूप से शुद्ध घी के साथ सेवन करने से भी बुद्धि और स्मृति बढती है !!

सोमवार, 7 जनवरी 2013

श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया ) के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे !!

आयुर्वेद में श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) के कुछ उपाय बताये गये हैं उनमें से कुछ सरल उपाय आपको बता रहा हूँ जिनका अगर प्रयोग किया जाये तो फायदा हो सकता है ! और इनमें प्रयोग होने वाली जड़ीबूटियाँ सहजता से मिल सकती है कुछ तो अपने आसपास भी मिल जाती है और अगर कुछ नहीं भी मिलती है तो पंसारियों के यहाँ मिल जायेगी जहां से इनको ख़रीदा जा सकता है !!

१. असगंध का चूर्ण और मिश्री एक एक चम्मच मिलाकर एक कप गर्म दूध के साथ सुबह शाम नियमित रूप से कुछ हफ्ते तक सेवन करने से ना केवल श्वेत प्रदर कि शिकायत दूर होगी बल्कि शारीरिक दुर्बलता भी दूर हो जायेगी !!

२. अशोक की छाल का चूर्ण और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर गाय के दूध के साथ एक एक चम्मच कि मात्रा में दिन में तीन बार कुछ हफ्ते तक सेवन करने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है !!

३. इमली के बीजों को पानी में कुछ दिनों तक भिगो दें ताकि छिलका आसानी से निकाला जा सके उसके बाद छिलका निकाले सफेद बीजों का पीसकर बारिक चूर्ण बना लें और इसे घी में भुनकर समान मात्रा में मिश्री मिलाकर कांच की बोतल में रख लें ! एक चम्मच कि मात्रा में दिन में तीन बार दूध के साथ सेवन करें ! इससे श्वेत प्रदर कि शिकायत दूर हो जायेगी और इसी का प्रयोग अगर पुरुष करें तो उनके लिए भी यह वीर्यवर्धक और पुष्टिकारक योग है !

४. छाया में सुखाई गयी जामुन कि छाल के चूर्ण को एक चम्मच कि मात्रा में दिन में तीन बार पानी के साथ कुछ दिन प्रयोग करने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है !!

५. दारु हल्दी ,दाल चीनी और शहद समभाग मिलाकर एक चम्मच कि मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से श्वेत प्रदर से राहत मिलती है !!

गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

गर्भ धारण अथवा गर्भ स्थापना के लिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे !!

जो औरतें सहज रूप से गर्भ धारण नहीं कर पाती है उनके लिए आयुर्वेद में कुछ उपचार बताए गये हैं ! जिनको अगर प्रयोग में लाया जाये तो गर्भ स्थापित हो सकता है ऐसे ही कुछ चुनिन्दा नुस्खे आपको बता रहा हूँ जो सहज और सरल है और प्रयोग में लिया जा सकता है !!

१. एक चम्मच असगंध का चूर्ण , एक चम्मच देशी घी के साथ मिलाकर मिश्री मिले हुए दूध के साथ मासिक धर्म के छठे दिन से पुरे माह पीने से बंध्यापन दूर होकर गर्भधारण होता है ! यह प्रयोग सुबह खाली पेट प्रयोग करना चाहिए और जब तक लाभ ना हो तब तक दोहराते रहना चाहिए !!

२. अपामार्ग की जड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ ऋतुकाल के बाद २१ दिनों तक सेवन करने से गर्भ धारण होता है !! 

३. अशोक के फूल दही के साथ नियमित रूप से सेवन करते रहने से भी गर्भ स्थापित होता है !!

४. नीलकमल का चूर्ण और धाय (धातकी) के पुष्पों का चूर्ण समभाग मिलाकर ऋतुकाल प्रारम्भ होने के दिन से ५ दिनों तक नियमित रूप से एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से गर्भधारण होता है ! प्रयोग असफल होने अगले ऋतुकाल से पुनः दोहराए !!

