शनिवार, 4 अगस्त 2012

राजनीति सांप और नेवले का खेल है !!

गाँधी के विरोधियों पुजारियों का मेल है
राजनीति सांप और नेवले का खेल है
काँग्रेसियों का देखो आज तुम कमाल जी
धीरे-धीरे पूरी काँग्रेस है हलाल जी
कोई पश्चाताप नहीं ना कोई मलाल जी
क्या हुआ जो जूतियों में बाँट रही है दाल जी


कांग्रेस नेहरु और गोखले की जान थी
कांग्रेस इंदिरा जी की आन-बान-शान थी
कांग्रेस गाँधी जी तिलक का स्वाभिमान थी
कल स्वतंत्रता -सेनानी होने का प्रमाण थी
काँग्रेस अरुणा आसिफ अली का ईमान थी
कांग्रेस भारती की पूजा का सामान थी
कांग्रेस भिन्नता में एकता की तान थी
पूरे देश को जो बांध सके वो कमान थी



नेताजी सुभाष चन्द्र बोस काँग्रेसी थे
टंडन जी, नरेंदर देव घोष काँग्रेसी थे
लाल बहादुर की अंतिम साँस काँग्रेस थी
लोहिया जी की भी कभी प्यास काँग्रेस थी
लाला लाजपत की चोट वाली काँग्रेस थी
हर गली-गली में वोट वाली काँग्रेस थी
जे.पी. की भी जली थी जवानी काँग्रेस में
आजादी की पली थी कहानी काँग्रेस में
काँग्रेस पार्टी जो शुरू से महान थी
जो स्वतंत्र - काल में अधिक समय प्रधान थी
काँग्रेसी टोपी कल जो शीश पे थी शेरों के
आज पैरों में है ऐरे-गैरे नत्थू खैरों के

(डॉ, हरिओम पंवार जी की कविता )

1 टिप्पणी :

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

राजनीति अब हो गई, चूहे बिल्ली का खेल
मजबूरी है कांग्रेस की,गठबंधन करती फेल,,,,,

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