शनिवार, 15 दिसंबर 2012

पदोन्नति में आरक्षण :वोटबैंक से प्रेरित !!

सरकार पदोन्नति में आरक्षण लागू करवाने का बिल राज्यसभा में  पेश कर चुकी है जो  बसपा सुप्रीमो मायावती के दबाव में लाया गया है ! जिसका लगभग सभी दल विरोध कर रहें हैं ऐसे में यह बिल पास होना मुश्किल है ! लेकिन सरकार नें यह बिल पेश करके एफडीआई पर परदे के पीछे हुयी सौदेबाजी पर मुहर जरुर लगा दी है जिसके तहत सरकार और बसपा के बीच यह समझौता हुआ था कि बसपा संसद में एफडीआई का समर्थन करेगी और  सरकार पदोन्नति में आरक्षण के लिए संसद में बिल लेकर आएगी और उसको पास करवाएगी !!

देशहित से जुड़े हुए मुद्दों पर इस तरह का रवैया बहुत ही चिंताजनक है जिनका फैसला लेते समय देशहित की बजाय पार्टीहित और वोटबैंक की राजनीति को ध्यान में रखा जाता है ! एफडीआई का फैसला भी सीधा देशहित से जुड़ा हुआ था और पदोन्नति में आरक्षण का मामला भी देश के लिए अहम फैसला है लेकिन दोनों मामलों पर जिस तरह की सौदेबाजी सरकार और बसपा के बीच में हुयी है उससे साफ़ साफ़ यह लग रहा है कि देशहित की बातें इन पार्टियों के लिए कहने भर को है और अपने हितों के लिए देशहित की बलि दी जा सकती है ! 

इन दोनों मुद्दों पर बेहद सोचसमझकर कर फैसला लेना चाहिए था और इनसे पड़ने वाले प्रभावों पर विचार करना चाहिए था लेकिन एफडीआई का फैसला भी सरकार ने हडबडी में लिया और सौदेबाजी और जोड़तोड़ के सहारे उसको मंजूर करवाया और अब पदोन्नति में आरक्षण का बिल भी मायावती के दबाव में हड़बड़ी में लाया गया है जो कतई उचित नहीं कहा जा सकता है ! वैसे भी पदोन्नति में आरक्षण लागू करना तार्किक रूप से भी सही नहीं माना जा सकता है क्योंकि पदोन्नति में आरक्षण लागू करने से योग्यता का कोई महत्व नहीं रह जाएगा और कर्मचारियों का एक ऐसा वर्ग खड़ा हो जाएगा जो योग्यता के बूते नहीं बल्कि आरक्षण के सहारे उच्च पदों पर जाएगा ! ऐसे में योग्यता का क्या महत्व रह जाएगा ! 


योग्यता को दरकिनार करके जिन लोगों को आरक्षण के सहारे उच्च पदों पर पहुंचाया जाएगा क्या वो देशहित में होगा ! और क्या आरक्षण का लाभ किसी को सरकारी नौकरी में रहते हुए उसके पुरे सेवाकाल के लिए दिया जा सकता है और अगर दिया जा सकता है तो क्या संविधान निर्माताओं ने जिस उद्येश्य के लिए आरक्षण लागू किया था वो पूरा होता है या नहीं !  इन सब बातों पर सम्पूर्ण तरीके से विचार होना चाहिए उसके बाद ही इसको लागू करना चाहिए ! 

1 टिप्पणी :

virendra sharma ने कहा…


सरकार को वोट बैंक के आगे और कुछ दिखाई ही नहीं देता -आरक्षण बोले तो प्रतिभा को जंग .....

प्रतिभा को अब जंग लगी है ,छिड़ी कलम के संग लड़ाई ........गुंडों के अब भाव बढे हैं .....