५. पीपल के सूखे फलों का चूर्ण आधे चम्मच की मात्रा में कच्चे दूध के साथ मासिक धर्म शुरू होने के पांचवें दिन से दो हफ्ते तक सुबह शाम प्रयोग करने से गर्भधारण होता है ! लाभ नहीं होने से अगले महीने भी इसको जारी रखें !!

सोमवार, 24 दिसंबर 2012

गर्भस्राव और गर्भपात रोकने हेतु कुछ आयुर्वेदिक उपचार !!

प्राय देखा जाता है कुछ औरतें गर्भधारण तो करती है लेकिन उनको बार बार गर्भपात और गर्भस्राव जैसी समस्याओं के कारण निराशा हाथ लगती है ! इन्ही समस्याओं के लिए आयुर्वेद में कुछ सरल उपाय बताए गये हैं जिनको अगर प्रयोग में लाया जाये तो निश्चित रूप से सफलता हाथ लग सकती है और स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सकता है ! आज उन्ही चुनिन्दा नुस्खों को आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ जिनमें से आपको जो सहज और सुलभ हो उसका उपयोग कर सकतें है लेकिन एक बार में किसी एक ही नुस्खे का प्रयोग करें !!

  1. जिनको बार बार गर्भपात हो जाता हो वे गर्भ स्थापित होते ही नियमित रूप से कमल के बीजों का सेवन करें ,कमल की डंडी और नागकेसर को बराबर की मात्रा में पीस कर सेवन करने से प्रारंभिक महीनों में होने वाला गर्भस्राव रुकता है !!
  2. गुलर के फलों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम दूध के साथ सेवन करते रहने से तथा गुलर की जड़ की छाल का चूर्ण समभाग मिश्री के साथ नियमित सेवन करते रहने से गर्भस्राव नहीं होता है !!
  3. जिन स्त्रियों को बार बार गर्भपात होता हो उन्हें गर्भस्थापना होते ही नियमित रूप से सुबह शाम एक चम्मच अनंतमूल की जड़ के चूर्ण का सेवन करते रहना चाहिए ! इससे गर्भपात भी नहीं होगा और बच्चा भी स्वस्थ और सुन्दर होगा !!
  4. तीसरे से पांचवे महीने में गर्भपात की आशंका होने पर नागकेसर के पुष्प , वंशलोचन और मिश्री समभाग लेकर बनाया गया चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम कुछ दिन तक सेवन करने से गर्भपात नहीं होगा !!
  5. लोध और पीपली को समभाग मिलाकर पीस लें ! एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ रोजाना सुबह शाम सेवन करते रहने से गर्भपात की सम्भावना टल जायेगी ! सातवें आठवें दिन में यह प्रयोग लाभप्रद होगा !!


मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

हिस्टीरिया के इलाज का आयुर्वेदिक नुस्खा !!

हिस्टीरिया के इलाज का एक आयुर्वेदिक नुस्खा जो सर्वसुलभ होने के साथ साथ सस्ता और गजब का प्रयोग है  जिसको उपयोग में लिया जा सकता है !!

प्रयोग इस प्रकार है :-खुरासानी बच (यह एक जाति कि बच है जो खाने में जरा तेज लगती है )एक तोला लें ! पंसारियों के यहाँ मिल जाती है और इसको खुरासानी बच के नाम से ही बेचा जाता है ! एक तोला बच लेकर उसको महीन कूट पीस करके तीन बार कपडे से छान लें ! बस ओषधि तैयार है !!

इस ओषधि को रोगी की अवस्थानुसार एक से दो रती तक दिन में चार बार देना चाहिए ,इसको घी या मलाई में चटाना ज्यादा अच्छा रहता है और अगर घी या मलाई उपलब्ध नहीं हो तो ऐसे ही इसकी फंकी दी जा सकती है ! उसके बाद रोगी को बढ़िया दूध की खीर खिलावें !!




बुधवार, 12 दिसंबर 2012

स्वप्नदोष से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद में वर्णित कुछ उपचार !!

