गुरुवार, 26 जुलाई 2012

भारतीय इतिहास का चीरहरण क्यों !!


इतिहास किसी भी देश और समाज के लिए अतीत की एक धरोहर होती है जिससे भूतकाल में हुयी घटनाओं का विश्लेषण किया जा सके तथा भूतकाल के गौरव पूर्ण इतिहास की घटनाओं को नयी पीढ़ी को बताया जा सके! और जो गौरवपूर्ण नहीं हो वो भी बताया जा सके ताकि नई पीढ़ी यह जान सके कि कहाँ पर क्या हुआ लेकिन इसके लिए जो घटनाएं जैसी है वैसी ही रहनी चाहिए !!
लेकिन भारतीय इतिहास के साथ तो इतनी छेड़छाड़ की गयी है और अभी तक जारी है पहले कोई स्वन्त्र इतिहासकार नहीं होते थे जो थे वे राजाओं के अधीन ही होते थे तो वे राजाओं के हिसाब से ही इतिहास कि घटनाओं को लिखते थे उसके बाद अंग्रेज आये उन्होंने भारतीय इतिहास को तोडा मरोड़ा और अपना शासन चलाने के लिए इतिहास के नाम पर भ्रम फैलाया गया ताकि भारत में उनको शासन करने में आसानी हो !!

जब भारत आजाद हुआ तो होना तो यह चाहिए था कि इतिहास के असली तथ्यों को खोजकर उसका पुनर्लेखन करना चाहिए था और नयी पीढ़ी को असली तथ्यों पर आधारित इतिहास ही पाठ्य पुस्तकों में पढाना चाहिए था लेकिन हुआ इसका उल्टा आजादी के बाद तो भारतीय इतिहास का इस तरह से चीरहरण किया गया कि इतिहास के मायने ही बदल दिए और इतिहास कि पाठ्य पुस्तकें लिखने वालों ने तथ्य शब्द हटा दिया जबकि इतिहास तथ्यों पर ही आधारित होता है !!

आज कोई हमारे स्वंत्रता सेनानियों को आतंकवादी और भटके हुए नौजवान बता देता है कोई हिन्दुओ को गौमांस खिला देता है कोई इतिहास में दलितवाद का पुट लगा देता तो कोई ब्राह्मणवाद का और जब कोई हंगामा मचता है तो उस पुस्तक को हटा कर इतिश्री कर ली जाती है लेकिन इतिहास की पुस्तकों में सही तथ्यों पर आधारित घटनाएं ही आये इस बारे में कोई चिंता नहीं करता और इसी तरह से इतिहास से खिलवाड़ चलता रहता है !!

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