बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

देश का साम्प्रदायिक सद्भाव बिखर रहा है !!

पिछले कुछ समय से अगर देश के अंदर चल रही कुछ घटनाओं पर नजर डाली जाए तो एक बात साफ़ तौर निकल कर आती है कि देश के अंदर का साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड रहा है जो वाकई चिंताजनक है और इसमें उन राजनैतिक पार्टियों का बड़ा हाथ है जिनको मीडिया द्वारा धर्मनिरपेक्षता सर्टीफिकेट मिला हुआ है !!


उतरप्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बने अभी छ: महीने ही हुए है और इसी छ: महीने में वहाँ पर मथुरा,बरेली,फैजाबाद सहित  नो जगहों पर साम्प्रदायिक दंगे हो चुके हैं और सबसे बड़ी बात आजादी के बाद से लेकर अब तक बरेली हर भावनात्मक मुद्दे से अछुता रहा है लेकिन इस बार बरेली भी साम्प्रदायिक आग में झुलस गया और वो भी दो बार जो स्थति कि भयानकता को दर्शाने के लिए काफी है ! आसाम के कई इलाके भी साम्प्रदायिक हिंसा में झुलस ही रहें हैं  और रह रह कर वहाँ से कुछ ऐसी ख़बरें आ ही रही है कुछ इसी तरह की घटनाएं राजस्थान के भरतपुर और आंध्रप्रदेश के हैदराबाद में हुयी और सबसे बड़ी बात ये सब घटनाएं पिछले साल सितम्बर के महीने से लेकर अब तक की है ! 

और ये सब दंगे उन्ही पार्टियों के राज में हुए हैं जो अपने आपको धर्मनिरपेक्षता की सबसे बड़ी झंडाबरदार मानती है और मीडिया भी उनको धर्मनिरपेक्षता का सर्टिफिकेट देने में पीछे नहीं है और इसके पीछे भी उन्ही पार्टियों के बयान और नीतियां ही जिम्मेदार है क्योंकि ये पार्टियां एक समुदाय के पक्ष में इस तरह के बयान देती है जो उस समुदाय के हौसले बुलंद करते है तो दूसरी तरफ दूसरे समुदाय में यह भाव पैदा करती है कि उनकी उपेक्षा की जा रही है जिससे उनके अंदर भी गुस्सा पनपता है इस तरह ये पार्टियां इस देश का साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ रही है !!


चुनाव के समय में चुनाव आयोग भी इस तरह के बयानों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता है और किसी तरह की कारवाई करने से बचता है और राष्ट्रीय मीडिया में भी ऐसे बयानों का विरोध नहीं किया जाता जिसके कारण इस तरह के बयान देने वाली पार्टियों के होंसले बुलंद रहते हैं और बयानों से आगे इन पार्टियों की नीतियों पर बात करें तो वहाँ भी ये पार्टियां देश हित की बजाय वोटबेंक की राजनीति को ही ज्यादा तरजीह दे रही हैं वो चाहे अवैध घुसपेठियों का मामला हो या फिर अफजल गुरु की फांसी का मामला हो या फिर और कोई मामला हो हर मामले में यही दिख रहा है !!

लेकिन अगर इसी तरह की वोटबेंक की राजनीति चलती रही तो हालात और भी ज्यादा खराब हो सकतें है जो किसी के लिए भी अच्छे तो कतई नहीं कहे जा सकते हैं इसलिए दोनों ही समुदाय को देशहित में ऐसी पार्टियों से दुरी बनानी चाहिए जो किसी भी तरह से साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का काम करती हैं !!







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