स्वप्नदोष एक ऐसी बीमारी है जो धीरे धीरे शरीर को कमजोर करती जाती है और शरीर में शिथिलता आ जाती है और आदमी कि चुस्ती फुर्ती गायब हो जाती है ! इसको दूर करने के कुछ उपाय आयुर्वेद में वर्णित है जिनमें से कुछ सरल उपाय में आज आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ जो लाभदायक सिद्ध हो सकतें हैं !!

१.अपामार्ग की जड़ का चूर्ण और मिश्री को समान मात्रा में पीस कर एक साथ मिश्रण कर लें ! इस मिश्रण को एक चमच्च की मात्रा में दिन में तीन बार दो हफ्ते तक सेवन करने से स्वप्नदोष से छुटकारा मिल जाता है !!

२.आँवले के रस में इलायची के दाने और इसबगोल बराबर की मात्रा में मिलाकर सुबह शाम एक एक चमच्च का सेवन करने से भी स्वप्नदोष दूर होता है !!

३.इसबगोल और मिश्री बराबर मिलाकर एक चमच्च एक कप दूध के साथ रात को सोने से एक घंटे पहले लें और उसके बाद सोते समय मूत्र त्याग करके सो जाएँ ! इससे भी स्वप्नदोष का निराकरण होता है !!

४.एक चमच्च की मात्रा में बड़े गोखरू के फल का चूर्ण , थोडा घी और मिश्री मिलाकर एक हफ्ते तक सुबह शाम लेने से भी स्वप्नदोष दूर होता है !!

गुरुवार, 29 नवंबर 2012

कब्ज और उदररोग के लिए नायाब नुस्खा !!

कब्ज और उदररोग के इलाज का यह नुस्खा यदाकदा ब्लॉग पर प्रकाशित हुआ है जिसका लिंक निचे है मुझे लगा कि इसको साझा  करना चाहिए हो सकता है किसी के लिए फायदेमंद हो इसीलिए आपके सामने इसका लिंक साझा कर रहा हूँ !!

कब्ज और उदररोग के लिए नायाब नुस्खा !!

शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

बालों के लिए गुणकारी आंवला !!

आयुर्वेद में आँवले के बहुत सारे बेहतरीन ओषधीय उपाय बताए है उनमें से आपके सामने बालों का असमय सफेद होना ,बालों में खुश्की ,बाल झडना या टूटना आदि के कुछ उपाय बता रहा हूँ जो फायदेमंद साबित हो सकते हैं !!

१.एक चम्मच भर आंवला चूर्ण दो घूंट पानी से सोते समय अंतिम वस्तु के रूप में लें। असमय बाल सफेद होने और चेहरे की कान्ति नष्ट होने पर जादू का सा असर करता है। (साथ ही स्वर को मधुर और शुद्ध बनाता है तथा गले की घर-घराहट भी इससे ठीक हो जाती है। 

२.आंवला चूर्ण का लेप - सूखे आंवलों के चूर्ण को पानी के साथ लेई बनाकर इसका सिर पर लेप करने तथा पाँच दस मिनट बाद केशों को जल से धो लेने से बाल सफेद होने और गिरने बन्द हो जाते है। 

३.आंवला जल से सिर धोना सर्वोत्तम - विधि इस प्रकार है - २५ ग्राम सूखे आंवलों के यवकूट (मोटा-मोटा कूटकर) किए हुए टुकड़ों को २५० ग्राम पानी में रात को भिगो दें। प्रातः फूले हुए आंवलों को कड़े हाथ से मसलकर सारा जल पतले स्वच्छ कपड़े से छान लें। अब इस निथरे हुए जल को केशों की जड़ों में हल्के-हल्के अच्छी तरह मलिए और दस बीस मिनट बाद केशों को सादे पानी से धो डालिए। रूखे बालों को सप्ताह में एक बार और चिकने बालों को सप्ताह में दो बार धोना चाहिए। आवश्यकता हो तो कुछ दिन रोजाना भी धोया जा सकता है। केश धोने के एक घंटे पहले या जिस दिन केश धोने हों, उसके एक दिन पहले रात में आंवलों के तेल की मालिश केशों में करें।